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ल्हासा में तिब्बती विवाह समारोह
2010-10-12 16:48:06

दोस्तो,आज का तिब्बत कार्यक्रम सुनने के लिए आप का हार्दिक स्वागत। विवाह विश्व की सभी जातियों की एक अहम सामाजिक गतिविधि होती है, जिस के लिए अलग अलग जाति की अलग अलग विधि परंपरा चलती है। चीन की तिब्बती जाति की विवाह प्रथा विरल और आकर्षक है। आज के इस कार्यक्रम में हम आप को ल्हासा में तिब्बती जाति के परंपरागत विवाह समारोह के बारे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।

 

गर्मियों के मौसम में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा हरे भरे पेड़ों के झुंड में झांकती है, शहर की मुख्य सड़क पाक्वोर में तिब्बती धार्मिक झंडियां हवा में फहराते हुए दिखाई देती हैं और जगह जगह फुलों का बहार व्याप्त रहा है और पक्षियों की चहचहाहट सुनाई देती है। सुहावना मौसम में तिब्बती लोगों के लिए शादी व्याह का मुहुर्त समय होता है और बहुत से प्रेमासक्त युवा युवतियां विवाह के सूत्र में बंध जाते है।

 

सितम्बर के एक दिन, चाची मां च्वोगा के घर में हर्षोल्लास का माहौल छाया रहा, चाची मां की छोटी बेटी त्ये जी की शादी होने वाली थी, सुबह ही घर वालों ने परंपरागत प्रथा के मुताबिक गिरी देवता और खानदानी देवता की पूजा के लिए यज्ञ का अनुष्ठान किया और त्ये जी के लिए नए जीवन में सुहाग मिलने का वरदान मांगा, खानदान से चुनिंदा मेहनतकश, होशियार, सुशील व रूपवान और शादीशुद्धा व संतान प्राप्त तीन नारियों से शादी होने वाली लड़की की चोटियों में कंघी करवायी और नवविवाहित लड़की के बड़े भाई या अन्य वृद्ध पीढ़ी के व्यक्ति ने चोटी में कंघी करने के लिए बयान दिया और कंघी करने वाली नारी ने कंघी के बारे में भाषण दिया।

 

लड़की के द्वार निकासी के वक्त उस की बड़ी बहन या अन्य वृद्ध महिला ने बिदाई के लिए भाषण दिया और गीत गाये। घोड़े पर सवार होने के वक्त बरात पहुंचने पर नवविवाहित पुत्री के पिता या खानदान के वृद्ध व्यक्ति ने उपदेश देते हुए उसे शिष्ट लोकोचार, सास ससूर के सम्मान व भक्ति, पड़ोसियों के साथ स्नेही व अच्छे व्यवहार, दंपति में प्यार व मेलमिलाप तथा गृहस्थी में परिश्रम व किफायत की शिक्षा दी, उपदेश ऐसा प्रभाविक व आकर्षक तौर पर दिया जाता है कि सुनने वाले लोगों की आंखें डबडबा हो गयीं।

 

हम इन पारंपरिक रीति रीवाजों का अनुसरण करते हुए शादी ब्याह का आयोजन करते हैं, इस से परंपरा का पालन किया गया है और साथ ही पुत्री को शादी के बाद सुखमय जीवन बिताने का आशीर्वाद भी दिया है।

 

दुल्हन के परिवार में पुत्री को विदा करने का रस्म पूरा होने के बाद दुल्हे के परिवार में विवाह रस्म का आयोजन हुआ है।

 

 दुल्हे की ओर से विवाह रस्म में बरात में शामिल घोड़े और जीन का गुणगान होता है, दरी कंबल की तारीफ का बयान है, मकान कमरे का स्तुतिगान, घी चाय व मदिरा के गुणगान में संवाद, विवाह समारोह में भाषण विवाह समारोह का सब से महत्वपूर्ण और प्रभावकारी मुद्दा है जो बरात में आए सब से सम्मानीय व्यक्ति करते हैं। बरात में दुल्हे को एक नयी कमरबेल्टी दी जाती है और दुल्हन के बड़े भाई दुल्हे के कमर पर बेल्टी पहनने के समय संवाद भी देते हैं, इस के बाद दुल्हन के वस्त्र निकाल कर दिखाये जाते हैं और इस के लिए भी बयान दिया जाता है।  

 

उपरोक्त रस्म समाप्त होने के बाद दुल्हा दुल्हन को आशीर्वाद देने की विधि हुई, जिस में दुल्हे के मां बाप और रिश्तेदारों से दुल्हन का अच्छी तरह देखभाल करने की आशा बांधी गयी और नवविवाहिक दंपति को सुखमय जीवन बिताने की कामना दी गयी।

 

दुल्हे के घर में आयोजिक विभिन्न रस्मों का आम उद्देश्य है दुल्हन को सास ससूर और सास के परिवारजनों का आदर करने तथा उन का देखभाल करने और परिवार में नयी संतान पैदा करने और खुशहाल जीवन के लिए कोशिश करने की शिक्षा दी जाती है।

 

 दोपहरबाद दो बजे, विवाह समारोह औपचारिक रूप से शुरू हुआ। दुल्हा गेसानदावा और दुल्हन त्ये जी है। विवाह समारोह में परंपरागत आशय भी है और आधुनिक तत्व भी। दुल्हन के देह पर लाल रंग का खूबसूरत तिब्बती पोशाक और पन्ने व मूंगा जड़ित आभूषण है, वह सुन्दर, सुशील और शालीन लगती है और दुल्हा काले रंग के तिब्बती पोशाक में ओजस्वी और चुस्त दिखता है और बहुत मिलनसार लगता है।

 

 खुशगवार मेजमानों ने दुल्हे दुल्हन को सफेद शुभसूचक हाता पहना और तिब्बती जौ का शराब पिलाया और उन्हें आशीर्वाद दिया।

 

गीत के बोल इस प्रकार है, आज मुहुर्त का दिन है, शादी ब्याह का सुअवसर, इस सुहाग के दिन, नवविवाहितों को मंगलमय और सुखमय होने की कामना देती है।

 

समारोह में मंगल देने वाले लोग सब से सक्रिय रहे हैं, यह भी एक परंपरा है। दुल्हन की सखी इस साल 25 साल की है, लेकिन पुरानी पीढियों से शिक्षा मिलने के बाद वह आशीर्वाद देने वाली गायन कला में पारंगत है और वह बहुत वाकपटु है और आशीर्वाद के लिए जो संवाद दिये गए हैं उन में आसमान से लेकर धरती तक सभी प्रकार के आशय शुमार है. पर सभी संवाद विवाह से जुड़े हुए है, शब्दालंकार कर्णप्रिय है और उपस्थित लोगों से वाहवाही हासिल हुई है, जिस से विवाह समारोह और अधिक उत्साह से भरा पूरा हो गया है।

 

विवाह समारोह में जाम देने वाली लड़कियां सब से व्यस्त और उत्साहपूर्ण है। इस बार पैमायांगची और उस की दो सखियां यह काम संभालती हैं। तीनों विभिन्न कमरों में आ जा कर मेहमानों को शराब देती रहती है, अतिथियों को खुश कराने के लिए वे नाचती गाती भी नहीं थकती हैं। कुछ मेहमान शरारत करते हुए जिद्द करते है कि गीत गाने के बाद शराब ले लेंगे, किन्तु गाना और नाचना ऐसी लड़कियों की खुबियां होती है. वे कभी भी मेहमानों से हार नहीं होती हैं। ऐसे मौके पर गीत के बोल आम तौर पर प्रासंगिक होते हैं।

 

पूर्व में तीन प्रकार की सफेद चीजें हैं, उन के नाम बताए, यदि ठीक नहीं है, शराब पीने का दंड झेल लें।

 

पूर्व में तीन प्रकार की चीजें हैं, वह सूरज, चांद और तारा है।

 

गाने के साथ ऐसे ही सवाल और जवाब हो रहा है, उमंग के माहौल में लोगों ने खूब पीए पिलाए।

तिब्बती जाति की विवाह परंपरा में सगाई, बरात, शादी ब्याह तथा विवाहोत्तर जीवन की चटक जातीय व स्थानीय विशेषता होती है। साथ ही इस में गाढ़ा युगांतर प्रभाव भी पड़ता है, आज विवाह रस्म में परंपरा और आधुनिकता का संगम है, जो बहुत आकर्षक होता है।

 

उदाहरणार्थ, अब बरात में कार और स्वयंसेवी दावत शामिल है और हनीमून के लिए पर्यटन पर जाने का चुनाव भी होता है। विवाह समारोह में आए तिब्बती युवा बहुत जोशपूर्ण और फैशनुबल दिखते हैं, वे बढ़चढ कर दुल्हे दुल्हन को जाम देते हैं।

 

आगे जब मेरी शादी होगी, तो मैं पहले परंपरागत विवाह समारोह आयोजित करूंगा, इस के अलावा मैं अपनी पत्नी को हनीमून के लिए यात्रा पर ले जाऊंगा।

 

इस प्रकार के भव्य व उत्साहपूर्ण विवाह समारोह में भाग लेने पर मुझे बहुत खुशी हुई है, ऐसा जातीय विवाह समारोह अविस्मरणीय है. इस में रंगबिरंगे नृत्य गान आयोजन है, परंपरागत तिब्बती भोजन है और खूबसूरत तिब्बती पोशाक है, जिसने मुझे पर अमिट छाप छोड़ी है।

 

 तिब्बती जाति का विवाह समारोह आम तौर पर तीन दिन तक चलता है, चौथे दिन भी बरात में आए रिश्तेदारों व मित्रों का सत्कार किया जाता है, समारोह में लोग मकान के खंभों की चारों ओर तिब्बती नाच नाचते हैं, रात भर गाना गाते हैं, समारोह दिन रात जारी रहता है।

 

विवाह समारोह में चाचा छांगपा और चाची च्वोमू ने षष्टतंतु वाले वाद्य बजाते हुए तिब्बती गाना गाया, जिस से विवाह समारोह की खुशी और बढ़ गयी।

 

उल्लासपूर्ण माहौल से प्रभावित होकर दुल्हन त्ये जी बराबर आनंद और सुहाग में मग्न रही है, उस ने भावविभोर होकर कहा कि मुझे लगा है कि इस समय मैं दुनिया की सब से सुखमय दुल्हन रही हूं।

 

हमारे विवाह समारोह में परंपरागत महत्व अधिक है, चूंकि मैं परंपरा का सम्मान करती हूं, मां बाप की शिक्षा से हम परंपरागत विवाह रस्म को पसंद करते हैं और मैं अपनी संतान को यह शिक्षा देना भी चाहती हूं। ताकि यह परंपरा अटूट होगी।

 

हमारी युवावस्था में विवाह समारोह के लिए आज की जैसी अच्छी स्थिति नहीं थी, इसलिए वह बहुत सरल था। आज विवाह समारोह के अनेक रूप होते हैं, लेकिन उन्हों ने परंपरागत रूप चुना है. इसतरह यह परंपरा पीढियों से जारी रहेगी। मैं बहुत खुश हूं और नवविवाहित दंपति को आशीर्वाद देता हूं।

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