चीन की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर सी आर आई सारे देश में विदेशी संवाददाताओं के दल भेज कर उन्हें यह मौका दे रहा है कि वे अपनी आंखों से चीन में अब तक हुए विकास की सच्ची तसवीर देखें और बाकी दुनिया को भी दिखाएं.इसी सिलसिले में अगस्त माह में हमें युन्नान के सीमांत क्षेत्रों में जाने का मौका मिला था और इस माह सितम्बर की 3 तारीख से 7 तारीख तक हम ल्याओनिंग पांत के तालियन शहर के दौरे पर आज तालियन पहुंचे हैं. चीन के उत्तरपूर्व में ल्यातुंग प्रायद्वीप के दक्षिणी छोर पर और युरेशिया के तट पर स्थित तालियन की अवस्थिति हमेशा सामरिक महत्व की रही है,और इसी कारण यह कभी जापान और कभी रुस के हाथों में भी आता-जाता रहा.पूर्व में पीला सागर,पश्चिम में पोहाए सागर,दक्षिण में तट के दूसरी ओर शांतुंग द्वीप और उत्तर में विशाल मैदानी इलाके के रुप में आज यह उत्तरपूर्वी चीन की एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है,और व्यापार,औद्योगिक और पर्यटन शहर भी. आज भी इस शहर की संस्कृति.यहां के रहन-सहन,खानपान इमारतों पर जापानी,रुसी,युरोपियन प्रभाव साफ देखा जा सकता है.
तालियन शहर में प्रवेश करते ही नीला आकाश,गगन चुंबी इमारतें,साईकल रहित सड़कें और फैशनेबल युवा आप का ध्यान सरासर अपनी ओर खींच लेते हैं.शहर सुंदर है और लोग मिलनसार.
हमारे दौरे का प्रबंध सी आर आई,तालियन की स्थानीय सरकार,स्थानीय तालियन रेडियो और टी वी ने मिलजुल कर किया है.पहुंचते ही हवाई अड़डे पर हमारा स्वागत फूलों के गुच्छों से ऐसे किया गया जैसे भारत में किसी के घर बारात पहुंचने पर करते हैं.शाम तक तालियन की मेजबानी लगभग एक उत्सव के से माहौल की ही रही.दोपहर बाद हमें मौका मिला कि हम यहां की एक स्थानीय कम्युनिटी में जा कर लोगों से बातचीत कर सकें.यह कम्युनिटी विदेशियों में बहुत लोकप्रिय है,मालूम हुआ कि पहले तालियन में जब विदेशी रहते थे तो यह इलाका उन की रिहायश था,अब वे अपनी जड़ें ढूंढने या उन बीते दिनों को छूने यहां आते हैं,इसलिए यह कम्युनिटी अब विदेशियों का आवभगत करने वाली जगह के रुप में भी मशहूर है.शाम को तालियन रेडियो टीवी स्टेशन पर हमारे दौर का विधिवत उदघाटन हुआ,और बाद में रात का खाना,यहां का सी-फूड बहुत प्रसिद्ध है,लेकिन शाकाहारी सिर्फ देख सकते हैं.आज कुछ खास नहीं,कल से शहर को देखने जानने की शुरुआत होगी.