Web  hindi.cri.cn
क्वांग चो की लोककला
2010-11-04 20:32:26

क्वांग चो चीन का मशहूर ऐतिहासिक व सांस्कृतिक शहर है । 2223 वर्ष पुराना क्वांग चो दक्षिण चीन का केंद्रीय शहर है और उस का मजबूत सांस्कृतिक आधार है । क्वांग चो की लोककला देश विदेश में लोकप्रिय है ।

क्वांग चो की लोककला में हाथीदांत ,जेड व लकडी से बनी प्रतिमाएं ,रंगबिरंगी पोर्सिलेन यानी चीनी मिट्टी के बरतन और कशीदाकारी सब से मशूहर है ।कई सौ वर्ष पहले देश विदेश में इन वस्तुओं का बडा नाम था । पिछली सदी के पाचवें व छठे दशक में वे चीन से निर्यात किए जाने वाले मुख्य माल थे ।

हमारे पिछले अंक के कार्यक्रम में आप ने शायद जाना होगा कि क्वांग चो समुद्री रेशम मार्ग का प्रस्थान स्थल है । समुद्री रेशम मार्ग वास्तव में पोर्सिलेन मार्ग है । प्राचीन समय में भूमि मार्ग से पोर्सिलेन का परिवहन बहुत कठिन काम था ,क्योंकि पोर्सिलन मजबूत वस्तु नहीं थी ।इस के अलावा भूमि मार्ग के जरिये माल परिवहन के लिए अधिक समय लगता था । समुद्री मार्ग से पोर्सिलेन का परिवहन थोडा आसान था और कम समय लगता था ।

छिंग राजवंश के बादशाह छेन लोंग के प्रशासन के दौरान क्वांग चो में पैदा हुआ रंगीन पोर्सिलेन तीन सौ वर्षों तक देश विदेश में लोकप्रिय रहा ,जिस की एक मुख्य विशेषता है कि रंग बिरंगे चित्रों को चारों ओर से सोने के पानी से सजाया जाता था ।क्वांग चो की रंगीन पोर्सिलेन चीनी व पश्चिमी संस्कृतियों के आदान-प्रदान की उपज है । उस की चीनी कलात्मक विशेषताएं हैं और पश्चिम की चित्र तकनीक भी जाहिर होती है ।क्वांग चो की रंगीन पोर्सेलिन के इतिहास की चर्चा करते हुए क्वांग तुंग प्रांत के संस्कृति व इतिहास अनुसंधान केंद्र के अनुसंधानकर्ता ह्वांग मिओ चांग ने हमारे संवाददाता को बताया ,छिंग राजवंश में विदेशी लोगों को चीनी पोर्सिलेन बहुंत पसंद थी ।शुरू में वे चीन की पोर्सिलेन राजधानी से नामी चिंग द कस्बे में पोर्सिलेन खरीदते थे ।बाद में कुछ विदेशी व्यापारी चिंग द कस्बे से सफेद पोर्सिलेन लेकर क्वांग चो में उन को रंगीन बनवाते थे ,फिर विदेशों में रंगीन पोर्सिलेन बेचते थे ।यह क्वांग चो रंगीन पोर्सिलेन पैदा होने का इतिहास है ।वर्तमान में अनेक देशों के संग्रहालय व निजी संग्राहलयों में उस समय की रंगीन पोर्सिलेन सुरक्षित हैं ।

क्वांग चो का कशीदा भी बहुत मशहूर है ।वर्ष 1514 में पुर्तगाल के एक व्यापारी ने क्वांग चो में चीनी बादशाह के लिए काढा गया एक रोब खरीदा ।स्वदेश लौटने के बाद उन्होंने यह रोब पुर्तगाल के नरेश की सेवा में पेश किया ।पुर्तगाल के नरेश सुंदर चीनी रोब देख कर बहुत प्रसन्न हुए । नरेश ने उस व्यापारी को बडा इनाम दिया ।इस से क्वांग चो का कशीदा जल्द ही विदेशों में मशहूर हो गया ।क्वांग चो के कशीदे की चर्चा करते हुए लोककला के विशेषज्ञ छो शाओ मिंग ने हमें बताया ,क्वांग चो के कशीदा के चित्र मुख्य तौर पर फूल व पक्षियों से संबंधित हैं ।अच्छी कढ़ाई के लिए चित्र बनाने में निपुण होना चाहिए ।इस के अलावा क्वांग चो का कशीदा देखने में बहुत सजीव है और त्रिआयामी लगता है ।

कहा जाता है कि 16वीं सदी में ब्रिटिश महारानी इलिजाबेथ ने क्वांग चो का कशीदा मंगवाया था और अपने शाही भवन में क्वांग चो कशीदा की वर्कशाप स्थापित की थी ।अब पेइचिंग के पुराने संग्रहालय में मूल्यवान क्वांग चो कशीदे की रचनाएं देखने को मिलती हैं ।

क्वांग चो स्थित क्वांग तुंग प्रांतीय लोककला संग्रालय में विभिन्न किस्मों की लगभग 20 हजार श्रेष्ठ लोककलात्मक रचनाएं हैं । इस संग्रहालय के निदेशक ली चुए छी ने बताया ,अगर लोग हमारे यहां आते हैं ,तो उन को बहुत आकर्षक लोककला रचनाएं दिखाई देंगी ।हम एक साल में बीसेक अस्थाई प्रदर्शनियां भी लगाते हैं और निरंतर समाज के सामने नयी लोककला की रचनाएं प्रस्तुत करते हैं ।

पेइचिंग आपेरा के बारे में तो आप शायद जानते होंगे । पर प्रवासी चीनियों में सब से लोकप्रिय चीनी आपेरा युए आपेरा यानी क्वांग तुंग आपेरा है ।इस आपेरा की भाषा क्वांग चो भाषा है । युए आपेरा में पश्चिमी देशों के संगीत वाद्य हैं ,जो चीन व पश्चिम के संगीत मिलाप का एक उदाहरण है ।युए आपेरा विशेषज्ञ क्वो इंग वेइ ने हमारे संवाददाता को बताया ,युए आपेरा की जीवनी शक्ति इस कला का निरंतर सृजन है ।दक्षिण चीन के क्वांग तुंग प्रांत ,क्वांग शी प्रांत और प्रवासी चीनियों की कॉलोनियों में युए आपेरा का मजबूत आधार है ।

वर्ष 2006 में चीन सरकार ने प्रथम जत्थे की गैर भौतिक सांस्कृतिक अवशेषों की नामसूची सार्वजनिक की ,जिस में युए आपेरा ,क्वांग तुंग संगीत व क्वांग चो कशीदा समेत सात इवेंट शामिल हैं ।वर्ष 2008 में चीन सरकार द्वारा घोषित दूसरे जत्थे की गैर भौतिक सांस्कृतिक अवशेषों की नामसूची में क्वांग चो की 6 लोककलाएं शामिल हैं ।

युए आपेरा व क्वांग चो कशीदा जैसी लोककलाओं का विदेशों के साथ किसी न किसी हद तक संबंध है ।इस से यह जाहिर है कि चीन के दक्षिण द्वार के नाते क्वांग चो प्राचीन समय से ही चीन और बाहरी विश्व के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान का एक पुल रहा है ।

संदर्भ आलेख
आप की राय लिखें
सूचनापट्ट
• वेबसाइट का नया संस्करण आएगा
• ऑनलाइन खेल :रेलगाड़ी से ल्हासा तक यात्रा
• दस सर्वश्रेष्ठ श्रोता क्लबों का चयन
विस्तृत>>
श्रोता क्लब
• विशेष पुरस्कार विजेता की चीन यात्रा (दूसरा भाग)
विस्तृत>>
मत सर्वेक्षण
निम्न लिखित भारतीय नृत्यों में से आप को कौन कौन सा पसंद है?
कत्थक
मणिपुरी
भरत नाट्यम
ओड़िसी
लोक नृत्य
बॉलिवूड डांस


  
Stop Play
© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040