तीसरा चीनी तिब्बती संस्कृति मंच 21 अगस्त को ल्हासा में समाप्त हुआ। इसमें विभिन्न प्रतिनिधियों ने तिब्बत के दौरे और अध्ययन के बारे में विचार रखे। जिससे देशी विदेशी विद्वानों के बीच संपर्क मज़बूत हुआ है। उन्होंने अध्ययन में हासिल कामयाबियों पर भी चर्चा की। जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग तिब्बत व उसकी संस्कृति पर ध्यान रखेंगे। साथ ही दुनिया में विभिन्न जातियों की संस्कृति का संरक्षण व विकास भी आगे बढ़ेगा।
संगोष्ठी में 18 सुप्रसिद्ध देशी विदेशी विद्वानों ने भाषण दिए। इसके अलावा सभी विद्वानों ने तिब्बती विद्या के अध्ययन, तिब्बती प्राचीन ग्रंथों का पुस्तकालय और गैरभौतिक सांस्कृतिक विरासत थांखा चित्र के संरक्षण आदि से संबंधित जानकारी ली और तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति की 60 वीं वर्षगांठ की उपलब्धियो की प्रदर्शनी भी देखी।
चीनी तिब्बती संस्कृति संरक्षण व विकास एसोसिएशन वर्ष 2004 में स्थापित हुआ। जो वर्ष 2007 में संयुक्त राष्ट्र आर्थिक व सामाजिक परिषद का विशेष सलाहकार संगठन बना। वर्ष 2006 और 2007 में उसने पेइचिंग और नेपाल के काठमांडू में पहला व दूसरा चीनी तिब्बती संस्कृति मंच आयोजित किया।
(दिनेश)