जापान ने 2 अगस्त को 2011 का रक्षा श्वेत पत्र जारी किया। गत वर्ष की तरह इस साल के रक्षा श्वेत पत्र में चीन के खतरे को बढ़ा-चढा कर पेश किया गया और चीन के प्रति चार कथित चिंताएं व्यक्त की गई। विशेषज्ञों का मानना है कि जापान के पड़ोसी देशों साथ शत्रुता का रवैया अपनाने से उसकी रक्षा सुनिश्चित नहीं होगी।
चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमी के जापान मामलों के अनुसंधान कार्यालय के अनुसंधानकर्ता वू ह्वै चूंग का विश्लेषण है कि जापान का यह कदम उठाने का मूल कारण वह चीन के तीव्र विकास और चीन के राष्ट्रीय रक्षा की सामान्य गतिविधियों से मेल नहीं खा रहा है।
वू ह्वै चूंग ने कहा कि चीन के सैन्य बल व सैन्य प्रवृत्तियों को धमकियों के रूप में उभरना जापान की सुरक्षा नीति को समायोजित करने और सैन्य तैनाती की जरूरत है। साथ ही में जापान में रक्षा पक्ष को ज्यादा बजट मांगने के लिए चीन आदि पड़ोसी देशों के मामले उठाने चाहिए।
2 अगस्त को दक्षिण कोरियाई विदेश मंत्रालय व रक्षा मंत्रालय ने जापान के रक्षा श्वेत पत्र में डोक्डो द्वीप पर जापान की प्रभुसत्ता के रुख का विरोध किया और जापान से इसे तुरंत ठीक करने का आग्रह किया।
(नीलम)