मेरा जन्म एक चर्च में हुआ था। उस समय वहां सैन्य टुकड़ी का अस्पताल था। मेरा जन्म होने के तुरंत बाद चर्च बम हमले में नष्ट हो गया किंतु मैं बच गयी।
नये चीन की स्थापना से पहले, चीनी किसानों के पास कोई भूमि नहीं थी। किसानों को जमींदारों की भूमि पर खेती का काम करना पड़ता था। खेती में अधिकांश फसलें जमींदारों को सौंपनी पड़ती थीं। 71 वर्षीय ली मींगछ्यैई उस समय केवल 11 साल की थी। घर में बहुत गरीबी थी और अक्सर भर पेट खाना भी नहीं मिल पाता था।
उस समय हमारे घर में एक गधा था, रोज हम गधे पर कुछ चीज़ें लाकर बाहर बेचते थे। मेरे पिता जी दूसरों के लिए काम करते थे। उस समय हमारे यहां मकान नहीं था, केवल एक झोंपड़ी थी।
नये चीन की स्थापना के बाद ली मींगछ्यैई ने जीवन में आशा देखी।वर्ष 1950 से 1953 तक, चीन में इतिहास में सब से बड़े पैमाने वाला भूमि रुपांतरण हुआ। 30 करोड़ से ज्यादा किसानों को 4 करोड़ 60 लाख से हैक्टर से अधिक भूमि मुफ्त तथा अन्य उत्पादन सामग्री मिली थी।
ली मींगछ्यैई की याद में उन्हें लगभग 0.3 हैक्टर भूमि, एक गाय एवं कुछ दैनिक चीज़ें दी गयीं थीं।
वर्ष 1949 की तुलना में वर्ष 1952 में देश में अनाज के उत्पादन में लगभग 43 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। चीनी परम्परागत त्योहार वसंत त्योहार मनाने के लिए किसानों ने च्याओजी खाए। जबकि पहले लोग गरीबी की वजह से च्याओजी भी नहीं खा पाते थे।
वर्ष 1958 में पेइचिंग की ह्वैई रो काऊंटी में एक जलाशय का निर्माण किया जाना था। चूंकि बड़े उपकरणों का अभाव था, इसलिए 60 हजार से ज्यादा लोगों ने हाथों व रिक्शा से परिवहन का मिशन पूरा किया।
वर्ष 1954 में जब ली मींगछ्यैई भूमि पर सुख से काम करते थे, पेइचिंग शहर में रहने वाले लीन ली ने स्कूल में पढ़ना शुरु किया। राष्ट्रीय संस्थाओं में काम करने वाले उन के माता-पिता को काम में व्यस्त होने के कारण विवश होकर बच्चों को किन्डरगार्डन में रखना पड़ा। लीन ली के अनुसार,
उस समय मेरे माता-पिता बहुत व्यस्त थे। वे अक्सर मुझ भूल जाते थे।
बड़ा होने के बाद लीन ली ने समझ लिया कि उस समय चीन के राष्ट्रीय अर्थतंत्र व सामाजिक विकास की प्रथम पंचवर्षीय योजना के कार्यान्वयन का कुंजीभूत काल था। चीन ने समझ लिया कि अपनी औद्योगिक व्यवस्था की स्थापना बड़ी ज़रूरी है। उस समय हर एक चीनी अपने देश की आर्थिक बहाली के लिए बहुत मेहनत से काम करता था। वर्ष 1953 से चीन ने प्रथम पंचवर्षीय योजना लागू की।
लीन ली की मां रेल मंत्रालय में काम करती थीं और वू हैन यांग्त्सी नदी समेत कुछ औद्योगिक परियोजनाओं के विदेशी संपर्क में भी काम करती थीं।
मेरी मां मुख्यतः संपर्क का काम करती थीं। मुझे याद है कि मां बहुत व्यस्त रहती थीं और मेरी देख-भाल करने का उस के पास समय नहीं था। इसलिए, वे अक्सर मुझे साथ लेकर काम पर जाती थीं।
बड़ी मुसीबतों का सामना करने के बजाए, चीनी जनता ने बड़े साहस व दृढ़ संकल्प से बड़ी उपलब्धियों को प्राप्त किया है। पुराने चीन में भारी उद्योग एवं बुनियादी संरचनाएं बहुत पिछड़ी थीं। प्रथम पंचवर्षीय योजना के कार्यान्वयन के बाद के कई वर्षों में चीन में भारी कारोबार उत्पन्न हुआ । नये चीन ने प्रथम गाड़ी, प्रथम विमान एवं प्रथम यांग्त्सी नदी पुल का निर्माण किया।हर एक चीनी व्यक्ति चीन में प्राप्त हर एक प्रगति के प्रति गौरव महसूस करता है।
युवा नए चीन के पास विकास का कोई अनुभव नहीं था, लोग अपने देश की गरीबी व पिछड़ेपन को दूर करने के बड़े इच्छुक थे । शहरों में लौहा इस्पात का काम कर रहे थे और कारखानों में इधर-उधर मशीनों की आवाज़ सुनाई पड़ती थी ।
वर्ष 1958 के अंत में ली मिंगछाई ने जलाश्य का काम पूरा किया, इस के बाद उसे मालूम था कि पेइचिंग के कारखाने में काम करने के लिए उस की कांउटी में मज़दूरों को बुलाया जाएगा । उस ने बढ-चढ़ कर अपना नाम दर्ज़ करवाया और पेइचिंग दूसरे मशीन टूल प्लांट कारखाने में एक शिष्य मजदूर बन गया । इस की याद करते हुए ली ने हमें बताया, उस समय मुझे बड़ी खुशी हुई । 12 य्वान की कमाई से मैं अच्छा खाना खा सकता था और चार य्वान में सिगरेट खरीद लेता था । उस समय कारखाने की यूनिफार्म थी, इस तरह साल भर कोई कपड़ा खरीदने की जरूरत नहीं थी।
गांवों में दो ध्रुवीय स्थिति पैदा होने को रोकने और शहरी नागरिकों के लिए पर्याप्त अनाज की आपूर्ति की गारंटी के लिए चीन ने पहले गांवों में कृषि सहकारी समिति व्यवस्था लागू की और इस के बाद और ज्यादा पैमाने वाली जन कम्युनिटी व्यवस्था लागू की, जिस के आधार पर किसानों की खेती सामूहिक मिलकियत खेती बनायी गई और किसान सामूहिक रेस्तरां में जाकर खाना खाते थे । इस के साथ ही चीन ने सारे देश में अनाज, खाद्य तेल, कपास आदि वस्तुओं की एकीकृत बिक्री व खरीददारी का प्रबंध किया। प्रबंधन के अति केंद्रित होने , आर्थिक प्रबंधन का तरीका एकल होने और बंटवारे के सापेक्ष औसत के कारण किसानों की उत्पादन सक्रियता खो गई । इस की चर्चा करते हुए ली मिंगछाई ने कहा, उस समय सब लोग सामूहिक तौर पर काम करते थे । गांव की सभी खेती योग्य भूमि इक्ट्ठा की गई । उस समय उत्पादन क्षमता बहुत कम थी।
ऐसी स्थिति से कृषि उत्पादन धीरे-धीरे कम हो रहा था। वर्ष 1959 से चीन तीन साल की प्राकृतिक विपदा का शिकार हो गया । गांव में किसानों का जीवन बहुत खराब था । ली मिंगछाई काम खोजने के लिए शहर नहीं गया। उस ने कहा, उस समय सभी नौकरियां सरकार के बंटवारे पर निर्भर करती थीं। मसलन् अगर कांउटी में कोई काम करना पड़ता था, तो जिला स्तरीय सरकार को बताया जाता था । तुम यदि कोई काम करना चाहते हो, तो यह बिलकुल असंभव था।
ली मिंगछाई की तरह लिन ली शहर का रहने वाला है । उसे वर्ष 1959 से 1961 तक तीन सालों की प्राकृतिक विपदा की गहरी याद है । अनाज के लगातार कम उत्पादन से आम लोगों में भूखमरी की स्थिति पैदा हो गई । राजधानी पेइचिंग जैसे बड़े शहर में भी माल की कमी नज़र आने लगी, बाज़ार में बहुत तनाव था । पेइचिंग सरकार को विवश होकर राशनिंग करनी पड़ी कि पेइचिंग की औपचारिक नागरिकता वाले प्रति व्यक्ति को हर माह अनाज टिकट दिया जाता था, अनाज की मात्रा लोगों की उम्र के अनुसार दी जाती थी । इस के बाद इस प्रकार के टिकट के दायरे का विस्तार हुआ, रोज़ाना माल खरीदने के लिए भी टिकट चाहिए होता था। इस की चर्चा में लिन ली ने कहा,
उस समय विभिन्न प्रकार के टिकट दिए जाते थे। कपड़ा टिकट, आटा टिकट, चावल टिकट, तेल टिकट इत्यादि । हर व्यक्ति की अपनी निश्चित मात्रा होती थी और स्थिति बहुत जटिल थी । मेरे छोटे भाईयों को कभी-कभी भर पेट नहीं मिल पाता था । मां अपना भाग छोटे भाई को दे देती या, मुझे और छोटी बहन को सिर्फ़ देखना पड़ता था ।
मुसीबतों से गुज़रने वाले चीनियों को मानसिक आदर्श की मिसाल की आवश्यकता थी । लेइफङ, मध्य चीन के हू नान से आया एक सैनिक, जिस ने एक दुर्घटना में अपनी जान दे दी थी, सारे चीनी लोगों के दिल में आदर्श मिसाइल बन गया । पांच मार्च वर्ष 1963 को तत्कालीन चीनी राष्ट्राध्यक्ष मा त्सेतोंग ने स्वयं"कमरेड लेइ फङ से सीखो"वाक्य लिखा । इस तरह लेइफङ से सीखने वाला आंदोलन शीघ्र ही देश भर में फैल गया। लेइफङ की निःस्वार्थ भावना ने लिन ली जैसे युवाओं को प्रोत्साहित किया था। इस की चर्चा में लिन ली ने कहा, उस समय लोग बहुत निःस्वार्थी थे । शायद मनुष्य में स्वार्थ भावना होती है, लेकिन वह दूसरे को नहीं दिखाना चाहता।
वर्ष 1966 में चीन में सांस्कृतिक क्रांति शुरू हुई । पागलपन की हद तक व्यक्ति पूजा और जबरदस्त राजनीतिक तूफ़ान से अधिकांश लोगों का जीवन बदल गया। विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों का दाखिला बंद कर दिया गया, विदेशी भाषा कालेज में पढ़ना और बाद में देश के विदेशी राजनीतिक कार्य में योगदान देने के अपने सपने को लिन ली ने खो दिया। उस ने कहा, वर्ष 1966 में हम मीडिल स्कूल से स्नातक होने वाले थे । लेकिन विश्वविद्यालय बंद हो गए और हमें पता नहीं चला कि क्या काम करेंगे । उस समय सारे देश में लगता था कि सिर्फ़ किसान ही काम करते हैं। इस तरह हमारा अनुमान था कि शायद केंद्र सरकार हमें ग्रामीण क्षेत्रों में भेजेगी । हमारा विचार था कि अनेक क्रांतिकारियों ने अपने कार्य को ग्रामीण क्षेत्रों से शुरू किया था, तो हम क्यों नहीं कर सकते । इस तरह हमें ग्रामीण क्षेत्रों में काम सीखने के लिए तैयार किया गया।
इस तरह लिन ली और अपने कुछ सहपाठियों ने युन्नान प्रांत के शीश्वांग पाना जाने का फैसला किया । सरकार की मंज़ूरी पाने के लिए लिनली और साथियों ने केंद्रीय सरकार के नेताओं के नाम रिपोर्ट लिखी। वर्ष 27 नवम्बर 1967 को तत्कालीन प्रधान मंत्री चो एनलाई ने जन बृहद भवन में राजधानी के आम नागरिकों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की । यह खबर पाकर लिन ली और अपने दो सहपाठियों के साथ जन बृहद भवन गया । लेकिन समय कम था इसलिए लिखित रिपोर्ट वह साथ नहीं ला पाया । तीन व्यक्ति जन बृहद भवन में प्रधान मंत्री चो को रिपोर्ट देने के लिए वहीं लिखने लगे । इस की याद करते हुए लिन ली ने कहा, हम वहां पहुंचे और पता चला कि रिपोर्ट हमारे पास नहीं थी । तो एक काग़ज़ खोज कर तत्स्थल ही लिखना शुरू कर दिया। हम प्रधान मंत्री चो का इंतज़ार कर रहे थे । मैंने कोशिश करके प्रत्यक्ष तौर पर प्रधान मंत्री से गांवों में काम करने की मांग की और रिपोर्ट उन्हें दी। प्रधान मंत्री ने तत्स्थल इस की पुष्टि कर दी ।
इस घटना के थोड़े बाद यानि वर्ष 1968 में अथ्यक्ष माओ के"गांवों में ज्ञानी युवा जाओ"वाले आह्वान पर शहरों व कस्बों से बड़ी संख्या में मीडिल स्कूल के विद्यार्थी अपने माता-पिता व परिजनों से विदा लेकर सारे देश के गांव व सीमांत क्षेत्र गए । यह गतिविधि करीब दो करोड़ युवाओं से संबंधित थी और एक पीढ़ी वाले चीनियों पर इस का प्रभाव पड़ा था ।
ग्रामीण क्षेत्र में पहुंचते ही लीन ली को यह महसूस हुआ कि इस विश्वाल क्षेत्र में बड़ी सफलता प्राप्त करना एक आसान बात नहीं है। युन्नान प्रांत में लीन ली उत्पादन व निर्माण इकाई के अधीन एक टुकड़ी में काम करती थी। वहां का जीवन बहुत सरल था, मकान बांस से बनाये गये थे, इसलिये मकानों में से लोग एक दूसरे को देख सकते थे। इस के प्रति लीन ली ने कहा, हम छः या आठ वर्ष पुराना अनाज खाते थे। चावल में कोई स्वाद नहीं था, जैसे हम लकड़ी का मलबा खा रहे हों। बांस के मकान होने के कारण दीवारों में बहुत दरारें थीं। मकान की छत फूस की थी। अगर आग लगती तो सारा मकान एक मिनट में नष्ट हो सकता था।
उस समय युन्नान के सीमांत क्षेत्रों में उत्पादन व निर्माण इकाई में धान कंपनी, गन्ना कंपनी व रबर कंपनी शामिल थी। रबर कंपनी में काम करना सब से कठोर था। शी शुआंग बाना एक उष्णकटिबंधीय क्षेत्र है। गर्मियों में कभी-कभी हमें सारा दिन पानी की एक बूंद भी नसीब नहीं होती थी। लेकिन हर दिन हर व्यक्ति को सैकड़ों रबर के पेड़ काटने पड़ते थे।
कठोर जीवन ने लीन ली का ग्रामीण क्षेत्रों में महा काम करने का संकल्प नहीं हिलाया। वे लगातार अपने व साथियों के जीवन वातावरण का सुधार करने की कोशिश करती रहीं। उन्होंने कहा कि हालांकि इस से जुड़ी नीति नहीं थी, अगर हम वहां की स्थिति बदलना चाहते, तो कोई उपाय नहीं था। लेकिन हम अन्य लोगों पर प्रभाव डाल सकते थे। जब मैं कंपनी में भोजनालय की नेता थीं, तो मैं हर वर्ष अपनी कंपनी को 17 सूअर मांस के लिये दे सकती थी। हर महिने एक सूअर काटा जाता था , इस के अलावा पांच महत्वपूर्ण दिवसों पर भी सूअर काटा जाता था। हर सूअर से 30 किलोग्राम चरबी मिल जाती थी, इसलिये कंपनी को प्रति दिन 1 किलोग्राम चरबी मिलती थी। हमारी कंपनी ने पांच श्रेष्ठ कंपनियों की उपाधि प्राप्त की। बहुत कंपनियां हम से ईर्ष्या करती थीं।
लेकिन अथक राजनीतिक आंदोलन के कारण व्यक्तिगत कोशिश हमेशा बेकार गयी। क्योंकि पेइचिंग वापस लौटते समय लीन ली ने संबंधित विभागों को उत्पादन व निर्माण इकाई की समस्याएं बतायीं। इसलिये कई बार के साथ राजनीतिक आंदोलनों में दुर्व्यवहार किया गया। उन के काम व जीवन पर बड़ा कुप्रभाव पड़ा। अपने भविष्य के बारे में उन्हें उलझन महसूस होती थी। उन्होंने कहा कि उस समय लोगों में बहुत आत्म विश्वास था, उन के ख्याल से अगर मैं यह काम करना चाहता हूं, तो मैं ज़रूर इसे कर सकूंगा। पर ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचने के बाद, मुझे ज़िन्दगी में हार व मुश्किल का सामना करना भी आ गया । पहले का जीवन बहुत सुखी था, सभी चीज़ें सुहावनी थी। इसलिये हम ने मुश्किलों का सामना करने की तैयारी नहीं की।
वर्ष 1976 में जब लीन ली अपनी जिन्दगी के गतिरोध में फंसी, तो चीन भी एक उतार-चढ़ाव के दौर से गुज़र रहा था। इस वर्ष माओ त्स तुंग, चो एन लाए व चू डे का निधन हो गया। और 28 जुलाई की सुबह हपेइ प्रांत के थांगशान शहर में रियक्टर स्केल पर 7.8 तीव्रता वाला भूकंप आया। थांगशान खंडर बन गया, और चार लाख से ज्यादा लोग हताहत हुए।
वर्ष 1976 के अक्तूबर में हमने अंत में तड़के की रोशनी देखी। ह्वा क्वो फ़ेन, ये च्येन इंग व ली श्येन न्येन के नेतृत्व वाले चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो ने कड़े कदम उठाकर चार व्यक्तियों के गिरोह की जांच-पड़ताल की। जिससे दस वर्षीय सांस्कृतिक महा क्रांति अंत में समाप्त हुई। और हम इतिहास के एक दूसरे मोड़ पर पहुंचे।
पर लीन ली का व्यक्तिगत मोड़ उन के ग्रामीण क्षेत्र में काम करने के दसवें वर्ष में आया। वर्ष 1977 में चीन ने 11 वर्षों तक स्थगित उच्च शिक्षालयों की परीक्षा की बहाली करने का फैसला किया। उसी साल सर्दी के दिनों में 57 लाख लोगों ने इस परीक्षा में भाग लिया। लीन ली व उन के पति भी इस में शामिल थे। उन्होंने कहा कि यह खबर बहुत देर से युन्नान पहुंची। हमें परीक्षा से केवल चालीस दिन पहले यह खबर मिली। इस के बाद हर दिन काम करने के बाद रात को आठ बजे से सुबह के चार बजे तक मैं और मेरे पति पढ़ने की कोशिश करते थे। इसलिये हम दोनों ने परीक्षा में पहले 60वें स्थानों में प्रवेश किया। और मैं पेइचिंग यूनिवर्सिटी में दाखिल हुई।
विश्वविद्यालय में लीन ली के दाखिल होने के दूसरे साल चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की ग्यारहवीं केंद्रीय कमेटी का तीसरा पूर्णाधिवेशन पेइचिंग में आयोजित हुआ। पूर्णाधिवेशन में काम करने का महत्व व सारे देश की जनता का ध्यान समाजवादी आधुनिकीकरण के निर्माण पर लगा। और यह भी कहा गया कि आधुनिकीकरण को अमल में लाना एक विस्तृत व गहरी क्रांति ही है। पूर्णाधिवेशन आयोजित होने से कई दिन पहले आन ह्वेइ प्रांत के फ़न यांग काऊंटी के श्याओ कांग गांव में 18 किसानों ने खेत बांटने के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।
पेइचिंग से एक हजार किलोमीटर दूर स्थित श्याओ कांग गांव में किसानों की साहस भरी कार्रवाई से ली मिंग छए यहां तक कि सारे चीनी किसानों का जीवन बदल गया।
वर्ष 1978 के गर्मी के दिनों में फ़न यांग में गंभीर सूखा पड़ा। फ़सल के बाद श्याओ कांग गांव में प्रति किसान को केवल चार किलोग्राम से कम गेहूं प्राप्त होता था। पेट भरने के लिये 18 किसानों ने नवंबर की 24 तारीख की रात को गुप्त रूप से उत्पादन इकाई के खेतों को किसानों में बांट दिया। और यह नियम भी बनाया गया कि राष्ट्र व उत्पादन इकाई को काफ़ी फ़सल देने के बाद बाकी अनाज अपने लिये रखा जा सकता है।
श्याओ कांग गांव का सुधार बाद में पारिवारिक सहकारी ठेका व्यवस्था बन गया। तंग श्याओ पिंग आदि राष्ट्रीय नेताओं के समर्थन से यह नियम जल्द ही सारे देश में फैल गया। इस रुपांतरण का कुंजीभूत विषय खेत प्रबंध व्यवस्था का सुधार है। देश की खेती का दीर्घकाल के लिए किसानों को ठेका दिया गया, जिससे किसानों को अपने खेत का प्रयोग करने व फ़सल बांटने का अधिकार मिला। और इस रूपांतरण ने चीन में तीस वर्षों के सुधार व खुलेपन का द्वार भी खोला।
ली मिंग छए ने जल्द ही गांव में कई मू खेत का ठेका लिया। और उन्होंने ज्यादा आर्थिक लाभ पाने के लिए अखरोट के पेड़ लगाने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि इस पारिवारिक सहकारी ठेका व्यवस्था से लोग अपनी क्षमता दिखा सकते थे। किसानों का अधिकार किसी व्यक्ति का उल्लंघन नहीं करता। उस समय मैं अखरोट के पेड़ उगाता था। क्योंकि अखरोट का दाम बहुत महंगा था। और विदेश में अखरोट का निर्यात भी किया जाता था। हम ने सक्रिय रूप से अपने काम में कोशिश की और केवल तीन वर्षों में कारगर उपलब्धि प्राप्त कर ली।
ली मिंग छए की तरह अपना पेट भरने के बाद स्थानीय किसानों ने ज्यादा पैसा कमाने की कोशिश की। वे पशु-पालन करने लगे या फलों के पेड़ उगाने लगे। ग्रामीण आर्थिक नीति के लचीलेपन से उन की आमदनी बड़ी हद तक बढ़ गयी।
विश्व से मिलना
वर्ष 1982 में लिन ली पेइचिंग विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर होने के बाद यातायात मंत्रालय के अधीन चीनी महासागर परिवहन कंपनी में दाखिल हुईं ,जो समुद्री बीमा मामले का काम संभालती थी।उस समय उन की बच्ची हुई थी और पति भी अन्य प्रांत में काम करते थे । जीवन पर बड़ा दबाव था और किसी राजकीय उपक्रम में प्रवेश करना एक फौरी काम था ,क्योंकि उस समय राजकीय उपक्रमों की संपूर्ण कल्याण व्यवस्था थी ।उन्होंने बताया ,
मैं विश्वविद्यालय में सीखने के लिए वापस लौटी थी ,इसलिए मेरे बेटे की स्थाई रेजिडेंसी भी नहीं थी ।मेरे मां-बाप काम के लिए विदेश भेजे गये और मुझे सिर्फ अपने पर निर्भर रहना पड़ रहा था ।इसलिए मैं अधिक पैसे कमाना चाहती थी।बाद में मैं यातायात मंत्रालय की महासागर परिवहन कंपनी में शामिल हुई।
पर कुछ समय बाद लिन ली अपने इस फैसले पर पछताने लगी ।फरवरी 1984 में तत्कालीन चीनी नेता तंग श्यो पिंग ने क्वांग तुंग प्रांत व फू चेन प्रांत का दौरा करने के बाद विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना की नीति का उच्च मूल्यांकन किया और अधिक शहर विदेशों के लिए खोलने का सुझाव दिया ।अप्रैल 2004 में चीनी राज्य परिषद ने तंग श्यो पिंग की राय पर 14 समुद्री तटीय शहर खोलने का फैसला किया ।इस माहौल में सरकारी विभाग व राजकीय उपक्रमों के बहुत से कार्यकर्ता स्थाई काम छोडकर निजी व्यापार शुरू करने लगे ।लिन ली के अनेक सहयोगियों व दोस्तों ने वाणिज्य जगत में प्रवेश किया और बडी सफलता भी पायी ।उस के प्रभाव से वर्ष 1986 में लिन ली ने साहस किया और अपना स्थाई काम छोड दिया ।उन्होंने बताया ,वर्ष 1986 में मुझे जापान में पढने का मौका मिला ,सो मैं ने कंपनी के काम से इस्तीफा दे दिया ।पैसे जुटाने के लिए मैं ने घर का एक रेफरिजरेटर भी बेच दिया ।मैं बाहरी दुनिया देखना चाहती थी ।
जापान में पढने के दौरान लिन ली का दृष्टिकोण बड़ा हुआ और जापान के तेज विकास का गहरा अनुभव भी हुआ ।उन्होंने बताया ,जापान के समग्र समाज का संगठन बहुत प्रगतिशील है और जापानी लोग एक खुशहाल माहौल में जीवन बिताते हैं ।पढने के अलावा मैं पार्टटाइम काम भी करती था और अपने आंखों से जापानी उद्यमों की स्थिति देखने का मुझे मौका मिला ।
वर्ष 1990 में लिन ली स्वदेश लौटीं और एक विदेशी पूंजी से संचालित कंपनी में शामिल हुई ।दो साल बाद उन्होंने अपना व्यापार शुरू किया ।देश में व्यापार के वातावरण में सुधार की चर्चा करते हुए लिन ली ने बताया ,यह एक कदम ब कदम की प्रक्रिया है ।शुरू में आम चीनियों को निजी उद्यम के बारे में बहुत कम जानकारी थी । उद्योग व वाणिज्य प्रशासन विभाग के विचारों का बदलाव तो एक उदाहरण है ।उस समय निजी कंपनियों के लिए उद्योग व वाणिज्य प्रशासन विभाग से संपर्क करने में बहुत दिक्कतें थीं ।दस साल के बाद उद्योग व वाणिज्य प्रशासन विभाग को मालूम हुआ कि अगर उद्यम समृद्ध नहीं हुए ,तो वित्तीय आय भी काफी कम होगी ।कदम ब कदम उद्योग व वाणिज्य प्रशासन विभाग की सेवा में कायापलट हुआ ।
लिन ली देश में प्रथम जत्थे वाले अमीरों में से एक है ,जिस का श्रेय चीन के सुधार व खुलेपन के मुख्य रुपकार तंग श्याओ पिंग को जाता है । वर्ष 1992 की वसंत में 88 वर्षीय तंग श्याओ पिंग ने वू हान ,शन चंग ,चू हाइ व शांग हाइ जैसे शहरों का दौरा किया । इस दौरान उन्होंने सुधार व खुलेपन के बारे में सिलसिलेवार बातें कर आर्थिक सुधार गहरा करने की अपील की ।उन्होंने कहा ,अगर चीन समाजवाद ,सुधार व खुलेपन ,आर्थिक विकास और जनजीवन के सुधार पर कायम नहीं रहा ,तो सभी रास्ते बंद हो जाएंगे ।सिर्फ आर्थिक विकास और जनजीवन की उन्नति से जनता आप पर विश्वास रखेगी और आप का समर्थन करेगी ।
वर्ष 1993 ली मिंग छाए के होमटाउन-- गुएं दी गांव में एक सुंदर दृश्य क्षेत्र की स्थापना की गई ।गुएं दी गांव के पास एक 10 किलोमीटर लंबी घाटी है और घाटी में नदी बहती है ।सुंदर प्राकृतिक दृश्य स्थानीय किसानों के लिए धनराशि का खजाना बन गया ।
एक दिन कई गुमराह पर्यटक ली मिंग छाए के घर आये और वहां ठहरने की मांग की ।ली मिंग छाए की बेटी शान शू ची ने उन को ठहरने की अनुमति दे दी ।उस समय की याद करते हुए उन्होंने बताया ,कई व्यक्तियों ने पूछा कि क्या हम आप के यहां ठहर सकते हैं ।मैं ने कहा हां और उन का स्वागत किया ।शुरू में मेरा पैसा कमाने का विचार नहीं था ,सिर्फ उन लोगों की मदद करना चाहती थी ।
बाद में शान शू ची ने होटल खोलने का फैसला किया ।क्योंकि होटल के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी ,इसलिए वह व्यापार सीखने के लिए शहर गई।उन्होंने कहा ,शहर के रेस्तरां में मैं अक्सर सब से सस्ती डिश स्लाइस चिली आलू का आर्डर देती थी ।क्योंकि यह डिश तैयार करने के लिए थोडा लंबा समय लगता है ।इस बीच मैं पूरा मेन्यू याद कर सकती थी ।होटलों में जाकर मैं ने कमरे के रेट का पता लगाया ।मैं ने सोचा कि मेरे होटल के कमरे का रेट उन की रेट से थोडा कम होना चाहिए ।
शुरू में शान शू ची के छोटे होटल में सिर्फ चार कमरे और नौ पलंग थे ।आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यटन पर चीनी लोगों का खर्च भी बढ रहा था।इस से शान सू ची के होटल का काम चल निकला ।कई साल बाद शान शू ची के होटल का तेजी से विस्तार हुआ ,और हर दिन सौ व्यक्तियों का सत्कार करने वाला होटल बन गया ।
वर्ष 2006 में चीन ने किसानों की विशेष सहकारी सोसाइटी कानून प्रस्तुत किया ,जो किसानों को विभिन्न किस्मों की सहकारी सोसाइटियों की स्थापना करने के लिए प्रेरणा देता है ।शान शू ची स्थानीय लोक मर्यादा पर्यटन सहकारी सोसाइटी की प्रधान बन गयीं ।उन्होंने बताया ,लोक मर्यादा पर्यटन के विकसित होने के बाद एक एक घर पर निर्भर रहना संभव नहीं रहा ।सहकारी सोसाइटी की स्थापना एक तय रास्ता है ।हमारे गांव में पहले 47 घर लोक मर्यादा का संचालन करते थे ।उन में से 22 घरों ने सब से पहले एक सहकारी सोसाइटी की स्थापना की और होटल सेवा से जुडे नियम बनाये ।हम अपने चार्टर पर विचार करते हैं और मतदान भी करते हैं ।
अब हर साल लगभग 5000 से ज्यादा पर्यटक शान शू ची के होटल आते हैं और उन की सालाना शुद्ध आय एक लाख य्वान से ज्यादा है ।उन के नेतृत्व में पूरे गांव के 80 प्रतिशत से ज्यादा लोग पर्यटन से जुडे हैं और प्रति किसान की औसत सालाना आय दस हजार य्वान से ज्यादा है ।पहले का गरीब पहाडी गांव अब अमीर बन गया है ।
इधर के दो सालों में चीन सरकार ने ग्रामीण इलाकों में चिकित्सा बीमा व पेंशन बीमा योजना लागू की है ,जिस से ली मिंग छाए को भविष्य पर पक्का विश्वास पैदा हुआ है ।
कई साल से पहले लिन ली वाणिज्य जगत से विदा हो कर रिटार्यर जीवन बिताने लगीं ।वे अक्सर अपने पति के साथ पर्यटन के लिए बाहर जाती हैं ।पिछले साल उन्होंने पेइचिंग ऑलंपिक के कई मैच भी देखे ।
लिन ली व ली मिंग छाए की तरह पिछले 60 सालों में करोड़ों चीनियों का व्यक्तिगत भाग्य मातृभूमि के विकास से घनिष्ठ रूप से जुडा है ।भविष्य में उन की दुनिया अधिक बडी होगी और जीवन अधिक शानदार होगा ।