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तिब्बत में सीमा सुरक्षा सैनिकों का यौवन व प्यार
2012-07-08 19:00:17

इस तरह की परिस्थिति में रहने पर 23 वर्षीय मा क्वान चिंग हमेशा अपने मां-बाप से कहते हैं कि चिंता मत कीजिये। युवा सैनिक मा क्वान चिंग ने का कहना है:

"मैंने उन्हें बताया कि यहां मेरा जीवन बहुत सुविधाजनक है।साल भर हम ताज़ा सब्जियां खा सकते हैं।मैंने उनसे चिंता न करने को कहा।क्योंकि मुझे उन्हें मेरे बारे में चिंता करते हुए देखा नहीं जाता।मैं उनका इकलौता बेटा हूं।यहां की सही स्थिति मैं उन्हें कभी नहीं बताता। उन्हें बिल्कुल पता नहीं है कि यहां कैसा है।मैं कहता हूं कि यहां सब बहुत अच्छा है,इस से वे अधिक चिंता नहीं करते।मैंने उनसे कहा कि मैं अपना सपना पूरा करने के लिये यहां आया हूं।"

29 वर्षीय तिब्बती सैनिक नूसोंग कांगबा क्षेत्र स्थित सेना टुकड़ी में पांच साल बीत चुका है। तिब्बत के छांगतु प्रिफैक्चर में जन्मे नूसोंग का मिडिल स्कूली जीवन भीतरी इलाके के होपेइ प्रांत में बिताया गया, और फिर पढ़ाई के लिए वह दक्षिण पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत की राजधानी खुनमिन और मध्य चीन के हूपेइ प्रांत की राजधानी वूहान आदि शहर गया। करीब 11 साल नूसोंग तिब्बत के बाहर जीवन बिताता था। लेकिन स्नातक होने के बाद उसने भीतरी इलाके के शहरी जीवन को छोड़कर अपने जन्मस्थान वापस लौटने का निश्चय किया। इसकी चर्चा में तिब्बती सैनिक नूसोंग ने कहा:

"उस समय मेरी अपने जन्मस्थान वापस लौट कर तिब्बत के निर्माण के लिए अपना योगदान करने की जिज्ञासा थी। मुझे लगता है कि तिब्बत जैसे पवित्र स्थल में काम करना एक तिब्बती के लिए बहुत गर्व की बात है। चौकी पर हमारा जिम्मेदार अहम महत्वपूर्ण है। हम अक्सर भारतीय सैनिकों के साथ संपर्क करते हैं। मुझे लगता है कि यहां मैं अपने आप का मूल्य दिख सकता हूँ।"

पुरुष सैनिकों की अपेक्षा पठार में काम करने वाली महिला सैनिकों को और ज़्यादा दबाव झेलना पड़ता है।समुद्री तल से 3900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित शिकाजे की एक महिला सैन्य टुकड़ी में बाऔ चेन लू मां-बाप पर निर्भर रहने वाली लड़की से खुद काम पूरा करने वाली महिला सैनिक बन गयी है।

आनह्ले प्रांत से आयी बाओ चेन लू तिब्बत जातियों के विश्वविद्यालय के लेखा विभाग की स्नातक हैं। वे आनह्वे में नौकरी ढूंढ़ सकती थीं।लेकिन अंत में उन्होंने सीमा सुरक्षा बल में शामिल हो करके तिब्बत आने का फ़ैसला किया।वर्ष 2009 के दिसंबर में सेना में शामिल हुई बाओ चेन लू के गाल लंबे समय के लिये तेज़ धूप झेलने के कारण लाल हो गये हैं।

आम लड़कियों के लिये बाल कटवाना कभी भी एक बड़ी बात नहीं मानी जाती। मगर बाओ चेन लू के जीवन में वह एक सुविधा से कम नहीं है। अपना बाल कटवाने का अनुभव बताते हुए उसने कहा:

"नियम के मुताबिक हमें बाहर जाने के लिए केवल दो घंटे मिलते हैं।हमारी सेना में नाई की दुकान तो है,लेकिन वे नाई अच्छा केशविन्यास करने में सक्षम नहीं हैं।हर लड़की सुंदरता पर बड़ा ध्यान देती है।बाहर दुकान में बाल कटवाते समय मैं नाई को धैर्य व संजीदगी से मेरे बाल काटने के लिए कहती हूं, लेकिन दो घंटे में वापिस लौटना होता है इसलिए मुझे नाई से कहना पड़ता है'जल्दी करो!जल्दी करो'।"

चाकोला चौकी तिब्बत में सबसे ऊंचे स्थान पर 5300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।यहां के जवान चूमू लांगमा पर्वत क्षेत्र की सुरक्षा में जुटे हुए हैं।इसके साथ वे चाकोला और शिशिला आदि तीन इलाकों में गश्त लगाने का काम भी संभालते हैं।चाकोला चौकी में चौकीदार है 27 उम्र का खूबसूरत तिब्बती लड़का वूजिन डोर्जे।हर वर्ष उसे चौकी में 5 महीने गुजारने पड़ते हैं।बाकी समय में वे सेना में रहता है।

साधारण लोगों के प्यार में पुरुष बड़ी लगन से अपनी पत्नी को खिलाता पिलाता है और उसे रिझाने के लिए तरह-तरह के काम करता है ।लेकिन वूजिन डोर्जे और ल्हामो का प्यार सरल है।वूजिन डोर्जे प्रति दिन "मैं तुमसे प्रेम करता हूं" यह वाक्य नहीं बोलता।वे अपने काम के बारे में ज़्यादा सोच-विचार करते हैं। इस तरह वह अपनी पत्नि के साथ रहने के लिये अधिक समय नहीं निकाल पाता। सुनिए वूजिन डोर्जे और अपनी पत्नि के साथ हुई बातचीत का एक अंश:

वूजिन डोर्जे:उसका ब्लड प्रेशर थोड़ा सा कम है।पिछले साल की गयी जांच

के अनुसार सिर में खून कम जा रहा है ।उसने मुझसे उसके साथ

डॉक्टर के यहां जाने को कहा।लेकिन मैं चौकी से निकल नहीं

सका।उस समय उप चौकीदार दूसरे काम के लिये गया। मैंने खुद

सभी काम संभाला।इसलिये मैं अपनी पत्नि के साथ नहीं गया।वह

अकेले गयी। बाद में हममें झगड़ा हुआ।

ल्हामो: उस समय मुझे लगा कि उसके काम से मैं कम महत्वपूर्ण हूं।मैं व्यथित थी। इसलिये मैं उससे लड़ी।

वूजिन डोर्जे:मैंने ज़रूर दोषी महसूस किया.ऐसी बात एक दो बार नहीं बल्कि अक्सर होती है।

वूजिन डोर्जे और ल्हामो की मुलाकात 2008 में हुई। विवाह के दो साल में उन दोनों ने सिर्फ़ तीसेक दिन साथ-साथ बिताये हैं। मगर क्या इस तरह के पुरुष से शादी करने पर पछतावा हुआ,यह सवाल पूछे जाने पर ल्हामो ने कहा नहीं। ये शब्द देश की सीमा की सुरक्षा में लगे हुए वूजिन डोर्जे का भरपूर समर्थन करते हैं। मसलन् वूजिन डोर्जे के माता पिता के बीमार होने के वक्त पत्नि ल्हामो अपने सास ससुर की देखभाल करती है। इसकी चर्चा में ल्हामो ने कहा:

"जब सास ससुर बीमार हो, तो मैंने पति जी को नहीं बताया। और उनके साथ अस्पताल जाकर खुद उनकी देखभाल करती थी। मुझे लगता है कि पति जी बहुत व्यस्त हैं और जरूर थकान लगता है। मैं उसके कार्य का पूरी समर्थन करती हूँ। मुझे उनके कारण गर्व भी लगता है।"

इस साल वूजिन डोर्जे की छुट्टियों में समुद्र देखने के लिये अपनी पत्नि को उत्तरी चीन स्थित छिंग डाऔ शहर ले जाएंगे।तिब्बत में पले-बढे इस दंपति ने समुद्र कभी नहीं देखा है। डोर्जे अपनी पत्नि के साथ समुद्र की शान व रोमान्स महसूस करना चाहते हैं।

तिब्बत के सीमा सुरक्षा बलों में वूजि डोर्जे और ल्हामो की तरह दंपत्ति कम नहीं हैं,लेकिन कुंवारों की संख्या भी बहुत है। 28 वर्षीय हे चेन हाई 4800 से अधिक ऊंचाई पर गश्त के दौरान अनुवाद करते हैं। वे एक लड़की से मिल चुके हैं और उन दोनों ने एक दूसरे को पसंद किया है ।लेकिन आखिरकार उस लड़की ने हे चेन हाई से अलग होने का निर्णय लिया। इस बात की याद करते हुए हे चेन हाई ने अफ़सोस और समझदारी जताई। उनका कहना है:

"उस लड़की ने मुझसे पूछा कि मैं कब सेना में सेवा पूरी करके घर लौटूंगा।मैंने सही बात कही कि मैं भी नहीं जानता।शायद और 10 साल लगेंगे।मुझे मालूम है कि एक युवती के लिये 10 साल एक बड़ी लंबी अवधि है।मगर उस समय मैंने सफ़ेद झंडा नहीं उठाया।बाद में उसने मुझे और एक सवाल पूछा——अगर एक दिन आधी रात वह बीमार पड़े, वह किससे मदद मांगेगी।इसका मुझपर बड़ा असर पड़ा है।मैं खुद को बताता हूं कि अगर मैं एक लड़की को बेहतर जीवन नहीं दे सकता, मुझे उसे छोड़ देना चाहिये।"

इस प्रकार की स्थिति तिब्बत के चौकियों में तैनात सैनिकों के लिए आम बात है। हर वर्ष वे दसियों दिनों की छुट्टियों के जरिए किसी लड़की मिलने के लिए घर वापस लौटते हैं। लेकिन अधिकांश लड़की उनकी कार्य स्थिति जानकर उनके साथ प्रेम संबंध अस्वीकार करती हैं।

3900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित शिगाजे की महिला टुकड़ी में सेवा कर रही 24 वर्षीय डायरेक्टर वू छांगरून का एक लड़के के साथ संबंध है। एक महीने में वे एक दूसरे से सिर्फ़ एक दो बार मिल सकते हैं। इसकी चर्चा में महिला सैनिक अफ़सर वू छांगरून ने कहा:

"हम दूसरे लोगों की तरह अक्सर सिनेमा नहीं जा सकते और हर दिन डेट भी नहीं कर सकते। वास्तव में फ़ौजी पोशाक पहनने के बाद मैं इस तरह के जीवन की आदी हो गयी हूं।"

चीन में एक मशहूर कवि की एक पंक्ति लोगों के ज़ुबान पर रहती है। "यदि दोनों के बीच गाढ़ा इश्क है, प्रति क्षण साथ-साथ न रहने से कोई नुक्सान नहीं पहुंचेगा"। वू छांग रून का प्यार इस पंक्ति जैसा है।

अच्छा दोस्तो, अभी आपने सुनी तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के सीमा चौकी पर तैनात चीनी सैनिकों के यौवन व प्यार शीर्षक एक रिपोर्ट।


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