थाईलैंड की राजकुमारी शिलिनडूंग थाईलैंड में काफी लोकप्रिय हैं। बहुत चीनी लोग भी उन्हें पसंद करते हैं। सन् 1981 में उन्होंने चीन की पहली यात्रा की। इसके बाद वे हर साल चीन की यात्रा करती रही। उन्होंने थाईलैंड के लोगों को चीन के इतिहास और संस्कृति का परिचय दिया और चीन थाईलैंड के सांस्कृतिक आदान प्रदान व दोनों देशों की जनता की दोस्ती आगे बढ़ाने के लिए बड़ा योगदान दिया।
थाईलैंड के जुलालोंगकोर्न विश्वविद्यालय थाईलैंड में एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय है। कन्फ्यूशियस कॉलेज भी जुलालोंगकोर्न विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित है। हाल में कन्फ्यूशियस कॉलेज में नए चीन की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ के सुधार व रूपांतरण का संगोष्ठी आयोजित हुआ। शिलिनडूंग ने भी संगोष्ठी में भाग लिया और भाषण भी दिया।
जुलालोंगकोर्न विश्वविद्यालय के कन्फ्यूशियस कॉलेज चीन और थाईलैंड द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित किया गया पहला कन्फ्यूशियस कॉलेज है। शिलिनडूंग ने इस कॉलेज को स्थापित करने के लिए बड़ा समर्थन किया। सन् 2006 में उन्होंने चीन की यात्रा की। उन्होंने कहा कि थाईलैंड में चीनी भाषा को पदोन्नति करने के लिए कफ्न्यूशियस कॉलेज खोलना चाहिए। जुलालोंगकोर्न विश्वविद्यालय में कफ्न्यूशियस कॉलेज खोलने के लिए एक चीनी विश्वविद्यालय के साथ सहयोग भी करना चाहिए। शिलिनडूंग ने इस मौके पर पेइचिंग विश्वविद्यालय के साथ सहयोग करने की सलाह दी। उन्होंने दूसरे दिन में पेइचिंग विश्वविद्यालय की यात्रा की और दोनों विश्वविद्यालय के सहयोग करके कफन्यूशियस कॉलेज खोलने का समझौता संपन्न किया।
इसके बाद थाईलैंड में भी अन्य कफ्न्यूशियस कॉलेज खोले गए। थाइलैंड में विश्व में सब से अधिक कफ्न्यूशियस कॉलेज दश भी बन गया।
(पवन)