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भारत-चीन के राजनयिक संबंधों की 60 वीं वर्षगांठ पर एक विशेष कार्यक्रम
2010-04-12 09:34:36
 

भारत व चीन के राजनयिक रिश्तों की 60 वीं वर्षगांठ पर पेइचिंग में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। छह अप्रैल को चीन स्थित भारतीय दूतावास ने एक समारोह आयोजित किया । इस मौके पर भारतीय विदेश मंत्री एस.एम.कृष्णा व चीनी स्टेट काउंसलर ताई पिंगक्वो, चीनी जन विदेशी मैत्री संघ के अध्यक्ष छेन हाओसु के अलावा चीन-भारत मैत्री संघ के चंग चेनह्वा भी मौजूद थे।

समारोह में भारतीय विदेश मंत्री एस. एम कृष्णा ने चीनी नेताओं का स्वागत करते हुए कहा कि दोनों देशों के राजनयिक संबंधों की 60 वीं वर्षगांठ पर पेइचिंग में मौजूद होने पर यह मेरे लिए एक सम्मान का मौका है। उन का कहना है

"मैं बहुत खुश हूं और कामना करता हूं कि आप सभी इस ऐतिहासिक अवसर पर खुशहाल रहें। 60 साल पहले दोनों देशों ने नवोदित देशों के रूप में अपनी यात्रा शुरू की, वह ऐसा दौर था जब हम दोनों ने उपनिवेशवाद की गुलामी के चक्र को तोड़कर स्वतंत्रता हासिल की। वह पूर्ण आशा का समय था कि हम अपने महान देशों की विरासत को फिर से हासिल कर पाएंगे और हमारी जनता दमन के कुचक्र से आजाद होकर दुनिया में सही जगह पहुंचने का सपना देख सकती थी।"

विदेश मंत्री ने कहा कि पहले भी भारत व चीन एक दूसरे को प्रेरणा के तौर पर देखते थे। इसी कारण से भारत 1 अप्रैल 1950 को चीन से राजनयिक संबंध स्थापित करने वाला पहले गैर समाजवादी देश बना। दोनों देश एक लंबे दौर से गुजरे हैं और आगे लम्बा और सफर तय करना है।

न केवल हमारे लोग भूख, बीमारियों आदि से मुक्त हो रहे हैं बल्कि यह कह सकते हैं कि हम दोनों मजबूत जीवंत देशों के तौर पर उभरे हैं। भारत व चीन युवा देश हो सकते हैं लेकिन हमारी प्राचीन सभ्यता है जिसके चलते सैकड़ों वर्षों से हमने एक-दूसरे से सीखा है और आज भी एक-दूसरे से सीख सकते हैं। तेजी से उभरते दौर में और भी बहुत कुछ किया जा सकता है। दोनों देशों के संबंध न केवल भारत व चीन बल्कि पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं।

एस.एम. कृष्णा ने कहा कि भारत-चीन का मैत्रीपूर्ण सहयोग न सिर्फ़ दोनों देशों के हितों से मेल खाता है, बल्कि विश्व के विभिन्न देशों के लिये भी लाभदायक है। दोनों देशों के बीच सहयोग की निहित शक्ति बहुत बड़ी है, और इस की संभावना बहुत विस्तृत होगी। भारत व चीन को लगातार कोशिश करके दोनों देशों व दोनों देशों की जतना के बीच आदान-प्रदान व सहयोग को मजबूत करना और समझ को गहन करना चाहिए।

हमारी संवाददाता से बातचीत में श्री कृष्णा ने कहा कि भारत व चीन के राजनयिक संबंधों की 60 वीं वर्षगांठ पर मैं यहां आकर बहुत खुश हूं। मैं भारत के लोगों के साथ-साथ भारत सरकार की शुभकामनाएं यहां लेकर आया हूं। उन्होंने कहा, भारत व चीन के संबंधों में एक नया दौर देखने में आ रहा है। हम दोनों एक-दूसरे का समादर करते हैं। मुझे उम्मीद है कि हमारी मित्रता और बढ़ेगी।  एशिया में दो बड़े विकासशील देश होने के साथ-साथ दुनिया की 40 प्रतिशत जनसंख्या भी हमारी है। हमारे ऊपर एक बड़ी जिम्मेदारी है, और हम अपने परिपक्व रिश्तों को और मजबूत बनाने जा रहे हैं।

सत्कार समारोह में चीन विदेशी मैत्री संघ के अध्यक्ष छन हाओसू ने भी भाषण दिया, उन्होंने कहा कि विश्व में सबसे प्राचीन सभ्यता वाले देशों में से दो होने के नाते चीन और भारत मैत्रीपूर्ण पड़ोसी देश हैं । दोनों के बीच आवाजाही का इतिहास भी बहुत पुराना है। दो हज़ार वर्षों से अधिक लंबे समय में चीन और भारत आदान प्रदान के जरिए दोस्ती को आगे बढ़ा रहे हैं। महात्मा बुद्ध और ह्वेन त्सांग ने बौद्ध धर्म से दोनों देशों की जनता को जोड़ने में अहम भूमिका निभाई। रविन्द्रनाथ ठागौर ने सांस्कृतिक रचनाओं के जरिए हिमालय पर्वत के दोनों तरफ की जनता की पारस्परिक समझ के लिए पुल का निर्माण किया और साथ ही डाक्टर कोटनिस ने चीनी जनता की मुक्ति के लिए अपनी जान अर्पित की। इन सब लोगों की चीनी और भारतीय जनता के दिल में गहरी छाप पड़ी और दूरगामी प्रभाव देखने में आया। चीन व भारत के बीच कूटनीतिक संबंध स्थापना की 60वीं वर्षगांठ की चर्चा में छन हाओसू ने कहा:

"चीनी संस्कृति में 60 वर्ष का विशेष मतलब होता है, जिससे एक नये युग की शुरूआत जाहिर होती है। चीनी जन वैदेशिक मैत्री संघ भारत के विभिन्न जगतों के व्यक्तियों के साथ मिलकर दोनों देशों के बीच गैर सरकारी मैत्री व सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए योगदान करने को तैयार है।"

चीन व भारत के बीच कूटनीतिक संबंध स्थापना की 60वीं वर्षगांठ की खुशियां मनाने के लिए दोनों देशों में कई कार्यक्रम पेश किए जा रहे हैं। कुछ दिन पहले चीन स्थित भारतीय दूतावास ने इन्टरनेट के जरिए लोगो प्रतियोगिता आयोजित की। इसमें कई चीनी नेटीजनों ने भाग लिया। छह अप्रैल के समारोह में भारतीय विदेश मंत्री ए.एम. कृष्णा ने इस प्रतियोगिता के विजेताओं को चुना। लोगो में साठ वाले अरबी संख्या के अंदर चीनी अक्षरों में चीन व भारत का प्रथम शब्द को शामिल किया गया है। लोगो पुरस्कार जीता चांग श्याओ य्वू ने। शांगहाई के दूसरे उद्योग विश्वविद्यालय से स्नातक चांग आजकल शांगहाई के एक काष्ठ निर्माण कंपनी में कार्यरत है। उन्होंने कहा कि उन्हें इन्टरनेट पर चीन व भारत के बीच कूटनीतिक संबंध स्थापना की 60वीं वर्षगांठ की लोगो संबंधी प्रतियोगिता के बारे में जानकारी मिली, और मैंने इसमें भाग लिया। इसकी चर्चा में चांग श्याओय्वू ने कहा:

"मुझे लगता है कि चीन व भारत की संस्कृति काफी विविध हैं। मैंने इन दोनों देशों की संस्कृतियों की खूब अपेक्षा की और धीरे-धीरे ज्यादा संबंधित जानकारी मिली। इसके बाद मैंने चीनी अक्षरों से चीन और भारत के पहले शब्दों को इस लोगो में जोड़ा, और इन दोनों शब्दों को साठ वाली संख्या में शामिल किया।"

भारत-चीन के राजनयिक संबंधों पर मैंने बात की एनडीटीवी के विशेष संवाददाता उमा शंकर सिंह से

 चीन व भारत के बीच कूटनीतिक संबंध स्थापित किए जाने की 60वीं वर्षगांठ की खुशियां मनाने के लिए दोनों देश अलग-अलग कार्यक्रम कर रहे हैं। चीन में भारत दिवस और भारत में चीन दिवस इनमें शामिल है। सात अप्रैल की रात को भारत दिवस की उद्धाटन रस्म पेइचिंग के चुंगशान संगीत हॉल में आयोजित हुई, जिसमें चीन के संस्कृति मंत्री छाई वू और यात्रा पर आए भारतीय विदेशमंत्री कृष्णा, चीन स्थित भारतीय राजदूत जयशंकर आदि देशी विदेशी व्यक्ति उपस्थित हुए । छाईवू और कृष्णा ने भाषण दिए।

श्री कृष्णा ने उद्धाटन समारोह में कहा कि भारत और चीन के बीच रणनीतिक साझेदारी संबंध मजबूत करने के लिए दोनों देशों की सरकारों ने चीन में भारत दिवस और भारत में चीन दिवस जैसे आयोजन करने का फैसला किया है। भारत दिवस समारोह में दोनों देशों की जनता की दोस्ती नज़र आ रही है। उन्हें आशा है कि भारत दिवस का समारोह चीन में सफल होगा।

भारत दिवस की शुरूआत भारतीय राष्ट्रीय नृत्य संगीत मंडली द्वारा प्रस्तुत《अंतिम आशीर्वाद》नामक नृत्य ओपेरा के साथ हुई। यह अशोक के बारे में ऐतिहासिक ओपेरा है, जिसमें बुराई पर अच्छाई की जीत और अंधेरे पर रोशनी की जीत दिखायी गई है। पता चला है कि भारत दिवस के श्रृंखलाबद्ध कार्यक्रम पेइचिंग, वूहान और क्वांगचो आदि 48 शहरों में आयोजित किए जा रहे हैं।

 

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