आज प्रातः 7 बजे नाश्ता लुशान के शानदार होटल में करने के बाद 8 बजकर 30 मिनट पर बस रवाना हुई। जब बस लुशान को छोड़ने लगी, तो रोने के बराबर दुख हुआ। क्योंकि वह लुशान की खाड़ी व झील लुशान का जल प्रपात कविता थांग राजवंश के ली पाई की याद बार बार आती रही। लेकिन दूसरी तरफ़ विश्व प्रसिद्ध मिट्टी का बर्तन व चमेली फूल मिट्टी बर्तन से बजाई गयी प्रथम धुन देखने व सुनने की इच्छा बार बार पर्कट हो रही थी। इस प्रकार लुशान से चिन डे चेन पहुंचने में समय ज्यादा लगने से दो बार बस सेवा केंद्र पर बस रुकी, और कुछ देर तक आराम किया गया। इस तरह करीब 12 बजे चिन डे चेन पहुंचे। वहां मिट्टी के बर्तनों व मिट्टी के बर्तनों से बजाई जाने वाली धुन भी देखने व सुनने का सुअवसर मिला। मिट्टी के बर्तन बनाने वाले व्यक्ति अधिकतर बूढ़े दिखायी दिये। यानि उन की आयु लगभग 80 वर्ष के थी। वे लोग इतने सफाई से मिट्टी के बर्तन व उस पर आकार चित्र बनाते हुए देखा। जो मुझे इतना आकर्षित किया कि मुझे वह कला देखने की बार बार इच्छा हो रही है। चिन डे चेन में कई बड़े बड़े पुराने पुराने भवन है, जहां मिट्टी के बर्तन बनाये व भट्टी में पकाये जाते हैं। भारत में इस तरह के भवन में भैंस गोरु रखा जाता है। मिट्टी के बर्तन से बजाये जाने वाली बासूरी व ड्रम की आवाज बहुत सुरीली थी। इच्छा कर रही थी अभी और सुने केलिन समय का आभाव के कारण वहां का स्थान छोड़ना पड़ा। जो कहावत है चीन की कला व युनान की चालाकी को आज मैं देख लिया, चीनी मिट्टी की कला को सीखना आसान नहीं है। इसे सीखने के लिये लम्बी आयु चाहिए। चिन डे चिन कस्बा बहुत बड़ा है। पुरे कस्बे में मिट्टी बर्तन की कला ही होते हुए देखा। बहुत अच्छा लगा। कम आवादी वाला कस्बा चौड़ा रोड स्वच्छ वातावरण जहां मिट्टी का बर्तन प्रसिद्ध है। करीब चीनी समयानुसार एक बजे भोजन के लिये चीनी मिट्टी बर्तन बाजार में एक शानदार होटल में भोजन के लिये पहुंचे, जहां अनेक प्रकार के भोजन करने के बाद पर्यटन दिवस के शुभ औसर की टोपी का वितरण हुआ। क्योंकि चिन डे चेन में तापमान बहुत अधिक होने के कारण बहुत तेज धूप लग रही थी। उसी धुप में चीनी मिट्टी बर्तन बाजार भी देखनी थी। लगभग सैकड़ों दुकान पर गये अनेक प्रकार के मिट्टी के बर्तन बिक रहे थे। जगह जगह फोटो खींचा गया। मैं सोचा यहां मिट्टी का बर्तन बनाया जाता है, मुल्य बहुत कम होगी, कुछ बर्तन बर्तन खरीद कर भारत ले जाऊंगा, लेकिन काफ़ी महंगे बर्तन थे, जिस को खरीदना मुश्किल लगा। पुरी तरह बाजार टहलने के बाद सभी लोग एकत्रित हुए और बस पर सवार हुए। करीब शाम 6 बजे वूय्वान पहुंचे। और 6 बजकर 15 मिनट से 8 बजे रात तक जमकर भोजन हुआ। भोजन के बाद वूय्वान के बाजार में मैं मित्रों के साथ गया। वहां भारत की तरह छोटी बड़ी अनेक तरह की दुकानें थीं। बहुत सारी दुकानें जिस पर लड़कियों को सामान बेचते हुए देखा। वूय्वान की बाजार में सामान बहुत सस्ते थे। मैंने बहुत तरह के सामान उस बाजार से खरीदा। और बाजार में तरह तरह के फोटो खींचा गया। बाजार घूमते हुए बहुत अच्छा लग रहा था। उस बाजार से लौटने की इच्छा नहीं कर रही थी। लेकिन रात का समय सता रहा था। जिस के वजह से और रात तक टहलना थोड़ा मुश्किल हो रहा था। क्योंकि सुबह जगने के लिये बताया गया था। इसलिये हम सब लोग वापस वूय्वान के पांच तारा होटल में तकरीबन रात दस बजे पहुंचे।