प्रिय श्रोताओं, विश्व मेले ने सामूहिक रूप से अनेक महत्वपूर्ण सृजन एवं वैज्ञानिक व तकनीक उपलब्धियों का प्रदर्शन किया है। कंप्यूटर व सी.डी प्लेयर विश्व मेले के प्रदर्शन मंच पर प्रथम बार प्रदर्शित किए गए थे।उच्च व नवीन तकनीक के अलावा, विश्व मेले ने दुनिया की विविधतापूर्ण संस्कृति के आदान-प्रदान व मिलन को भी बढ़ाया है और लोगों के लिए मूल्यवान मानसिक संपत्ति दी है। विश्व मेले ने मेजबान देश को क्या धरोहर दी है। आज के इस कार्यक्रम में हम आप लोगों को शांगहाई विश्व मेले में ले चलेंगे और एक साथ विश्व मेले के प्रभाव को महसूस करेंगे।
हर सुबह विश्व मेले के उद्यान में अनेक पर्यटक एक छोटी कद वाली दादी को देख सकते हैं, वे हैं, 61 वर्षीय जापानी, विश्व मेले की सुपर प्रेमी यामादा टोमियो। जापानी एइजी विश्व मेले के दौरान, उन्होंने रोज़ विश्व मेले के उद्यान का दौरा किया और कुल मिलाकर 243 बार उद्यान गयीं। शांगहाई विश्व मेले से पहले, सुश्री यामादा टोमियो ने 184 टिकट खरीदे और विश्व मेले का दौरा करना शुरु किया। विश्व मेले के प्रति गहरी रूचि की चर्चा करते समय सुश्री यामादा टोमियो ने कहा कि विश्व मेला न केवल उन का, बल्कि पूरे जापान का भी सपना है।
जब मेरा जन्म हुआ, उस समय जापान बहुत पिछड़ा हुआ था। हमें पता नहीं था कि जापान का भविष्य कैसा होगा। उस वक्त विश्व मेले के आयोजन ने जापान को नया सपना दिया। विश्व मेले को देखने के बाद जापानी लोग और मेहनत से काम करके जापान के अर्थतंत्र का विकास करने की कोशिश करने लगे ।
वास्तव में, वर्ष 1970 में हुआ ओसाका विश्व मेला जापान में भारी परिवर्तन लाया । शांगहाई विश्व मेले के जापानी राष्ट्र हॉल के प्रधान श्री नोरियोशी एहारा का मानना है कि जापानी ओसाका विश्व मेले ने वेशभूषा, खान-पान, निवास स्थान एवं यातायात आदि विभिन्न क्षेत्रों में जापान पर प्रभाव डाला। श्री यामादा टोमियो के अनुसार,
विश्व मेले में अक्सर नए सृजन आते हैं, जो भविष्य के जीवन के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। मिसाल के लिए, औसाका विश्व मेले के दौरान फास्ट फूड एवं पैदल चलने वाली सड़कें नजर आती थीं। हालांकि ये सब आज बहुत सामान्य सी बात है, लेकिन, उस वक्त यह नयी चीज़ें थीं। इस के अलावा, ओसाका विश्व मेले के बाद मकानों का निर्माण और सरल हो गया। लोगों ने पता चला कि सरल मकान लोगों के जीवन को और सुविधा पूर्ण बना सकते हैं।
सुश्री यामादा टोमियो ने अनेक बार विश्व मेले का दौरा किया । उन का मानना है कि विश्व मेला न केवल लोगों के दैनिक जीवन को बदल सकता है, बल्कि लोग इस से अनेक नई बातें भी सीख सकते हैं।
विश्व मेले ने लोगों को स्वेच्छा से सीखने का मौका दिया है। लोग इस से अनेक नई बातें सीख सकते हैं, जो पुस्तकों से संभव नहीं है। जब हम स्कूल में पढ़ते हैं, तो आम तौर पर हमें विवश होकर कक्षा जाना पड़ता है, जबकि विश्व मेले का दौरा करना तो स्वेच्छा की बात है। अपनी इच्छा से लोग विश्व मेले का दौरा करते हैं।
शांगहाई विश्व मेले के उद्यान के प्रमुख डिजाईनर वू जीछ्यांग सुश्री यामादा से सहमत हैं। श्री वू जीछ्यांग ने 1984 से ही विश्व मेले पर ध्यान देने लगे थे और उन्होंने इस के बाद के हरेक विश्व मेले का संजीदगी से अनुसंधान किया है। श्री वू के विचार में बच्चों को विश्व मेले का दौरा करना चाहिए, चूंकि वे लोग दुनिया का भविष्य हैं। वे विश्व मेले के आयोजन करने की सब से बड़ी धरोहर भी हैं। श्री वू ने कहा,
विश्व मेले को देखने के बाद बच्चों के मन में कुछ विशेष भावना पैदा होती है। यानि वे न केवल सृजन करना चाहते हैं, बल्कि सीखना भी चाहते हैं। यदि एक बच्चा मनमाने ढंग से पढ़ता है, तो एक दिन उसे थकान महसूस होगी। लेकिन, यदि वह सृजन करने के मकसद से पढ़ता है, तो उस के लिए बड़ी खुशी की बात होगी।
शांगहाई विश्व मेले के मामलात समन्वय ब्यूरो के प्रवक्ता श्री श्वू वेई ने कहा कि विश्व मेले की इस खिड़की के जरिये चीनी लोग बाहरी दुनिया की और ज्यादा जानकारी पा सकते हैं और अपने दृष्टिकोण का विस्तार कर सकते हैं।
चीन के कुछ स्थानीय सरकारी संगठनों के प्रबंधकों ने भी शांगहाई विश्व मेले का दौरा किया और इस अनुभव से सीखा। शांगहाई विश्व मेले के मामलात समन्वय ब्यूरो के प्रवक्ता श्री श्वू वेई ने परिचय देते समय बताया,
चूंकि शांगहाई विश्व मेले में सब से अच्छे शहरी अभ्यास क्षेत्र में विभिन्न शहरों के वातावरण का सुधार करने एवं कचरे का निपटारा करने आदि के अच्छे तरीकों का प्रदर्शन किया गया है, इसलिए, शहरी प्रबंधकों के लिए विश्व मेले का दौरा करना एक बहुत अच्छा प्रत्यक्ष अनुभव है।
विश्व मेले ने लोगों को एक दूसरे से सीखने व आदान-प्रदान के लिए मंच दिया है। शहरी अभ्यास क्षेत्र में चीनी शहरी प्रबंधक सीखने के अनेक उदाहरण देख पाएंगे। वर्तमान शांगहाई विश्व मेले में वैंकुवर शहर का प्रदर्शन हॉल है। वैंकुवर म्युनिसिपल की अधिकारी सुश्री छ्वू य्वनई ने परिचय देते हुए बताया कि 1986 विश्व मेले के बाद वैंकुवर फार्मूले की खोज हुई और शहर के केंद्रीय भाग में बड़ी आबादी एवं वातावरण व आर्थिक विकास के बीच संबंध का अच्छी तरह निपटारा किया गया। सुश्री छ्वू के अनुसार,
वर्ष 1986 के वैंकुवर विश्व मेले पर हम ने बहुत ज्यादा ध्यान दिया था। हम ने अपने शहर को अच्छा बनाया। अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मान्यता दी है कि हम हरित समुदाय़ हैं। विविधता, स्थिरता व हरापन हमारा लक्ष्य है। हम यातायात पर ध्यान देने लगे हैं और यातायात सुविधापूर्ण हो गया है। जब हम सिंहावलोकन करते हैं, तो पाते हैं कि शहरी क्षेत्र में आबादी में 25 प्रतिशत की वृद्धि होने के बावजूद निजी गाड़ियों के इस्तेमाल में 17 प्रतिशत की कटौती हुई है।
श्रोताओं, इतिहास में कनाडा ने दो बार विश्व मेले का आयोजन किया है। वर्ष 1967 मान्ट्रियल विश्व मेले के दौरान, कनाडा में आबादी केवल 2 करोड़ से ज्यादा थी, लेकिन, यह आबादी अब 5 करोड़ से ज्यादा पहुंच गई है । यह विश्व मेले के एक सौ साल के इतिहास में सब से सफल विश्व मेला था। कनाडा के प्रमुख प्रतिनिधि श्री मार्क एच रोस्वेल ने यह माना कि विश्व मेले ने कनाडा को दुनिया में और सफल बनाया है। शांगहाई विश्व मेला भी चीन को दुनिया में प्रवेश करने का मौका देगा। साथ ही विश्व मेले का दौरा करने से चीन दुनिया को और अच्छी तरह जान सकेगा।
विश्व मेले में आने का एक महत्वपूर्ण मकसद है कि कनाडा समेत विभिन्न देशों के राष्ट्र हॉल को देखना। इसलिए, मेरे विचार में विश्व मेले में लोग आदान प्रदान कर सकते हैं। निस्संदेह शांगहाई विश्व मेले से शांगहाई में अनेक बुनियादी संचरनाओं का सुधार किया गया है, यातायात सुधरा है और कुछ नयी इमारतें बनी हैं। लेकिन,शांगहाई विश्व मेला संभवतः लोगों को कुछ सांस्कृतिक धरोहर या मानसिक धरोहर भी दे सकेगा।
शांगहाई विश्व मेले के चीन के भविष्य पर असर की चर्चा करते समय शांगहाई विश्व मेले के उद्यान के प्रमुख डिज़ाईनर श्री वू जीछ्यांग ने कहा,
सभी देश अपने पहले के सृजन, निजी सृजन एवं भविष्य के सृजन को विश्व मेले में लाते हैं। पहले चीन एक बड़ा कृषि प्रधान देश था, लेकिन, 30 वर्षों के बाद चीन एक बड़ा औद्योगिक देश बन चुका है। हमें आशा है कि वर्तमान विश्व मेले के जरिये हम 30 वर्षों में चीन को एक बड़ा सृजन कारी देश बना सकेंगे।