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मुंबई विस्फोट का भारत की भावी स्थिति पर क्या असर
2011-07-15 16:07:10

भारतीय समयानुसार 14 जुलाई की रात तक मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों में कुल 18 लोग मारे गए और अन्य 131 घायल हुए हैं, जिन में 23 घायलों की हालत गंभीर बतायी गयी। अब तक किसी ने इस विस्फोट कांड की जिम्मेदारी लेने का दावा नहीं किया। हालांकि मौजूदा विस्फोट घटना से 2008 की मुंबई आतंकी हमलों की याद ताजा हो गयी है, फिर भी इस का भारत पाक संबंध पर असर नहीं पड़ने का अनुमान लगाया गया है।

13 जुलाई की रात भारत के मुंबई शहर में श्रृंखलाबद्ध विस्फोट होने के बाद कुछ मुंबई निवासियों ने नागरिकों की सुरक्षा के लिए सरकार की निकम्मेता की निन्दा की। इस पर भारतीय गृह मंत्री चिदंबरम ने सफाई करते हुए कहा कि 2008 में मुंबई में आतंकी हमलों के बाद सरकार ने आतंक विरोधी काम में तमाम संभाविक तरीके अपनाए हैं, विभिन्न बड़े शहरों में सार्वजनिक स्थानों पर चौकसी और सुरक्षा के कड़े सरंजाम किए गए। बीते सालों में भारत के विभिन्न स्थानों में आतंकी धमाका घटनाओं की तादाद काफी घट गयी। साथ ही उन का यह मानना है कि छुट-पुट बदमाशों से स्वनिर्मित विस्फोटकों का इस्तेमाल करके भीड़ भरी जगहों पर हमला बोलने की रोकथाम बहुत कठिन है।

भारतीय पुलिस के सूत्रों के अनुसार मौजूदा मुंबई हमलों में अख्तियार तरीके भारत के अन्य स्थानों में कई बार हुए आतंकी विस्फोटों के तरीकों से मिलते जुलते हैं। यानी हमलों में समान रूप से कम शक्ति वाले बम का प्रयोग किया गया था और बम में टाइमिंग डिवाइस लगाने के बाद उसे भीड़भाड़ वाली सार्वजनिक जगहों पर छिपाया गया था। भारतीय पुलिस ने यह भी कहा कि मौजूदा विस्फोट घटना 2008 मुंबई हमलों की तरह कड़ाई के साथ संगठित नहीं की गयी थी और घटना स्थलों में आत्मघाती हमलावर भी दिखाई नहीं पड़े । इसलिए अनुमान लगाया जा सकता है कि मौजूदा हमले का लक्ष्य राजसत्ता को पलटने का नहीं है, वह आतंकी गिरोह द्वारा किया गया एक आम अपराधिक घटना है। पुलिस के अनुसार मौजूदा हमले छुट-पुट आतंकियों के हाथों रचे गए थे, जिन में जावेरी बाजार में हुआ धमाका कमजोर था और कम हताहती भी हुई थी।

गृह मंत्री चिदंबरम ने 14 जुलाई की रात को मुंबई में मीडिया से कहा कि मौजूदा हमलों के हमलावर पकड़ने में अभी पर्याप्त सूराग नहीं मिले है, किन्तु भारतीय सुरक्षा संस्थाएं अपराधियों को पकड़ने में कोई कसूर नहीं छोड़ेंगी। श्री चिदंबरम ने नागरिकों से शांत व संयम रखने की अपील भी की, क्योंकि आतंकियों का मकसद लोगों में दहशत मचाना ही है। भारतीय मीडिया के मुताबिक भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी 14 तारीख को मुंबई पहुंचे और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड और केन्द्रीय फॉरंसिक साइंस लैब और केन्द्रीय जांच एजेंसी के तमाम वरिष्ठ विशेषज्ञ भी घटना स्थलों पर घटना से निपटने में जुटे हुए हैं। लेकिन ऐसा विश्लेषण भी सुनने को मिला है कि इधर के एक वर्ष में सिंह सरकार भ्रष्टाचार विरोधी मामले के कारण विपक्षी पार्टियों के आरोपों से जूझ रही है और पिछले साल भी एक बार अविश्वास मतदान से बाल बाल बची थी। ऐसे में मुंबई हमलों ने विपक्षी पार्टियों को सिंह सरकार पर चोट लगाने का एक और बहाना दे दिया। भाजपा के वरिष्ठ नेता अडवानी ने 14 तारीख को कहा कि इस हमले से साबित हुआ है कि सिंह सरकार की आतंक विरोधी नीति सचमुच गड़बड़ पड़ी है, मुंबई में बार बार आतंकी धमाकों से नागरिकों को करारा मानसिक आघात पहुंचा है।

2008 में मुंबई में विश्व को अचंभे में डालने वाला आतंकी हमला कांड हुआ था, इस के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव इस कदर बढ़ा था कि दोनों के बीच युद्ध छिड़ते छिड़ते टल गया। इस साल की फरवारी में भारत और पाक के बीच शांति वार्ता बहाल होने की घोषणा हुई और दोनों देशों के विदेश सचिवों में जून में इस्लामाबाद में कश्मीर विवाद, सैनिक विश्वास व्यवस्था तथा लोगों की आवाजाही आदि अहम मुद्दों पर बातचीत हुई। पूर्व योजना के मुताबिक दोनों देशों के विदेश मंत्री जुलाई में वार्ता करेंगे। 13 जुलाई को विस्फोट घटना घटित होने के तुरंद बाद पाक नेताओं ने इस की कड़ी निन्दा की और पाकिस्तान के विभिन्न तबकों के लोगों ने भी बयान देकर हमलों की भर्त्सना की। भारत के प्रति पाक जनता की सद्भावना मीडिया के माध्यम से भारतीय जनता तक पहुंची और दोनों देशों के नागरिकों में जो माहौल पनपा है, वह 2008 मुंबई हमलों के बाद उभरी स्थिति से बिलकुल अलग है। भारतीय प्रधान मंत्री सिंह सहित सरकारी अधिकारियों ने भी अपनी अपनी प्रतिक्रिया में मौजूदा हमलों के सूत्र को किसी अन्तरराष्ट्रीय पृष्ठभूमि से जोड़ देने से बचने की कोशिश की ।

भारत के कुछ विश्लेषकों ने बताया कि मौजूदा विस्फोटों के तरीके 2008 मुंबई हमलों के तरीके से भिन्न है, मुंबई के संवेदनशील स्थानों में बम विस्फोट होने के कारण देश विदेश में इस पर ज्यादा ध्यान दिया गया है, उन्होंने मीडिया से अपील की कि वे मौजूदा हमला घटना का अति प्रचार करने से बच जाए और हमलावरों की असलियत का मनगढंत अंदाज लगाने की कोशिस न करें ताकि अनावश्यक दहशत पैदा न हो।

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