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बर्फीले पर्वत की तलहटी में किताब पढ़ने की आवाज
2012-09-04 20:48:22

जैसा कि आप को मालूम है कि चीन एक विशाल क्षेत्रफल वाला देश है, ऐतिहासिक व प्राकृतिक स्थितियों जैसे कारणों की वजह से पूर्वी व पश्चिमी भागों का आर्थिक विकास असंतुलित है, जबकि शैक्षणिक संसाधनों का बंटवारा भी इतना संतुलित नहीं है। पश्चिमी जातीय क्षेत्र के शिक्षा स्तर को उन्नत करने के लिये, सुधार व खुलेपन, खासकर पश्चिमी भाग के पुरजोर विकास के लिये केंद्रीय सरकार ने सिलसिलेवार महत्वपूर्ण नीतियां व कदम निर्धारित किये हैं, जिस से पश्चिमी क्षेत्र के शिक्षा कार्य की सहायता में सकारात्मक प्रगति प्राप्त हुई है। आज के इस कार्यक्रम में हम सछ्वान प्रांत के कानची तिब्बती जातीय स्वशासन प्रिफेक्चर ताउ छंग कांऊटी के अध्यापकों व छात्रों से मिलने जा रहे हैं और उन के सोच विचार व तमन्ना का पता लगा रहे हैं।

कानची तिब्बती जातीय स्वशासन प्रिफेक्चर की ताउ छंग कांऊटी गगनचुम्बी बर्फीले पर्वतों, घने आदिम जंगलों और दर्शनीय प्राकृतिक दृश्य की वजह से विश्वविख्यात है, वहां का यातिन प्राकृतिक परिरक्षित क्षेत्र नीले भूगोल की अंतिम पवित्र भूमि कहलाया जाता है, स्थानीय वासी यातिन की तीन बर्फीली चोटियों को तिब्बती लामा बौद्ध धर्म के भगवान पर्वत मानते हैं, विश्व बौद्ध धार्मिक स्थलों में 11वें स्थान पर है।

बेशुमार पर्यटक इसी नाम से ताउ छंग के यातिन आकर यहां की आदिम व शुद्ध बर्फीली चोटियों, हिम नदियों, घास मैदानों और जंगलों को महसूस करते हैं। पर्यटकों के कैमरों में हृष्ट पुष्ट खांगपा पुरुष, सुंदर पठारीय युवतियां, प्रार्थना पहिया घुमाने वाली बूढी औरत और मासूम बाल बच्चों की मुस्कान बंद हुई है। इस दूरस्थ क्षेत्र में बसे बाल बच्चों का पचपन कैसे बीतता है, वे अपने भविष्य के बारे में क्या अभिलाषा और कल्पना संजोये हुए हैं ।

संवाददाताः इस स्कूल का निर्माण बहुत सुंदर है, जातीय वास्तु शैली से युक्त है। क्या ये सभी मकान लकडियों से निर्मित हुए हैं?

अध्यापक ताउतंगः जी हां !

संवाददाताः सर्दियों में ज्यादा ठंड लगती है ?

अध्यापक ताउतंगः मुझे लगता है कि यह पत्थर मकान से कुछ गर्म है। यह दूसरी कलास का कलासरुम है ।

संवाददाताः हां, अब इस स्कूल में कुल कितना कलासरुम है ?

अध्यापक ताउतंगः दो कलासरुम हैं ।

लकड़ियों से निर्मित तिब्बती स्टाइल वाली दो मंजिली इमारत, एक पंक्ति में खड़े तिब्बती शैली में निर्मित मकान, बीच में एक मैदान और झंडा खंभा, जिस पर राष्ट्रीय झंडा लगा हुआ है, नजर आते हैं, यही यातिन प्राकृतिक संरक्षित क्षेत्र में स्थापित यातिन प्राईमरी स्कूल ही है। छोटा सा यातिन गांव बड़े पर्वत की तलहटी की एक समतल ढलान पर बसा हुआ है, यह प्राईमरी स्कूल गांव के बाहर खड़ा हुआ है। हम जिस समय पर इस यातिन प्राईमरी स्कूल आये, वह ठीक शनिवार का दिन था, स्कूल में छात्र नहीं थे। अध्यापक ताउ तंग हमारे स्वागत में विशेष तौर पर घर से स्कूल आये।

संवाददाताः क्या सभी छात्र तिब्बती जाति के हैं?

अध्यापक ताउतंगः जी हां, सब तिब्बती जाति के हैं।

संवाददाताः कलास में किस भाषा का प्रयोग किया जाता है?

अध्यापक ताउतंगः तिब्बती भाषा।

संवाददाताः तिब्बती भाषा से अनुवाद करते हैं, चीनी भाषा से पाठ पढ़ते हैं, यह ठीक है?

अध्यापक ताउतंगः बिलकुल।

संवाददाताः वास्तव में द्विभाषी शिक्षा है?

अध्यापक ताउतंगः ठीक है।

यातिन गांव में कुल 32 परिवार रहते हैं, इसलिये यह ग्रामीण प्राईमरी स्कूल बड़ा नहीं है, वर्तमान स्कूल में कुल 15 छात्र व एक अध्यापक है। 22 वर्षीय अध्यापक ताउ तंग को सछ्वान च्यांग यो नार्मल स्कूल से स्नातक हुए चार साल हो गये हैं। उन्होंने हमें बताया कि यहां का अध्यापक टाऊनशिप के संयुक्त प्रबंधन से नियुक्त हुआ है, फिर निश्चित समय में स्थानांतरित किया जाता है, इस से पहले अध्यापक खांगचाशी को इस प्राईमरी स्कूल में पढ़ाये हुए चार साल हो गये, जबकि अध्यापक ताऊ तंग को यहां आये हुए मात्र माह का समय हुआ है। उन्होंने कहा कि अब स्कूल में पहली कलास का छात्र नहीं है, वर्तमान में सिर्फ दो कलास हैं, नौ पूर्वस्कूली बच्चे हैं और दूसरी कलास के छै छात्र भी हैं, वे सब तिब्बती जाति के हैं, वे सवयं भाषा, गणित और तिब्बती भाषा पढाते हैं।

संवाददाताः आप पाठ कैसे पढाते हैं ?

अध्यापक ताउतंगः कुछ समय इधर, कुछ समय उधर।

संवाददाताः एक कलास के बच्चे पहले होमवर्क करते हैं?

अध्यापक ताउतंगः पहले किताब पढ़ते हैं।

संवाददाताः ओहो, पहले पढ़ना है।

इस प्राईमरी स्कूल के कलासरुम के बाहर ऐसे कई बोर्ड लगे हुए हैं कि राष्ट्रीय गरीब क्षेत्रीय अनिवार्य शिक्षा परियोजना मुद्दा स्कूल, सछ्वान प्रांत के ग्रामीण प्राईमरी स्कूली व मिडिल स्कूली आधुनिक दूरस्थ शिक्षा परियोजना मुद्दा स्कूल, ये दोनों बोर्ड 2005 में लगाये हुए हैं। और एक बोर्ड पर ये शब्द अंकित है कि कानची प्रिफेक्चर का रियायती अभियान सहायता केंद्र।

संवाददाताः कानची प्रिफेक्चर का रियायती अभियान सहायता केंद्र है। उन्होंने आप लोगों को क्या क्या सहायता दी है?

अध्यापक ताउतंगः पुस्तकें वगैरह।

संवाददाताः ये किताबें चंदे में मिली हैं?

अध्यापक ताउतंगः ये पर्यटक लाये हैं।

संवाददाताः पर्यटक लाये हैं, क्या ये उपयोगी हैं?

अध्यापक ताउ तंगः कुछ उपयोगी हैं, कुछ नहीं।

संवाददाताः क्या क्या चीज उपयोगी हैं?

अध्यापक ताउतंगः जो किताबें, बच्चों की समझ में आती हैं, उपयोगी हैं।

संवाददाताः आप के ख्याल से अब यहां किस चीज की सख्त जरूरत है ?

अध्यापक ताउतंगः यहां पर काफी ठंड है, बाल बच्चों को मोटे कपड़ों जैसी वस्तुओं की जरुरत है।

संवाददाताः लगता है, हम जो मौजे व दस्ताने लाये हैं, वे उपयोगी हैं।

अध्यापक ताउतंगः जी हां, जी हां।

हालांकि छुट्टी के दिन हैं, बच्चे स्कूल नहीं आते हैं, पर उन के घर इसी गांव में ही हैं, स्कूल से दूर नहीं हैं। अध्यापक ताउतंग हमें एक छात्र के घर ले गये। इस परिवार में दोनों बहने हैं, छोटी बहन योंगचुंग यातिन प्राईमरी स्कूल की दूसरी कलास में पढ़ती है, बड़ी बहन लामू यहां से 37 किलोमीटर की दूरी पर स्थित श्यांगकलिला टाऊनशिप के प्रमुख प्राईमरी स्कूल की तीसरी कलास में पढ़ती है, वह स्कूल में रहती है, सप्ताह में एक बार घर वापस आती है। तिब्बती भाषा में लामू का अर्थ परी ही है। शुरु में वे दोनों थोड़ा बहुत शर्मिंदा थीं, पर जल्द ही हम से परिचित हो गयीं।

संवाददाता:तुम किताब क्यों पढ़ती हो?

लामू:विश्वविद्यालय की विद्यार्थी बनना चाहती हूं।

संवाददाता:विश्वविद्यालय की विद्यार्थी वनना चाहती है?यह विचार मन में कब आया?

लामू:जब मैं दूसरी कलास में पढ़ती थी, तो घर वालों ने मुझ से कहा कि तुम्हें अच्छी तरह पढ़ना चाहिये, बड़ी होकर विश्वविद्यालय की छात्रा बनोगी।

संवाददाता:तुम्हारे घर में कोई पढ़ा लिखा है?

लामू:मेरे पापा मिडिल स्कूल की तीसरी कलास में पढ़ने पर स्कूल से वंचित हुए हैं।

संवाददाता:तुम क्या सीखना चाहती हो?

लामू:मैं बहुत ज्यादा किताबें पढ़ना चाहती हूं।

संवाददाता:तो फिर तुम कहां के विश्वविद्यालय में पढ़ना चाहती हो?

लामू:मैं खांगतिंग और छंगतू जाऊंगी ।

संवाददाता:तुम बड़ी होने के बाद क्या काम करना चाहती हो?

लामू:मैं अध्यापक बनूंगी।

लगता है बच्चों के मन में अध्यापक एक ज्ञानी व ईर्ष्या कैरियर ही है। तो हम यातिंग प्राईमरी स्कूल की आगामी अध्यापन दिशा और समूची ताउ छंग कांऊटी के शिक्षा विकास और अध्यापकों की स्थिति के बारे में जानना चाहते हैं। इसी सवाल को लेकर हम ने ताउ छंग कांऊटी के शिक्षा ब्यूरो के प्रधान इशिडोगी से इंटरव्यू लिया। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा:"हमारी कांऊटी में अब कुल 17 स्कूल हैं, जिन में 329 अध्यापक पढ़ाते हैं।"

प्रधान इशिडोगी ने हमें बताया कि ताउ छंग कांऊटी के अध्यापक मूल रुप से कानची तिब्बती जातीय प्रिफेक्चर के खांगतिंग नार्मल स्कूल और पाथांग नार्मल स्कूल से आये हैं, लेकिन इन नार्मल स्कूलों के स्नातक जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ हैं, हम फिर खांग नान व खांग पेह जातीय मिडिल स्कूलों, खांगतिंग मिडिल स्कूल और लू तिंग व्यवसायिक मिडिल स्कूल के स्नातकों को स्वीकार कर लेते हैं। गत वर्ष से हम ने जातीय द्विभाषी अध्यापकों को प्रशिक्षित करना शुरु कर दिया है। क्योंकि जातीय क्षेत्रों के लिये भाषा की शिक्षा कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। ताउ छंग कांऊटी के शिक्षा ब्यूरो के प्रधान इशिडोगी ने कहा:"ताउ छंग क्षेत्र में हम अंग्रेजी भाषा, चीनी भाषा और तिब्बती भाषा की पढाई को ज्यादा महत्व देते हैं। क्योंकि तिब्बती भाषा हमारी मातृ भाषा है, मातृ भाषा पर अच्छी तरह महारत हासिल करने से अपने पैर पर खड़ा होने के लिये लाभदायक है, चीनी भाषा की पकड़ हासिल करने से अपने घर से बाहर जाने में सुविधापूर्ण है, जबकि अंग्रेजी भाषा जानने से देश के बाहर जाकर अंतर्राष्ट्रीय आधुनिक संस्कृतियों से जा मिलने में सक्षम है, जिस से जातीय क्षेत्रीय विकास और समूची जातीय गुणवत्ता को बढावा देने के लिये मददगार सिद्ध होगा।"

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