छंगदू, 18 सितम्बर
चीन के दक्षिण पश्चिम में स्थित ऐतिहासिक शहर छंगदू की जनसंख्या लगभग एक करोड़ के आस-पास है। खुशगवार मौसम वाले इस शहर का इतिहास कम से कम 3000 वर्ष पुराना है।
इसी इतिहास की झलक हमने छंगदू शहर में स्थित वू हू मंदिर में देखी। चीन के थांग, मिंग और किंग राजवंशों के शासनकाल से संबंधित कई स्मारक यहां पर हैं।
इस मंदिर का सबसे प्रमुख आकर्षण है चीन के महान योद्धा ल्यू बेई का लगभग 1800 वर्श पुराना मकबरा। इसी मकबरे में उनकी दो पत्नियां भी दफन हैं। ल्यू बेई को उसकी मृत्यु के बाद झाउ लाई की उपाधि से नवाजा गया था। इसीलिए इस विशेष स्मारक के प्रवेश द्वार के बाहर ` हान झाओ लेई मियाओ ` की इसबारत लिखकर एक बोर्ड लगाया गया है। चीनी भाषा में लिखे गए इस जुमले का अर्थ है-हान वंश के सम्राट झाओ लाई का मंदिर।
स्मारक का मुख्य हॉल ल्यू बेई के नाम पर है और यहां ल्यू बेई तथा उसके पोते ल्यू चेन की मूर्तियां हैं। माना जाता है कि इस इस हॉल का पुनर्निर्माण कांगशी वंश के शासनकाल में हुआ था।
वू हू मंदिर छंगदू के प्रमुख आकर्षक स्थानों में से एक है। इसके उपरांत विदेशी पत्रकारों के इस दल ने, जिसमें मैं स्वयं भी शामिल था, चाइना लेन का दौरा किया। चाइना लेन छंगदू का एक ऐतिहासिक हिस्सा है। यहां की दिलचस्पी इसकी पत्थर से बनी गलियां और उसके दोनों ओर बने शानदार रेस्तरां हैं जहां सछ्वान प्रांत का भोजन मिलता है। वास्तव में इस प्रांत के खासे व्यंजनों का उद्गम सथल भी छंगदू ही है।
दिलचस्प बात यह है कि चाइना लेन में कुछ फ्रांसीसी रेस्तरां भी हैं। ये अन्य रेस्तराओं की अपेक्षाकृत मंहगे हैं। ऐसे ही एक रेस्तरां में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में छंगदू के विषेशज्ञों ने इस शहर के विभिन्न पक्षों के बारे में चीनी और विदेशी पत्रकारों को दिलचस्प जानकारियां दीं।
इसके उपरांत छंगदू की सांस्कृतिक कलाओं से रूबरू करवाने के लिए परम्परागत चीनी आँपेरा व गीत संगीत के कार्यक्रम हुए।
इससे पूर्व इस दिन को अविस्मरणीय बनाया छंगदू के कुछ स्कूली बच्चों ने। उन्होंने विदेशों से आए पत्रकारों के लिए अपने हाथों से बनाए चित्र बनाकर उन्हें उपहार स्वरूप दिए।
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