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विश्व में समुद्र-सतह से सब से ऊंचे लोजिस्टिक्स केंद्र की स्थापना तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के नाछ्यु प्रिफेक्चर में हुई
2009-07-07 16:52:31

विश्व में समुद्र-सतह से सब से ऊंचे स्थान पर स्थापित लोजिस्टिक्स केंद्र यानी तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के नाछ्यु प्रिफेक्चर के लोजिस्टिक्स केंद्र का निर्माण योजनानुसार 30 जून को पूरा हो चुका है, जो तिब्बत के भावी आर्थिक विकास के लिए बड़ी भूमिका निभाएगा । कुछ दिन पूर्व हमारे संवाददाता ने नाछ्यु प्रिफेक्चर की यात्रा की और इस पठारीय परियोजना को देखा ।

नाछ्यु प्रिफेक्चर छिंगहाई तिब्बत पठार के केंद्रीय स्थल में स्थित है, जहां की औसत ऊंचाई समुद्र सतह से 4500 मीटर अधिक है । नाछ्वु कांउटी छिंगहाई तिब्बत रेल लाइन और छिंगहाइ तिब्बत राज मार्ग के रास्ते पर बसी हुई है । नाछ्यु लोजिस्टिक्स केंद्र कांउटी शहर के दक्षिण भाग से पांच किलोमीटर दूर स्थित है, जो छिंगहाई तिब्बत रेल लाइन के नाछ्यु स्टेशन के ईर्दगिर्द बनाया जाता है, इस केन्द्र की लुम्बाई सात किलोमीटर है और चौड़ाई 1.5 किलोमीटर, केन्द्र का कुल क्षेत्रफल 530 हैक्टर है । लोजिस्टिक केंद्र परियोजना के निर्माण में कुल एक अरब 40 करोड़ य्वान की राशि लगाई गई और इस का निर्माण वर्ष 2007 के सितम्बर में शुरू हुआ था । कार्य क्षमता के अनुसार लोजिस्टिक केंद्र खुदरा माल गोदाम, बहुमुखी माल गोदाम और उत्पादन व प्रोसेसिंग क्षेत्र जैसे तीन भागों में बंटा हुआ है ।

अभी आप ने सुनी लोजिस्टिक केंद्र के निर्माण स्थल में काम करने की आवाज़ । चीन के भीतरी इलाके में गर्मियों की ऋतु कब ही हो चुकी है, लेकिन तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के नाछ्यु प्रिफेक्चर में मौसम अभी ठंडा है। लोजिस्टिक्स केन्द्र के निर्माण क्षेत्र में कार्यरत मज़दूर सर्दियों के गर्म कपड़े पहनते हुए हैं । उत्तरी तिब्बत पठार का मौसम बहुत ही परिवर्तनशील है, एक ही दिन में मौसम तीन रूप ले सकता है, कभी बारिश होती है और कभी बर्फ गिरती है । वर्ष 2008 के वसंत काल में यहां ऐसा भारी बर्फबारी व बारिश वाला मौसम हुआ था , जो पिछले पचास वर्षों में अभूतपूर्व था । कड़ाके के ठंड मौसम से निर्माण काम के लिए भारी कठिनाइयां पैदा हुईं । नाछ्यु लोजिस्टिक केंद्र के उप निदेशक श्री यांग यानक्वांग ने जानकारी देते हुए कहा:

"नाछ्वु प्रिफेक्चर में जलवायु की बड़ी विशेषता होती है । साल के बारह माहों में मात्र छः महीने में निर्माण कार्य किया जा सकता है । इस अल्प समय में लोजिस्टिक्स केन्द्र में एक लाख 10 हज़ार वर्ग मीटर वाले मकानों और 530 हैक्टर वाले स्टेशनों के निर्माण को पूरा करना बहुत मुश्किल है ।"

श्री यांग यानक्वांग की तरह यहां के बहुत से कर्मचारी चीन के भीतरी इलाके से आए हैं । नाछ्वु प्रिफेक्चर आते ही पठारीय मौसम के कारण शारीरिक प्रतिक्रिया से उन्हें नींद नहीं आ सकती, छाती में घुटन हुआ, उन के सिर में दर्द आयी और वे खाने का जी नहीं चाहते । ऐसी खराब स्थिति के बावजूद अनेकों कर्मचारी काम करने पर डटे रहे। हमारे संवाददाता ने एक आदर्श निर्माता श्री ल्यू ली फङ के साथ एक साक्षात्कार किया । उन्होंने मुस्कराते हुए हम से कहा:

"नाछ्वु लोजिस्टिक्स केंद्र में काम करने का मौका मिलने पर मुझे बड़ा गर्व लगता है । क्योंकि यह राष्ट्र स्तरीय महत्वपूर्ण परियोजना ही नहीं, साथ ही हमारे तिब्बत में सब से बड़ा लोजिस्टिक्स केंद्र भी है । इतना बड़ी परियोजना के निर्माण में भाग लेने पर मुझे सचमुच बड़ा गर्व महसूस होता है ।"

नाछ्यु लोजिस्टिक केंद्र के उप निदेशक श्री यांग यानक्वांग ने हमारे संवाददाता से कहा:

"इर परियोजना के निर्माण करने वाले कर्मचारियों की संख्या करीब 2600 है । उन में से तकनीकी कर्मचारी मुख्य तौर पर देश के भीतरी इलाके से आए हैं और श्रमिक कार्य करने वाले मज़दूर स्थानीय तिब्बती लोग हैं । हम तिब्बती मज़दूरों का उचित प्रशिक्षण करते हैं, जिन में कार्यस्थल में अपनी सुरक्षा के बारे में शिक्षा, तकनीकी हुनर का प्रशिक्षण आदि शामिल है । गत वर्ष हम ने बड़े पैमाने वाले मिट्टी-पत्थर का काम किया, जिस के दौरान प्रयोग किए जाने वाले 1300 से ज्यादा मशीनों में आठ व नौ सौ मशीनें स्थानीय तिब्बती लोग चलाते हैं । इस के जरिए स्थानीय तिब्बती मज़दूरों की श्रम तकनीक उन्नत हो गयी है । मुझे लगता है कि इस तरह हम ने स्थानीय लोगों के रोज़गार व स्थानीय आर्थिक विकास के लिए भी अपना योगदान किया है ।"

पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में नाछ्यु लोजिस्टिक केंद्र का निर्माण करने वाली कंपनी के उप मेनेजर श्री श्वे ची वन ने जानकारी देते हुए कहा कि परियोजना के निर्माण दायरे में आम तौर पर पठारीय घास मैदान है, जहां वनस्पति उगने की गति धीमी है । निर्माण के दौरान मिट्टी की खुदाई, ढुलाई और मकानों व सड़कों की नींव डालने के कारण स्वाभाविक रूप से कुछ पठारीय विस्पतियों को क्षति पहुंचायी जा सकती है । इस सवाल को हस करने के लिए परियोजना के निर्माताओं ने अनेक कदम उठाए, हम ने निर्माण स्थलों में जहां वनस्पतियों को नुकसान पहुंच सकता है, वहां की वनस्पतियों को खोदकर दूसरे स्थलों में पुनःरोपित करने और एक कार्य स्थल पर काम पूरा करने के बाद वहां फिर रोपने का तरीका अपनाया। इस से भू-सतह पर की वनस्पतियों को पहुंची क्षति सब से अधिक कम हो गयी है । उन्होंने कहा:

"निर्माण शुरू करने के पूर्व ही हम ने घास को जड़ सहित भूमि से खोद कर निकाला और दूसरे निश्चित स्थल पर लगाकर रख दिया । परियोजना का निर्माण पूरा होने के बाद हम ने इन घासों को एक बार फिर पूर्व स्थल पर प्रतिरोपित किया । अब हमामे लोजिस्टिक्स केन्द्र में हरियारा बिछाने का कार्य समाप्त होने वाला है । पूरी परियोजना खत्म होने के वक्त हमारे नाछ्यु लोजिस्टिक्स केंद्र का वातावरण बहुत अच्छा होगा । यहां नीला आसमान, स्वच्छ पानी और हरा घास मैदान नजर आएगा । हम तिब्बती जनता को संतोषजनक निर्माण कार्य पेश करेंगे।"

ध्यान रहे, छिंगहाई तिब्बत रेल कंपनी ने नाछ्यु लोजिस्टिक्स केंद्र की परियोजना के निर्माण के लिए आवश्यक पूंजी व साजोसामान लगायी है, जिस का डिज़ाइन चीनी रेल मंत्रालय के प्रथम डिज़ाइन अकादमी ने किया था और परियोजना का निर्माण चीनी रेल निर्माण समूह और चीनी रेल निर्माण नम्बर पांच ब्यूरो द्वारा संयुक्त रूप से चलाया गया । चीनी रेल मंत्रालय की मांग के अनुसार इस केंद्र को दूरदर्शिता ,तेज़ गति, पूरी क्षमता और समुन्नति से लैस प्रथम श्रेणी के आधुनिकतम लोजिस्टिक्स केंद्र बनाया जाएगा ।

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