Web  hindi.cri.cn
12वां दिन 22 अगस्त
2009-08-24 11:25:12

आज हम लोग सुबह कुआन ले पोर्ट गए.लाछांग नदी पर बने इस पोर्ट से म्यनमार,लाओस,और थाईलैंड को सब्जियां,लहसुन,और फलों का निर्यात होता है.इस पोर्ट के प्रबंधक के साथ हमारी मुलाकात हुई और उन्होंने विस्तार से इस पोर्ट के विकास का परिचय दिया और बाद में हम लोग एक साथ लाछांग नदी में नावों के जरिए होती निर्यात की कार्रवाई देखने गए.यहां लाछांग नदी की चौड़ाई ज्यादा नहीं है.नदी के पार म्यनमार का इलाका है.इस नदी से चार देशों के साथ आयात-निर्यात होता है ,इसलिए हर नाव पर चारों देशों के झंडे लगे दिखाई देते हैं.पोर्ट देखने के बाद हम लोग ताई गांव में गए जहां ताई का विश्वप्रसिद्ध पानी छिड़काव का त्योहार रोजाना पर्यटकों के लिए प्रदर्शित किया जाता है.ताई गांव के पार्क में एक बड़ा चौक बनाया गया है जिस के बीच में फव्वारे लगे हैं,और फव्वारे के इदिगिर्द पानी का उथला तालाब सा बना है.आसपास के गांवों से ताई जनजाति की लड़कियां पारंपरिक पौशाक पहने यहां इक्कठी होती हैं और गीत संगीत की धुन के साथ-साथ पानी के छिड़काव का उत्सव शुरु होता हैं.इसे सन 2006 में राष्ट्रीय सांस्कृतिक विरासत की प्रथम सूची में शामिल किया गया है.इसे देखने के लिए पर्यटकों की यहां भीड़ लग जाती है.यह उत्सव भारत में गर्मियों की शुरुआत में होने वाले उत्सव होली की तरह का ही है.होली के उत्सव में लोग एक दूसरे पर रंग और पानी फेंकते हैं .ताई जनजाति के गांव का यह पार्क काफी बड़ा है और पक्की सड़कों के दोनों ओर नारियल के पेड़ लगे हैं और पार्क में बौद्ध मंदिर है शाम का खाना एक ताई जनजाति के घर में बने रेस्तरां में किया और फिर हम लोग चिंगहुंग आ गए.आज और कल रात यहीं रुकने का कार्यक्रम है.

विकास के तेजी से घूमते पहिए में परंपराएं,रीतिरिवाज,सांस्कृतिक अनुष्ठानों का वही रुप नहीं बना रह सकता जो पहले था.विकास का अपना तर्क ,रुप और मांग होती है और उस में सांस्कृतिक अनुष्टान,रीतिरिवाज.परंपराएं,कभी-कभी बाधास्वरुप दिखाई पड़ती हैं और उन का रास्ते से हटना या बदलना ज़रुरी होता है.लेकिन जनमानस का अपनी परम्पराओं,और रीतिरिवाजों के साथ एक ऐसा भावनात्मक रिश्ता होता है जिसे वे आसानी से छोड़ना नहीं चाहता.विशेष कर अल्पसंख्यक जनजातियों में यह असुरक्षा अधिक होती है.चीन की अनेक जनजातियां अब वास्तव में उस रुप में जीवन नहीं व्यतीत करतीं जैसा वे पहले करती थीं.जीवन बदलने,जीवनयापन के नये-नये साधन उपलब्ध होने के साथ-साथ पुराने अनुष्ठानों,रीतिरिवाजों का अर्थहीन होना और इस तरह कभी-कभी गायब होना भी स्वाभाविक है.इस लिए उन्हें आने वाली पीढियों के लिए सुरक्षित रखने और जनजातियों के एक आर्थिक स्रोत के रुप में विकसित करने के लिए जनजाति बहुल क्षेत्रों में ये रीति रिवाज़ पर्यटकों के सामने एक उत्सव के रुप में पेश किए जाते हैं.और उन में से कई राष्ट्रीय सांस्कृतिक विरासत की सूची में दर्ज किए जा चुके हैं.जनजतियों की नई पीढ़ी चीन के विकास में समान रुप से भागीदारी करना चाहती है.वह हमेशा परंपरा के जंजाल में बंधे नहीं रहना चाहती.

संदर्भ आलेख
आप की राय लिखें
सूचनापट्ट
• वेबसाइट का नया संस्करण आएगा
• ऑनलाइन खेल :रेलगाड़ी से ल्हासा तक यात्रा
• दस सर्वश्रेष्ठ श्रोता क्लबों का चयन
विस्तृत>>
श्रोता क्लब
• विशेष पुरस्कार विजेता की चीन यात्रा (दूसरा भाग)
विस्तृत>>
मत सर्वेक्षण
निम्न लिखित भारतीय नृत्यों में से आप को कौन कौन सा पसंद है?
कत्थक
मणिपुरी
भरत नाट्यम
ओड़िसी
लोक नृत्य
बॉलिवूड डांस


  
Stop Play
© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040