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11वें पंचन लामा को व्यापक भिक्षुओं व भक्तों का सम्मान प्राप्त हुआ
2010-07-27 09:18:00

इस साल के जून माह में 11वें पंचन अर्डेनी क्योइग्यी ग्यीइबो ने तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के विभिन्न स्थानों में सिलसिलेवार धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया, जिस के दौरान तिब्बत के व्यापक भिक्षुओं और धर्मालंबियों ने उन का हार्दिक समादर किया और असीम भक्ति प्रकट की। 11वें पंचन लामा ने क्रमशः तिब्बत के ल्हासा, लोका, शिकाजे तीन स्थानों का दौरा किया और वहां जोखांग मठ, रजेंग मठ, योम्बू लागांग महल और समीय मठ में भगवान बुद्ध की पूजा अर्चना की और बौद्ध सूत्रों का व्याख्या किया, इस के अलावा उन्हों ने दसियों हजार भक्तों के सिर पर हाथ रखते हुए आशीर्वाद दिया।

15 जून को सुबह साढे नौ बजे, शहनाइयों की बुलंद और जोरदार आवाज में ताशिहूंपो मठ के सलामी दल के साथ चीनी बौद्ध संघ के उपाध्यक्ष, 11वें पंचन लामा अर्डेनी क्वोइग्यी ग्यीइबो पधारे, उन्हों ने मठ के डोजा नामक आंगन में रखी गयी गद्दी पर बैठकर ताशिहुंपो मठ के 800 से ज्यादा भिक्षुओं और 600 से ज्यादा धर्मालंबियों के सामने सहजता से धार्मिक सूत्र जपाए और सूत्रों की व्याख्यान की।

नये रूप में सुसज्जित डोजा आंगन की एक ओर देश की रक्षा व जनता को कल्याण शब्द अंकित विशाल आलेख बोर्ड ऊंचा ऊंचा लगाया गया है और आंगन में नीले व सफेद रंग के धारीदार कपड़ों का बड़ा आशियाना खड़ा किया गया है, आशियाना के भीतर बाहर मंगलसूचक रंगीन फीतें लटकायी गयी हैं और समूचा कार्य स्थल गंभीर्य और पवित्रता से परिपूर्ण है। ताशिहुंपो मठ के भिक्षु ने परिचय देते हुए कहा कि पंचन लामा के सूत्रों के बारे में व्याख्यान देने की खबर फैलने के बाद बहुत से भक्त दूर दूर से आए हैं, इस तरह 1500 से ज्यादा सीटों वाला डोजा आंगन लोगों से खचाखच भरा हुआ, अन्दर जगह नहीं मिलने पर बहुत से धर्मालंबी दरवाजे के पास गलियारों में खड़े होकर भक्ति के साथ पंचन लामा का व्याख्या सुनते हैं।

अधिक से अधिक भक्तों को साफ साफ पंचन लामा की सूत्र व्याख्यान सुन पाने के लिए ताशिहुंपो मठ के भिक्षुओं ने डोजा मठ के बाहर ऊंजी जगह पर लाउटस्पीकर लगाए ताकि सभी लोग पंचनलामा का भाषण अच्छी तरह सुन सकें।

ताशिहुंपो मठ में 11वें पंचन लामा ने दो दो सुबह के समय में हजारों भिक्षुओं और अनुयायियों को सूत्रों का विस्तार से व्याख्या किया, जिन में तिब्बती बौध धर्म की पीत शाखा के गुरू त्सोंगखापा की मुख्य रचना त्रिमुख मार्ग के सूत्र और सिद्धांत आदि सूत्र शामिल हैं। 1995 में लामा धर्म के नियमों के मुताबिक पलंग पर बैठने की रस्म आयोजित होने के बाद 11वें पंचन लामा ने प्रथम बार भिक्षुओं और भक्तों को धार्मिक सूत्रों पर व्याख्या दिया है।

ताशिहुंपो मठ में धार्मित सूत्रों पर व्याख्या देने के दौरान जब जब रूचिकर विषय का सिलसिला आया, तो पंचन लामा ने देह को थोड़ा सा आगे झुकाए हाथों की मुद्रा देते हुए कभी ऊंचे लहजे में, कभी उत्साह केसाथ भाषण देते रहे। सभी श्रोतागण लगन व चाव से सुनते रहे। ताशिहुंपो मठ के तंत्र शास्त्र सदन में 24 साल तक अध्ययन कर चुके वरिष्ठ भिक्षु दोरजी फुंत्सोक ने पंचन लामा के व्याख्या की चर्चा करते हुए कहा कि यद्यपि इस बार 11वें पंचन लामा के व्याख्या में शामिल सूत्र ज्यादा नहीं है, लेकिन उस के विषय बहुत महान और गहरे है, सूत्रों की विषय वस्तु विस्तृत है और सिद्धांत अहम है। उन का व्याख्या सुबोध भाषा में है जो आसानी से समझा जाता है। जाहिर है कि युवा पंचन लामा का बौध धर्म का शिक्षा स्तर पचास साठ साल के अनुभवी गैसी डिग्री प्राप्त आचार्य से भी ऊंचा है।

16 जून को पंचन अर्डनी शिकाजे से 300 किलोमीटर दूर आंरन व लाजी काउंटी गए। वहां पूरे दिन उन का धार्मिक अनुष्ठान चला और उन्हों ने दस हजार से अधिक भक्तों को सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया।

16 जून की रात साढे सात बजे, पूर्व निर्धारित समय से दो घंटे ज्यादा निकले, लेकिन लाजी काउंटी के छ्युतेह मठ के आंगन में पंचन लामा से आशीर्वाद लेने वाले धार्मिक भक्तों की तांता लगी रही। मठ के पश्चिम आंगन में स्थापित गद्दी पर पंचन लामा धैर्य के साथ हरेक भक्त को आशीर्वाद देते रहे।

दूसरे दिन की सुबह छह बजे, पंचन लामा का काफिला पश्चिम की ओर पहाड़ी रास्ते पर चल निकला, अंधेरा छाए पठार के ऊपर आसमान में तारागण चमचमा रहा है। गाड़ी के हैड लाइट की रोशनी में दूर फैलती चली गयी सड़क देखने में मानो एक लम्बा हाता ऊंचे पहाड़ों से घिरी घाटी में लटकायी सी जान पड़ता है। हाता तिब्बती जाति का मंगलसूचक सफेद फीता है जो आदरणीय व्यक्ति या मेहमान को भेंट किया जाता है।

पौ फटने के बाद मैदान के किनारे और कस्बों व गांवों के बाहर हर जगह धार्मिक रीति के मुताबिक पवित्र घास पत्तों को जलाने से धुआं ऊपर उठती नजर आयी, हाथों में हाता थमाए असंख्य धार्मिक अनुयायी पंचन के स्वागत में खड़े रहे। पंचन का काफिला जहां भी गया, वहीं उन का भावभीना स्वागत किया गया, सभी लोगों ने इस युवा जीवित बुद्ध के प्रति तहेदिल से सम्मान व्यक्त किया। जब पंचन का काफिला धीरे धीरे रवाना हो रहा है, तो विभिन्न स्थानों से आ पहुंचे भिक्षु और धर्मालंबी लोग या तो अपनी टोपी उतार कर या हाथ जोड़ कर उन्हें विदाई देते रहे। बहुतसे लोगों ने हर्षोल्लास से अपने हाथों से उन की गाड़ी पर हाता फेंक कर समादर और समर्थन व्यक्त किया है। जहां और जब भी भक्त भीड़ से मिले, तो पंचन लामा ने अवश्य हाथ के इशारे से गाड़ी रोक दी और गाड़ी से उतरकर उन्हें सिर पर हाथ रखकर आशार्वाद देते रहे।

सुबह साढे नौ बजे, पंचन लामा आंरन काऊंटी के छ्वुतेह मठ पहुंचे। वहां ढोल नगाड़ों की ऊंची आवाज गूंज उठी, धार्मिक बिगुल बजाये गए और मंगलमय घास पत्तों की धुआं जलने लगी। छ्वुतेह मठ का निर्माण सन् 1225 में हुआ, यह एक लम्बा इतिहास और अत्यन्त मशहूर बौद्ध मंदिर है। कहा जाता है कि तिब्बती बौद्ध धर्म के गेलूग संप्रदाय के संस्थापक महा गुरू त्सोंगखापा ने इस मठ में धार्मिक सूत्रों पर बहस की थी। धूपदान थामने तथा बिगुल बजाने वाले भिक्षुओं की रहनुमाई में पंचन लामा ने क्रमशः मठ के मुख्य भवन व सूत्र भवन का चक्कर लगाया और धार्मिक गद्दी पर बैठे सूत्र जपाने में नेतृत्व किया, भिक्षुओं को भिक्षा प्रदान की और चाय व भोजन खिलाया।

इस बीच, जीवित बुद्ध से आशीर्वाद लेने आए धार्मिक अनुयायियों की भीड़ पहाड़ी ढलान पर बने मठ के द्वार से दूर दो किलोमीटर तक लगी, फिर पहाड़ी तलहटी से लेकर काऊंटी की मुख्य सड़क तक बढ़ी। सुबह 11 बजकर 20 मिनट पर 85 वर्षीय वृद्ध दादा क्वाइग्याई को सब से पहले पंचन लामा से सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद देने का गौरव मिला। सफेद तिब्बती पोशाक और लाल रंग के बूट पहने क्वाइग्याई लाठी के सहारे कर्मचारी की मदद से सामने आ रहे है, तो पंचन लामा ने बराबर तवज्जह की निगाह में देखते हुए अपना हाथ आगे बढ़ाकर उन का स्वागत किया, फिर कमर झुकाकर इस वयोवृद्ध भक्त के सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया। रस्म संपन्न होने के बाद पंचन लामा की स्नेहपूर्ण नजर में क्वाइग्याई को चलने की विदा दी। वयोवृद्ध ने भावविभोर होकर कहाः

आज मुझे जीवित बुद्ध से आशीर्वाद मिला है, इससे मैं बहुत गौरविन्त हुआ है।

शिकाजे शहर से दक्षिण पश्चिम में 20 किलोमीटर दूर नातांग मठ स्थित है, जो तिब्बत के सांस्कृतिक खजाने के नाम से मशहूर है। यह मठ तिब्बती जाति आबादी क्षेत्र में स्थित तीन सूत्र मुद्रण मंदिरों में से एक है। मठ का क्षेत्रफल बड़ा नहीं है, लेकिन छापा उद्योग की दृष्टि से वह महत्वपूर्ण है, उस में जो सूत्र छापे गए है, उन की गुणवत्ता ऊंची है और वितरण का क्षेत्र विस्तृत है।

18 जून की सुबह 11वें पंचन लामा नातांग मठ पहुंचे। वरिष्ठ भिक्षु न्गावा केन्ले के साथ पंचन लामा ने सूत्र मुद्रण सदन का दौरा किया । न्गावा केन्ले ने भावविभोर होकर कहा कि दसवें पंचनलामा ने भी हमारे मठ का दौरा किया था, इसबार 11वें पंचन लामा भी यहां पधारे, यह नातांग मठ के लिए एक बहुत बड़ी खुशी की बात है। उन्हों ने कहाः

जीवित बुद्ध पंचनलामा हमारे इस छोटे मठ में पूजा अर्चना करने आए हैं, इस पर हमें बड़ी खुशी हुई। जीवित बुद्ध के निर्देशन में धार्मिक नियमों का कड़ाई से पालन किया गया तथा विभिन्न धार्मिक गतिविधियां सफलता केसाथ संपन्न की गयी हैं। इससे साबित हुआ है कि उन का धार्मिक ज्ञान दिनोंदिन बढ़ते हुए बेहद पारंगत और गहरा हो गया है। वे भिक्षुओं और भक्तों से सम्मानित और प्यार नासिब जीवित बुद्ध है।

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