20 वीं शताब्दी के 70 वाले दशक की शुरूआत में पश्चिमी देशों को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सब से गंभीर पृथ्वीव्यापी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा । उन में आर्थिक परिस्थिति गंभीर रूप से बिगड़ी थी। विश्व की आर्थिक परिस्थिति पर अध्ययन करने, विभिन्न देशों की नीतियों का समन्वय करने, पश्चिमी देशों के अर्थतंत्र का पुनरुत्थान करने के लिए, फ्रांस के आह्वान पर वर्ष 1975 के नवम्बर माह में फ्रांस, अमरीका, जर्मनी, जापान, ब्रिटेन व इटली छह देशों के नेताओं ने फ्रांस की राजधानी पेरिस के उपनगर में प्रथम शिखर आर्थिक सम्मेलन का आयोजन किया।
वर्ष 1976 के जून माह में छह देशों के नेताओं ने पुर्टो रिको की राजधानी सन जुएन में दूसरे सम्मेलन का आयोजन किया। कानाडा ने आमंत्रण पर सम्मेलन में भाग लिया और इस तरह सात देशों का ग्रुप गठित हुआ। इस के बाद पश्चिमी सात देशों का शिखर सम्मेलन एक व्यवस्था के रूप में स्थापित हुआ । हर वर्ष यह सम्मेलन विभिन्न सदस्य देशों में एक बार आयोजित होता है। वर्ष 1977 से युरोपीय समुदाय की कमेटी के अध्यक्ष ने भी आमंत्रण पर सम्मेलन में भाग लिया।
शुरू में पश्चिमी सात देशों के शिखर सम्मेलन में मुख्यतः आर्थिक समस्याओं पर विचार विमर्श हुआ करता था। अंतरराष्ट्रीय परिस्थिति के विकास के साथ साथ, 20 वीं शताब्दी के 80 वाले दशक की शुरूआत से शिखर सम्मेलन ने आर्थिक समस्या पर विचार विमर्श के अलावा, नाभिकीय निःस्त्रीकरण, पूर्व व पश्चिम के संबंध और मानवाधिकार समेत दुनिया की विभिन्न महत्वपूर्ण राजनीतिक समस्याओं को भी कार्यसूची में शामिल किया।
वर्ष 1991 में भूतपूर्व सोवियत संघ के राष्ट्रपति गोल्बाचोव, 1992 व 1993 में रुसी राष्ट्रपति येल्तसिन ने क्रमशः आमंत्रण पर सात देशों के शिखर सम्मेलन के बाद सदस्य देशों के साथ हुई बातचीत में भाल लिया। वर्ष 1994 में रूस ने औपचारिक सदस्य के रूप में राजनीतिक समस्या के विचार विमर्श में भाग लिया। वर्ष 1997 में अमरीकी राष्ट्रपति कलिन्टन ने श्री येल्तसिन को औपचारिक सदस्य की हैसियत से सम्मेलन में भाग लेने का आमंत्रण दिया और प्रथम बार जी आठ शिखर सम्मेलन के नाम से संयुक्त रूप से एक अंतिम विज्ञप्ति जारी की गयी। इसी से जी आठ की व्यवस्था स्थापित हहो गयी । लेकिन, आर्थिक समस्या पर जी आठ शिखर सम्मेलन के तहत सात देशों की व्यवस्था बरकरार रही है।
वर्ष 2003 के जून माह में जी आठ शिखर सम्मेलन फ्रांस के एवेआंग में आयोजित हुआ। चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ ने श्री शिराक के निमंत्रण पर जी आठ शिखर सम्मेलन से पहले 11 विकासमान देशों के साथ आयोजित दक्षिण-उत्तर नेताओं के अनौपाचरिक वार्तालाप सम्मेलन में भाग लिया।
वर्ष 2005 के जुलाई माह में जी आठ शिखर सम्मेलन ब्रिटेन में आयोजित हुआ। उसी सम्मेलन में चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ ने प्रधान मंत्री ब्लेयर के निमंत्रण पर जी आठ और चीन, भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, मैक्सिको पांच विकासमान देशों के नेताओं द्वारा आयोजित दक्षिण-उत्तर नेताओं के वार्तालाप सम्मेलन में भाग लिया।
वर्ष 2006 के जुलाई माह में जी आठ शिखर सम्मेलन रूस में आयोजित हुआ। आठ देशों के नेताओं ने ऊर्जा की सुरक्षा, संक्रामक रोगों की रोकथाम और शिक्षा तीन मुद्दों पर सलाह मश्विरा किया और विश्व के अर्थतंत्र, प्रमुख क्षेत्रीय मुद्दों तथा सुरक्षा आदि सवालों पर रायों का आदान प्रदान किया। शिखर सम्मेलन ने 16 तारीख को तीन मुद्दों पर तीन संयुक्त वक्तव्य जारी किये। श्री हू चिन थाओ ने जी आठ और विकासमान देशों के नेताओं के बीच वार्तालाप में भाग लिया। इस से पहले, श्री हू चिन थाओ ने 16 तारीख को भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, मैक्सिको और कांगो किंशासा के नेताओं के साथ सामुहिक भेंटवार्ता की।