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भारतीय आई.ए.एन.एस के निदेशक बासू से साक्षात्कार
2010-07-15 15:51:05

हार में सी.आर.आई के एक प्रतिनिधि मंडल ने भारत की यात्रा की। एक हफ्ते की यात्रा में प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यतः भारत की कुछ प्रेस मीडिया संस्थाओं से संपर्क किया। भारतीय आई.ए.एन.एस प्रतिनिधि मंडल का प्रथम पड़ाव बना। वहां हमारी मुलाकात निदेशक बासू से हुई।

आई.ए.एन.एस के निदेशक एवं प्रमुख संपादक श्री बासू से दफ्तर में हम ने इंटरव्यू लिया। श्री बासू एक अनुभवी मीडिया कर्मी हैं। श्री बासू ने कहा कि वे चीन से बहुत परिचित हैं। पिछले 10 से ज्यादा वर्षों में उन्होंने 8 बार चीन की यात्रा की है। तीन बार उन्होंने पत्रकार के रूप में भारतीय नेताओं के साथ चीन की यात्रा की थी।वर्ष 1993 में उन्होंने तत्कालीन भारतीय प्रधान मंत्री राव के साथ पेइचिंग की यात्रा की, वर्ष 2003 में उन्होंने भूतपूर्व भारतीय प्रधान मंत्री वाजपेई के साथ चीन की यात्रा की, जबकि गत वर्ष उन्होंने प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के साथ चीन की यात्रा की। चीन के प्रति श्री बासू की बहुत मैत्रीपूर्ण भावना है। चीन-भारत संबंध के प्रति उन का स्पष्ट विचार है।

उन के अनुसार,भारत में अनेक मीडिया संस्थाएं हैं। हर एक मीडिया संस्था की अपनी-अपनी विचारधारा है और विभिन्न आवाज़ें हैं। कुछ छोटी मीडिया संस्थाओं के कथनों को हम नजरअंदाज कर सकते हैं। मेरे विचार में चीन व भारत के बीच संबंध आम तौर पर अच्छा है और आगे स्वस्थ विकास हो रहा है। चीन व भारत के बीच आर्थिक व व्यापारिक विकास तेज़ी से हो रहा है। हाल में दोनों के बीच व्यापार रक्म लगभग 50 अरब अमेरिकी ड़ॉलर तक पहुंच गई है। मीडिया संस्था होने के नाते, हमारा यह कर्त्तव्य है कि दोनों देशों की जनता को सच्ची व विश्वसनीय खबरें दें।

भारतीय आई.ए.एन.एस की स्थापना वर्ष 1986 में हुई थी। हाल में वह भारत की सब से मशहूर निजी एजेंसियों में से एक है। आई.ए.एन.एस की कोई सौ शाखाएं हैं, जो मुख्यतः भारत समेत दक्षिण एशियाई देशों को खबरें देती हैं। वह अनेक विदेशी मीडिया संस्थाओं से भी सहयोग संबंध रखती हैं। हाल में आई.ए.एन.एस अंग्रेज़ी, हिन्दी एवं अरबी भाषा में न्यूज़ देती है, साथ ही वह प्रकाशन, वाणिज्य परामर्श एवं नयी मीडिया सेवा भी देती है। आई.ए.एन.एस के ग्राहकों में भारत के विभिन्न टी.वी. स्टेशन, प्रकाशन गृह, विभिन्न वेबसाइटें, भारतीय सरकारी संस्थाएं एवं भारत स्थित विदेशी संस्थाएं शामिल हैं। वे सब आई.ए.एन.एस से न्यूज़ या सूचना सेवा लेते हैं। आई.ए.एन.एस के अपने संपादन व इंटरव्यू लेने वाले कर्मचारी हैं और अपनी वेबसाइट भी है। साथ ही आई.ए.एन.एस भारत में सब से पहले मोबाइल फोन पर न्यूज़ देने वाली मीडिया संस्थाओं में से एक है। साक्षात्कार में श्री बासू ने कहा कि मीडिया संस्था होने के नाते, हमारा प्राथमिक कर्त्तव्य लोगों को सही खबर देना है। चीन व भारत की मीडिया संस्थाओं के लिए यह कर्त्तव्य अत्यन्त महत्वपूर्ण है।

उन के अनुसार,मीडिया संस्था होने के नाते, हमें लोगों को यह बताना चाहिए कि भारत व चीन कैसे देश हैं। हमें लोगों को सही खबरें देनी चाहिए। हमें भारतीय लोगों को चीन में हुए परिवर्तन के बारे में बताना चाहिए, ताकि भारतीय लोगों को मालूम हो कि चीन कैसे आगे विकसित हो रहा है, चीन के शहर कितने सुन्दर हैं, चीन में कितने बड़े-बड़े सुपरमार्किट या शॉपिंग सैन्टर हैं, चीन में कैसे सुन्दर कैम्पस एवं व्यायाम केंद्र हैं। इस तरह, भारतीय लोगों के मन में चीन जाकर अपनी आंखों से चीन देखने की इच्छा होगी।

गत वर्ष चीन व भारत की मीडिया संस्थाओं के बीच हुए विवाद की चर्चा में श्री बासू का अपना विचार है। उन्होंने कहा भारत व चीन के संबंध में कुछ असामन्जस्यपूर्ण आवाज़ होना प्रमुख धारा नहीं है। इस तरह की आवाज़ होने का कारण है कि दोनों देशों की जनता व मीडिया संस्थाओं के बीच आदान-प्रदान का अभाव है। भारत व चीन के बीच आवाजाही को आगे विकसित करना भारत व चीन के बीच मौजूद समस्याओं का समाधान करने का बुनियादी तरीका है।

उन के अनुसार,जब लोग अपने आप महसूस करते हैं, तो हमारे बीच वह असामन्जस्यपूर्ण आवाज़ अपने आप गायब हो जाएगी। वास्तव में यह केवल सरकारी स्तर पर मौजूद है, हमारे आम नागरिकों के बीच इस तरह का विचार नहीं है। दोनों देशों की जनता बहुत मैत्रीपूर्ण है। आप भारत व चीन के बीच उड़ान भरने वाली फ्लाईट देखिये, रोज़ भरी हुई होती है। अनेक आम नागरिक विमान पर सवार होकरके भारत व चीन आते-जाते हैं। हम मीडिया संस्थाओं को लोगों के इस तरह के आदान प्रदान को प्रेरित करना चाहिए।

श्री बासू ने कहा कि आई.ए.एन.एस सी.आर.आई से और ज्यादा लाभदायक सहयोग करने को तैयार है। हालिया समाज में किसी एक मीडिया के पास सभी खबरें होती हैं। मीडिया संस्थाओं के बीच सहयोग करना बहुत जरूरी है। एक दूसरे के साथ सहयोग व आदान-प्रदान करना हम मीडिया संस्थाओं के सहअस्तित्व की पूर्व शर्त है। श्री बासू ने कहा कि पिछले कई वर्षों में पैमाने या व्यवसाय रक्म में भारतीय मीडिया संस्थाओं की भारी वृद्धि हुई है। खास तौर पर नए मीडिया व्यवसाय का विकास अति तेज़ है। उदाहरण के लिए, मोबाइल फोन पर सूचना देने की सेवा की विकास गति सब से तेज़ है। आई.ए.एन.एस भारत में सी.आर.आई. के व्यवसाय का विस्तार करने के लिए पुल की भूमिका अदा करने को तैयार है।

उन के अनुसार,हम विभिन्न स्तरों पर सहयोग कर सकते हैं। हिन्दी क्षेत्र में हम आप लोगों को मदद दे सकते हैं और हिन्दी का इस्तेमाल करने वाले क्षेत्रों में आप के रेडियो का प्रसार कर सकते हैं। हम आप लोगों को भारत से संबंधित जानकारी दे सकते हैं। साथ ही हम आप लोगों को भारतीय श्रोताओं की रूचि का सर्वेक्षण भी कर के दे सकते हैं, ताकि आप लोग और तदनुरूप प्रोग्राम बना सकें। मेरे विचार में हमारे श्रोता मुख्यतः 30 की उम्र के नीचे के युवा हैं। हम उन्हें चीनी भाषा सीखने के प्रोग्राम दे सकते हैं और उन्हें चीनी विश्वविद्यालय संबंधित जानकारी भी दे सकते हैं। हमारी दोनों संस्थाओं की कोशिश से अनेक खबरों या सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा सकता है।

वर्ष 2008 में श्री बासू ने पेइचिंग आकर पेइचिंग ऑलंपियाड देखा। ऑलंपियाड के सफल आयोजन ने उन पर गहरी छाप छोड़ी है। श्री बासू का मानना है कि कोई भी अन्य देश पेइचिंग ऑलंपियाड से और बेहतर ऑलंपियाड का आयोजन नहीं कर सकता। चीन एशियाई देश है, जो भारत का महत्वपूर्ण पड़ोसी देश है। दुनिया में चीन की उच्च प्रतिष्ठा है, जिस के प्रति भारतीय जनता भी गौरव महसूस करती है। अब भारत कॉमनवैल्स खेल समारोह की तैयारी कर रहा है। चीनी ऑलंपिक कमेटी ने भारत को भारी मदद दी और भारत को अनेक लाभदायक अनुभव भी मिले हैं। इस के प्रति भारतीय मीडिया ने कुछ रिपोर्टें भी दी हैं। भारत व चीन के संबंध के भविष्य के प्रति श्री बासू बहुत आशावान हैं। उन के अनुसार,भारत व चीन के संबंध का भविष्य बहुत उज्ज्वल होगा। आगामी 10 या 20 वर्षों में भारत व चीन दुनिया में सब से मजबूत शक्तियों में से एक बनेंगे। पश्चिमी देश भारत व चीन के अस्तित्व को नजरअंदाज नहीं कर सकेंगे। भारत-चीन संबंध के प्रति मुझे पक्का विश्वास है।(श्याओयांग)

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