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बार बार दिन यह आये, बार बार दिल यह गाये
2009-08-12 13:38:49
ललिताः श्रोताओ, आप को मालूम ही होगा कि 15 मार्च को हमारा हिन्दी विभाग अपनी स्थापना के 50 वर्ष पूरे कर रहा है। और इस 50वीं वर्षगांठ को मनाने के लिए हम पेइचिंग में एक भव्य समारोह करेंगे। इस अवसर पर हम ने श्रोताओं के लिए एक ज्ञान प्रतियोगिता का भी आयोजन किया था, जिसमें आप सब ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। इस के लिए आप का धन्यवाद।

राकेशः जी हां। और इस अवसर पर हमारे पुराने श्रोता चुन्नीलाल कैवर्त जी ने एक ई-मेल भेजी है और उन्होंने लिखा है कि आगामी 15 मार्च को सी. आर. आई. के हिन्दी विभाग की स्थापना की 50वीं वर्षगांठ पर हमारे क्लब के सभी सदस्यों की ओर से हिन्दी विभाग के सभी भाई बहनों को बधाई और शुभकामनाएं। और इस मौके पर उन्होंने एक गीत सुनने की फरमाइश भी लिखी है। गीत के बोल हैं बार बार दिन ये आए, बार बार दिल ये गाए, तू जिए हजारों साल।

ललिताः चुन्नीलाल कैवर्त जी आप को ई-मेल भेजने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। लीजिए सुनिए अपनी पसंद का यह गीत।

गीत के बोलः

बार बार दिन यह आये, बार बार दिल यह गाये

तू जिये हज़ारों साल, यह मेरी है आरज़ू

Happy Birthday to you

Happy Birthday to you, Sunita, Happy Birthday to you

बेक़रार होके दामन, थाम लूँ मैं किसका

क्या मिसाल दूँ मैं तेरी, नाम लूँ मैं किसका

नहीं, नहीं, ऐसा हसीं, कोई नहीं है

जिस पे यह नज़र रुक जाये, बेमिसाल जो कहलाये

तू जिये हज़ारों साल, यह मेरी आरज़ू है

Happy Birthday to you

Happy Birthday to you, Sunita, Happy Birthday to you

औरों की तरह कुछ मैं भी, तोह्फ़ा ले आता

मैं तेरी हसीं महफ़िल में, फूल ले के आता

जिन्हें कहा उसे चाहा, फूलों की ज़रूरत

जो पहर खुद कहलाये, हर कली का दिल धड़काये

तू जिये हज़ारों साल, यह मेरी आर्अज़ू है

Happy Birthday to you

Happy Birthday to you, Sunita, Happy Birthday to you

ललिताः कार्यक्रम के अंति में पेश है आशा की आवाज में मधुबाला पर फिल्माया गया "हावड़ा ब्रिज" का यह लोकप्रिय गीत।

गीत के बोलः

आइये मेहरबाँ, बैठिये जाने-जाँ

शौक़ से लीजिये जी, प्यार का इम्तहाँ

आइये मेहरबाँ

देख मचल के जिधर, बिजली गिरा दे उधर

किसका जला आशियाँ, बिजली को ये क्या खबर

आइये मेहरबाँ

कैसे हो तुम नौजवाँ, इतने हसीं महमाँ

कैसे करूँ मैं बयाँ, दिल की नहीं है ज़ुबाँ

आइये मेहरबाँ

राकेशः इस गीत को सुनने की फरमाइश हमारे इन श्रोताओं ने की थी सैदापुर अमेठी सुलतावपुर, उ. प्र. से अनिल कुमार द्विवेदी और आबगीला गया से शहीना प्रवीण, कहकशां जबीं, सना फातिमा, गुलशनआरा, मो. जावेद खान, मो. जमील अहमद खान, जरीना खातुन, शाहीण प्रवीन और बाबू लड्डू।

ललिताः इस के साथ ही हमारा आज का कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। अगली बार तक के लिए आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

राकेशः नमस्कार।

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