हाल के दिनों में अमेरिकी व यूरोपीय अधिकारी फिलीस्तीन पर लगातार दबाव डाल रहे हैं, ताकि उसे संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य बनने की कोशिश छोड़ने के लिए राज़ी किया जाय। लेकिन फिलिस्तीन का रुख दृढ़ है।
7 सितंबर को मध्य-पूर्व सवाल के लिए अमेरिकी विशेष दूत डेविड हले ने जॉर्डन नदी के पश्चिमी तट पर स्थित रामल्लाह शहर की यात्रा की और फिलीस्तीनी राष्ट्रीय सत्ताधारी संस्था के अध्यक्ष महमूद अब्बास के साथ वार्ता की। हले ने फिलीस्तीन से संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य देश बनने की कोशिश न करने की मांग की। लेकिन अब्बास ने कहा कि सदस्य देश बनने और फिलीस्तीन-इजराइल वार्ता में कोई अंतर्विरोध नहीं हैं। फिलीस्तीन हर समय वार्ता बहाल करने को तैयारी है, लेकिन पूर्व शर्त यह है कि इजराइल वर्ष 1967 में निर्धारित सीमा के आधार पर प्रस्ताव पर सहमत हो और फिलीस्तीन में बस्तियों का निर्माण बन्द करे।
इससे पहले मध्य-पूर्व सवाल से जुड़े चार पक्षों के विशेष दूत ब्लेयर, अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और विदेश व सुरक्षा नीति के लिए यूरोपीय संघ की वरिष्ठ प्रतिनिधि कैथरीन एश्टन ने भी राजनयिक तरीके से फिलीस्तीन पर संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य देश बनने की कोशश न करने के लिए दबाव डाला।
(ललिता)