तीसरा चीनी तिब्बती संस्कृति मंच 21 अगस्त को समाप्त हुआ, जिसमें देशी-विदेशी तिब्बती विद्वानों ने तिब्बती संस्कृति के संरक्षण के बारे में चीन सरकार द्वारा की गई कोशिशों व प्राप्त उपलब्धियों की सराहना की। कुछ विद्वानों का मानना है कि विदेश में लोगों का यह आरोप कि तिब्बती संस्कृति नष्ट हो रही है, जो कि एक द्वेषपूर्ण आक्रमण है।
चीन तिब्बती विद्या अनुसंधान केंद्र के उप महानिदेशक जंग वेइ ने कहा कि विदेश में कई लोगों को तिब्बती संस्कृति के बारे में गलत समझ है और उनका रवैया पक्षपातपूर्ण है। उन्हें पता नहीं कि तिब्बती संस्कृति क्या है। कई लोग जानबूझकर तिब्बती संस्कृति नष्ट होने का प्रचार करते हैं।
विश्व व्यापार केंद्र एसोसिएशन की निदेशक वू शुछींग ने पिछले 30 सालों में 30 से अधिक बार तिब्बत का दौरा किया। उनका मानना है कि कई विदेशी मीडिया तिब्बत व उसकी संस्कृति के बारे में गलत रिपोर्ट करते हैं। जिससे लोगों को तिब्बती संस्कृति नष्ट होने का भ्रम होता है। वास्तव में चीन सरकार तिब्बती संस्कृति के संरक्षण को महत्व देकर ज्यादा पूंजी लगाती है।
तिब्बती बौद्ध धर्म के जीवित बुद्ध गांगछन ने कहा कि लोगों को तिब्बत के विकास के बारे में कम जानकारी है। चीन सरकार तिब्बती संस्कृति के विकास का व्यापक समर्थन करती है।
ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और तिब्बती विद्वान हिल्डेगार्ड ड्याएम्बरगर ने तिब्बती परंपरागत संस्कृति के संरक्षण पर विश्वास जताया। (दिनेश)