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वनछ्वान भूकंप की दो वर्षगांठ की स्मृति
2010-05-19 10:33:59

थांग:यह चाइना रेडियो इन्डरनेशनल है। श्रोताओं को श्यआओ थांग का प्यार भरा नमस्कार। आप का पत्र मिला कार्यक्रम सुनने के लिए आप का हार्दिक स्वागत।

अनील:श्रोताओं को अनिल का भी नमस्कार। आपका पत्र मिला कार्यक्रम में सभी श्रोताओं का स्वागत है। हम कामना करते हैं कि आप और आपके परिजन खुशहाल, स्वस्थ रहें और दीर्घायु रहें। इसके साथ ही हम इस कार्यक्रम को और बेहतर बनाने की पूरी कोशिश करेंगे।

थांग:दोस्तो, आप को जरूर याद होगा कि दो साल पूर्व के इसी दिन में दक्षिण पश्चिमी चीन के सछ्वान प्रांत की वन छ्वान कांउटी में रिएक्टर पैमाने पर 8.0 डिग्री वाला भूकंप आया था, उधर चौदह अप्रेल को छिंगहाई प्रांत के युशू तिब्बती प्रिफैक्चर में भी रिक्टर पैमाने तौर पर 7.1 डिग्री वाला भूकंप आया, इन दोनों जबरदस्त भूकंप से भारी जान माल की क्षति पहुंची । वनछ्वान भूकंप की दूसरी वर्षगांठ और युशू भूकंप के अट्ठाइस दिनों के उपलक्ष में यहां हम सभी मृतकों व उन के परिवारजनों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं। दो वर्षों में वनछ्वान कांउटी का पुनर्निर्माण कार्य बुनियादी तौर पर समाप्त हो गया। नया स्कूल , नया रिहायशी मकान, नया कारखाना, नया मार्ग एक-एक नज़र आ रहा है। अब भूकंप से ग्रस्त लोग एक बार फिर खुशहाल जीवन बिताने लगे । उधर युशू क्षेत्र का पुनर्निर्माण कार्य भी जोरों पर है। हमें विश्वास है कि सछ्वान वासियों और युशू वासियों का भविष्य और सुन्दर होगा। इस अम्मीद के साथ अब शुरू होता है आज का कार्यक्रम। पहले आप सुनिए हमारे श्रोताओं द्वारा भेजे गए पत्रों का उद्धरण।

प्रिय श्रोता दोस्तो, आइए सुनिए भागलपुर बिहार के इजराइल कस्तूरी, निकाइल अंसारी और इसराइल अंसारी का पत्र। इजराइल कस्तूरी और साथियों ने अपने पत्र में कहा कि कई लोग यह कहते लिखते हैं कि रविवार अवकाश का दिन है, तो इस अवसर पर खूब आराम और मौज मस्ती की जानी चाहिए। मेरी सुनें तो मैं तो सिर्फ़ यही कहूंगा कि हमारे लिए रविवार सी.आर.आई से मित्रवत संबंध को प्रगाढ़ बनाने के लिए आता है।

रविवार को हमारे क्लब में सदस्यों व अतिथियों को आमंत्रित कर एक मीटिंग का आयोजन किया जाता है तथा कार्यक्रम पर जोरदार, गर्मागर्म बहस होती है। कार्यक्रम की गुणवत्ता तथा इसे लोकप्रिय बनाने के लिए तौर तरीके पर बातचीत की जाती है। कुल मिलाकर रविवार का दिन हम लोगों के लिए महत्वपूर्ण होता है। इसी दिन का प्रयोग हम लोग सी.आर.आई के लिए काफ़ी खुश होते हैं। आपसे अनुरोध है कि रविवार को कोई मित्रवत संबंध को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम को आरंभ करें।

अनिल:इजराइल कस्तूरी और साथियों को धन्यवाद है कि आप लोग हर रविवार को सी.आर.आई. कार्यक्रम सुनते हैं और उस पर चर्चा करते हैं। इसके अलावा कार्यक्रम पर सुझाव के लिए भी आपका धन्यवाद।

थांग:श्रोता दोस्तो, गुनसेज, दिनारा, सासराम, बिहार के श्रोता भाई रवि शंकर दिवारी ने हममें ईमेल भेज कर चीन व भारत संबंध की चर्चा की। उन्होंने अपने इस ईमेल में कहा कि वर्ष 1949 में नये चीन की स्थापना के बाद के अगले वर्ष, भारत ने चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किये। इस तरह भारत चीन लोक गणराज्य को मान्यता देने वाला प्रथम गैरसमाजवादी देश बना। चीन व भारत के बीच राजनयिक संबंधों की औपचारिक स्थापना के बाद के पिछले 55 वर्षों में चीन-भारत संबंध कई सोपानों से गुजरे। उनका विकास आम तौर पर सक्रिय व स्थिर रहा, लेकिन, बीच में मीठे व कड़वी स्मृतियां भी रहीं। इन 60 वर्षों में दोनों देशों के संबंधों में अनेक मोड़ आये। चीन व भारत विश्व के दो बड़े विकासशील देश हैं। दोनों ने विश्व की शांति व विकास के लिए अनेक काम किये हैं। चीन और उसके सब से बड़े पड़ोसी देश भारत के बीच लंबी सीमा रेखा है। 1950 के दशक में चीन व भारत के संबंध इतिहास के सब से अच्छे काल में थे। दोनों देशों के शीर्ष नेताओं ने तब एक-दूसरे के यहां की अनेक यात्राएं कीं और उनकी जनता के बीच भी खासी आवाजाही रही। दोनों देशों के बीच तब घनिष्ठ राजनीतिक संबंध थे। लेकिन, 1960 के दशक में चीन व भारत के संबंध अपने सब से शीत काल में प्रवेश कर गये। इस के बावजूद दोनों के मैत्रीपूर्ण संबंध कई हजार वर्ष पुराने हैं। इसलिए, यह शीतकाल एक ऐतिहासिक लम्बी नदी में एक छोटी लहर की तरह ही था। 70 के दशक के मध्य तक वे शीत काल से निकल कर फिर एक बार घनिष्ठ हुए। चीन-भारत संबंधों में शैथिल्य आया , तो दोनों देशों की सरकारों के उभय प्रयासों से दोनों के बीच फिर एक बार राजदूत स्तर के राजनयिक संबंधों की बहाली हुई। 1980 के दशक से 1990 के दशक के मध्य तक चीन व भारत के संबंधों में गर्माहट आ चुकी थी। हालांकि वर्ष 1998 में दोनों देशों के संबंधों में भारत द्वारा पांच मिसाइलें छोड़ने से फिर एक बार ठंडापन आया। पर यह तुरंत दोनों सरकारों की कोशिश से वर्ष 1999 में भारतीय विदेशमंत्री की चीन यात्रा के बाद समाप्त हो गया। अब चीन-भारत संबंध कदम ब कदम घनिष्ठ हो रहे हैं।चीन व भारत बहुध्रुवीय दुनिया की स्थापना करने का पक्ष लेते हैं, प्रभुत्ववादी व बल की राजनीति का विरोध करते हैं और किसी एक शक्तिशाली देश के विश्व की पुलिस बनने का विरोध करते हैं। पंचशील चीन, भारत व म्येनमार द्वारा वर्ष 1954 के जून माह में प्रवर्तित किये गये। पंचशील चीन व भारत द्वारा दुनिया की शांति व सुरक्षा में किया गया एक महत्वपूर्ण योगदान है और आज तक दोनों देशों की जनता की जबान पर है।

अनिल:श्रोता दोस्तो, गाजीपुर उत्तर प्रदेश के विजय कुमार गुप्ता चीन के भूगोल के बारे में जानना चाहते हैं। उन्होंने पूछा है कि चीन का भौगोलिक क्षेत्रफल कितना है?और जलवायु कैसी है?साथ ही चीन किस जलवायु कटिबंध में पड़ता है?

थांग:विजय भाई मैं आपके इस सवाल का जवाब देती हूं। चीन एक विशाल देश है, जिसका क्षेत्रफल 96 लाख वर्ग किलोमीटर है और विश्व में रूस व कनाडा के बाद तीसरे स्थान पर है। इतने विशाल भू-भाग में चीन की भू-स्थिति काफ़ी विविध और जटिल है। चीन में विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी यानी हिमालय की चुमलांगमा चोटी है, विश्व की तीसरी बड़ी नदी यांगत्सी नदी तथा विश्व की पांचवीं बड़ी नदी पीली नदी है। चीन में विश्व का चौथा बड़ा गोबी रेगिस्तान है। चीन का तूरुफ़ान बेसिन समुद्र तल से भी नीचा है और सछ्वान बेसिन विश्व में मशहूर है। चीन का पमीर और छिंगहाई-तिब्बत पठार विश्व में सब से ऊंचा है। पूर्वी चीन के तीन विशाल मैदान देश के अनाज उत्पादन केंद्र है और चीन के सिन्चांग व भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेशों में विशाल घास मैदान पर पशु पालन केंद्र है। चीन में विश्वविख्यात जंगल है, जो तिब्बत स्वायत्त प्रदेश, युन्नान-क्वेईचो पठार पर और उत्तर पूर्व चीन के हेलुंगच्यांग प्रांत में है। चीन के पूर्वी व दक्षिण भाग में विशाल समुद्र है और समुद्र में चीन का थाईवान द्वीप दुनिया भर में मशहूर है।

अनिल:विशाल भूभाग में फैले चीन की जलवायु भी विविध है। यहां शीतकटिबंधीय, शीतोष्ण कटिबंध और अर्ध उष्णकटिबंध प्रदेश हैं। उत्तर पूर्व चीन के हेलुंगच्यांग प्रांत में सर्दियों में तापमान शून्य से नीचे तीस चालीस डिग्री नीचे जाता है तो दक्षिण चीन के क्वांग तुंग प्रांत में तापमान शून्य से ऊपर बीस डिग्री से भी अधिक होता है। पश्चिम चीन में भूमि उंची है, वहां ऊंचे पर्वत हैं और पठार हैं, तो पूर्वी चीन में भू-स्थिति नीची है, वहां समतल मैदान और टीले उपलब्ध है। चीन के समुद्र प्रशांत सागर से जुड़े हुए है और वहां बहुत से छोटे बड़े द्वीप मिलते हैं। चीन के सबसे बड़े द्वीप थाईवान में उष्णकटिबंध व अर्ध उष्णकटिबंध मौसम होता है। विशाल चीन की थल सीमा 22 हज़ार किलोमीटर है और कुल समुद्र-तटीय सीमा 32 किलोमीटर है, जिसमें मुख्य भूमि की समुद्रतटीय सीमा 18 हज़ार और द्वीपों की कुल तटीय सीमा 14 हज़ार किलोमीटर है।

थांग:तो विजय कुमार गुप्ता जी, आपके सवाल का इतना विस्तार से जवाब दिया गया है। आशा है आप इससे संतुष्ट होंगे।

अनिल:अच्छा श्रोता दोस्तो, अब हम अगले श्रोता द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देंगे। मदरसा रोड, कोआथ, बिहार के हाशिम आजाद ने पत्र भेज कर सी.आर.आई हिन्दी विभाग की पुरानी उद्घोषिका सुन इंग दीदी के बारे में पूछा कि फिलहाल सुन इंग दीदी कहां है और किस हाल में है?हाशिम आजाद ने विशेष तौर पर श्याओ थांग से इस सवाल का जवाब देने की गुजारिश की है। तो श्याओ थांग जी आप ही बताइए, सुन इंग दीदी के बारे में । मैं भी जानना चाहता हूं।

थांग:अच्छा, सबसे पहले हम हाशिम आजाद को धन्यवाद देते हैं कि उन्हें हमारी पुरानी उद्घोषिका सुनइंग याद हैं और मुझसे इस सवाल के जवाब देने को कहा। इस सवाल से जाहिर है कि आप जरूर हमारे पुराने श्रोता ही नहीं, सक्रिय श्रोता भी है। वास्तव में सुन इंग दीदी हमारे हिन्दी विभाग के सबसे बेहतरीन उद्घोषिकाओं में से एक हैं। उनकी आवाज़ बहुत मीठी है और उनके द्वारा बनाए गए कार्यक्रम श्रोताओं को बहुत दिलचस्प लगते थे। लगभग दस बारह साल पूर्व सुन इंग दीदी रिटायर हो गई। वे पूरी तरह स्वस्थ हैं। हम कभी कभार श्रोताओं द्वारा भेजे गए पत्र उन्हें बताते हैं और उन्होंने मुझ से श्रोताओं को अपना नमस्कार कहने की बात कही है। सुनइंग दीदी ने कहा कि वे हमेशा हमारे श्रोताओं को याद करती हैं । हालांकि अब वह सी.आर.आई हिन्दी विभाग में काम नहीं करती, लेकिन जीवन भर में उनका दिल हमारे श्रोताओं के साथ जोड़ता है। दोस्तो, सुन इंग दीदी हमारे हिन्दी विभाग की एक आदर्श मिसाल है, जिसे सारे श्रोताओं पसंद करते हैं। हम उनकी तरह ही कोशिश करेंगे। मुझे आशा है कि जब मैं रिटायर हो जाउ तो हमारे श्रोता मुझे भी इसी तरह याद कर सकेंगे। यह मेरे लिए गौरव की बात होगी।

थांग:दोस्तो, कुछ दिन पहले छिंगहाई के युशू प्रांत में हुए भूकंप के बाद हमारे कई श्रोताओं ने सी़. आर.आई को फोन देकर अपनी सहानुभूति व्यक्त की। अप्रेल की 28 तारिख को हम ने कई भारतीय दोस्तों की आवाज़ पेश की, आज आप सुनेंगे उन में से एक हेमंत की क्या कहते हैं।  

थांग:दोस्तो, दक्षिण चीन के सछ्वान प्रांत के वनछ्वान कांउटी में आए भूकंप की दो वर्षगांठ और छिंगहाई के युशू भूकंप की अट्ठाइस दिनों के उपलक्ष में यहां में विशेष तौर पर एक भारतीय गीत पेश करना चाहती हूँ। हमारी आशा है कि भविष्य में भूकंप से ग्रस्त लोग और बहतर जीवन बिता सकेंगे। चाहे भारतीय हो या चीनी, हम सब पृथ्वी बड़े परिवार के सदस्य हैं। प्राकृतिक दुर्घटना के मुकाबले में हम साथ-साथ हैं। तो आज के इस मौके पर मैं फिल्म"हम साथ-साथ हैं"का एक गीत पेश करूंगी। यह गीत विशेष तौर परकबर्रू कुलासर-बेला, औरेया, उत्तर प्रदेश के देशपाल सिंह सेंगर, रमबस सदुलपुर, राजस्तान के विनोद साइनी, मधब चंद्र सगोर, पश्चिमी बंगाल के वोर्ड डी. एक्सिंग क्लब के सभी सदस्य, कुम्हरवा, चांदपुर भाया, दुर्गागन्ज, कटिहार, बिहार के सुमित कुमार भगत, लक्षमण प्र. भगत और गुलबालोद, आलोट, रतलाम, मध्य प्रदेश के मालवा रेडियो श्रोता संघ के विक्मर मालवीय व अन्य श्रोताओं के लिए पेश किया जाएगा। उन्होंने आप का पत्र मिला कार्यक्रम के लिए पत्र भेजा। आशा है आप लोग और अन्य श्रोता इस गीत को पसंद करेंगे। अब सुनिए यह गीत।

थांग:अच्छा दोस्तो, आज का यह कार्यक्रम यही समाप्त होता है। अब श्याओ थांग और अनुल को आज्ञा दें, नमस्कार।

अनिल:नमस्कार।

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