दोस्तो, शहरीकरण की प्रक्रिया दिन-ब-दिन बढ़ने के साथ-साथ विश्व के बहुत शहरों को इस दौरान मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। उदाहरण के लिये गरीब व अमीर में बढ़ता अंतर, प्रदूषण, यातायात की भीड़, सामाजिक संपर्क में बाधा आदि। इस वर्ष के मई में उदघाटित होने वाले शांघाई विश्व मेले का मुद्दा है अच्छा शहर , अच्छा जीवन । इससे यह जाहिर है कि वर्तमान में विश्व को शहर के विभिन्न प्रकार्यों का सुधार करना चाहिए। लंबे समय में शहरीकरण मामले में जुटे विशेषज्ञ, भारत के नयी दिल्ली में स्थित प्रसिद्ध अनुसंधान प्रतिष्ठान के भारतीय आवासी केंद्र के अध्यक्ष आर.एम.एस.लिबर्हान ने हाल ही में हमारे संवाददाता हू मिन को इन्टरव्यू देते समय शहरीकरण की प्रक्रिया में भारत के सामने मौजूद समस्याएं तथा उन्हें निपटाने के उपायों का परिचय दिया।
55 वर्षीय लिबर्हान लंबे समय में भारतीय शहरीकरण का अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मानव ने कम से कम पांच हजार से पहले बड़े पैमाने वाले शहरीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। लोग शहर का निर्माण करके इस में जीवन बिताते हैं। इस का लक्ष्य यह है कि उन्हें ज्यादा उच्च गुणवत्ता वाला जीवन चाहिए। लेकिन आज शहरीकरण लगातार बढ़ रहा है। इस के साथ बहुत समस्याएं भी पैदा हुई हैं। उदाहरण के लिये भारत में बहुत शहरों में ऐसे लोग रहते हैं, जो गरीबी रेखा के नीचे हैं। वे लोग बुनियादी सुविधाओं के गंभीर अभाव में जीवन बिता रहे हैं। लिबर्हान ने कहा कि इस मामले का समाधान भारत सरकार के सामने एक बड़ी मुश्किल बन गया है।
उन्होंने कहा कि शहरीकरण की प्रक्रिया में भारत के सामने बहुत मुश्किलें मौजूद हैं। जैसे:बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करना, शहरी नागरिकों को मकान देना, और शहरी कचरे का निपटारा करना आदि। भारत को उन बुनियादी सुविधाओं के निर्माण को पूरा करना पड़ेगा, ताकि शहरीकरण की प्रक्रिया में मौजूद मुश्किलों को दूर किया जा सके।
लिबर्हान ने उदाहरण देते हुए कहा कि शहरीकरण के विकास के साथ-साथ भारत की राजधानी नयी दिल्ली में तो बहुत समस्याएं हैं। जैसे:वायु प्रदूषण की गंभीरता, वृक्षारोपण का ह्रास, शहरी जनसंख्या में तेज़ वृद्धि आदि। उन मामलों में सब से गंभीर मामला, जो स्थानीय लोगों की जीवन गुणवत्ता पर कुप्रभाव डालता है, वह यातायात की भीड़ है। अब नयी दिल्ली विश्व में यातायात की दृष्टि से सब से भीड़भाड़ वाले शहरों में से एक बन गया है। लिबर्हान ने कहा कि यातायात के मामले के समाधान में एक पूरे यातायात जाल की स्थापना करने की ज़रूरत है।
उन्होंने कहा कि सब से महत्वपूर्ण बात एक पूरे यातायात जाल की स्थापना है। अगर उपनगर में रहने वाले लोग भी सुविधाजनक रूप से जीवन से जुड़ी सभी सुविधाएं प्राप्त कर सकेंगे, तो उन्हें शहर के केंद्र में रहने की ज़रूरत नहीं है। अगर लोग यातायात जाल द्वारा एक घंटे में अपने ऑफिस पहुंच सकते हैं, तो वे शहर के बाहर भी रह सकते हैं।
लिबर्हान ने कहा कि रेल यातायात पर्यावरण संरक्षण के लिये एक बहुत अच्छा तरीका है। अनवरत आर्थिक विकास की दृष्टि से देखा जाए, तो बड़े शहर में मेट्रो के यातायात जाल की स्थापना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अब भारत के विभिन्न शहरों का मानना है कि यातायात जाल का विकास बहुत महत्वपूर्ण है। वे शहरी यातायात स्थिति का सुधार कर रहे हैं, और मेट्रो जाल का निर्माण कर रहे हैं। आने वाले समय में भारत के सभी बड़े शहरों में मेट्रो, लाइट रेल-वे, कम दूरी वाली रेल-वे के एकीकरण का निर्माण किया जाएगा। उस समय यातायात की भीड़ का समाधान बड़ी हद तक किया जा सकेगा।
शहरीकरण के विकास के साथ मकानों का दाम भी तेज़ी से बढ़ रहा है। नयी दिल्ली, मुंबई आदि भारत के बड़े शहरों में मकानों की आपूर्ति तनाव में है। बहुत शहरों में मकानों का दाम तेज़ी से बढ़ रहा है। लिबर्हान के ख्याल से शहर में जगह की कमी के कारण यह असंभव है कि मकानों का निर्माण असीमित रूप से बढ़ेगा। इसलिये इस दबाव को शिथिल करने के लिये उपनगरों के विकास में गति देनी चाहिये।
उन्होंने कहा कि वास्तव में भारत में मकानों का दाम बढ़ने का मामला भी बहुत गंभीर है। क्योंकि शहरीकरण की प्रक्रिया में ज़मीन हमेशा कम है। इसलिये उपनगर के विकास को गति देनी चाहिए। उदाहरण के लिये नयी दिल्ली के उत्तरी क्षेत्र में यातायात समेत बुनियादी सुविधाओं का विकास करना चाहिए। केवल ऐसा करके शहर में मकानों के दाम के दिन-ब-दिन बढ़ने का दबाव शिथिल हो सकेगा।
लिबर्हान ने कहा कि अब बहुत विकासशील देशों में बुनियादी सुविधाओं के अभाव, पर्यावरण के प्रदूषण तथा अमीर व गरीब के बढ़ते अंतर ने शहर के अनवरत विकास पर गंभीर रुप से कुप्रभाव डाला है। जैसे:भारत में अब एक तिहाई जनसंख्या 23 बड़े शहरों में केंद्रित है। जिससे भारत के बड़े शहर असीमित रूप से फैल रहे हैं, और मध्य व छोटे शहरों का विकास बहुत धीमा है। लिबर्हान ने बताया कि सरकार को संबंधित कदम उठाकर शहरों का स्वस्थ विकास करना चाहिए।
लिबर्हान ने कहा कि शहर को लोगों के लिये भौतिक शर्तें पेश करने के अलावा लोगों की मानसिक मांग भी पूरी करनी चाहिए। आधुनिक बड़े शहरों में लोगों की जीवन गति बहुत तेज़ है, और दबाव बहुत है। लेकिन आपसी संपर्क बहुत कम है। लिबर्हान ने कहा कि इस पक्ष में भारत की परंपरागत संस्कृति व दर्शनशास्त्र अपनी भूमिका अदा कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि लोगों को शहरी जीवन में मौजूद भिन्न-भिन्न दबावों का सामना करना पड़ता है। इस दिशा में भारत की परंपरागत संस्कृति व दर्शनशास्त्र मदद दे सकेंगे। क्योंकि भारत की परंपरागत संस्कृति में मन का चेत बहुत महत्वपूर्ण है। परंपरागत संस्कृति को सीख व समझ कर लोग दबाव को कम कर सकेंगे, और मानसिक आन्नद प्राप्त कर सकेंगे।(चंद्रिमा)