तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद पिछले 60 सालों में केन्द्रीय सरकार और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सरकार की उच्च तवज्जो में तिब्बती पठार पर विशेष पारिस्थितिकी पर्यावरण की कारगर रक्षा की गयी है। अब भी वह दुनिया में सर्वश्रेष्ठ पर्यावरण वाले इलाकों में से एक बना रहा है।
ल्हासा नदी के किनारे पर रहने वाले तिब्बती निवासी श्री छिवांगचिनमे अन्य स्थानीय निवासियों की भांति रोज सुबह नदी की जल राशि में तैरते खेलते पीली बत्तखों और मंदारिनों को देखने का जी नहीं ऊबते हैं, नदी पर घूमना उन के जीवन का एक भाग बन गया है। इस की चर्चा में उन्होंने कहाः
पिछली शताब्दी के नब्बे वाले दशक से चीन सरकार ने तिब्बत में पारिस्थितिकीगत पर्यावरण के संरक्षण पर जोर लगाया और लोगों में पर्यावरण संरक्षण के बारे में सजगता भी लगातार उन्नत होती गयी। अच्छे तरह के संरक्षण के फलस्वरूप कुछ नस्लों की पक्षियां, जो एक समय तक लुप्त हो गयी थी, अब वापस नदी के किनारे लौट आयी हैं। अब उन की संख्या भी निरंतर बढ़ती जा रही है। ल्हासा शहर के निवासी होने के नाते तिब्बत की मातृनदी ल्हासा नदी में इतना सुन्दर प्राकृतिक दृश्य देखकर मुझे बड़ी खुशी हुई है।
तिब्बत चीन के ऐसे प्रांतों में से एक है, जहां जीव विविधता उल्लेखनीय है। तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद पिछले 60 सालों में सरकार ने तिब्बत की पारिस्थितिकीगत स्थिति के संरक्षण और विकास पर बड़ा महत्व देती आयी है। सूत्रों के अनुसार अभी अभी बीते पांच सालों में ही तिब्बत स्वायत्त प्रदेश ने पर्यावरण संरक्षण परियोजनाओं में 10 अरब य्वान की पूंजी लगायी थी जिस से जंगली वन रक्षा योजना, खेतों को पुनः वन में बदलने की योजना तथा प्राकृतिक संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना व निर्माण परियोजनाएं लागू की गयी हैं। इस के तहत 47 प्राकृतिक संरक्षित क्षेत्र कायम हुए, एक तिहाई भूमि को प्राकृतिक संरक्षित काम में शामिल किया गया और 125 किस्मों के जंगली जानवरों को राष्ट्रीय स्तर की जंगली जीव जंतु संरक्षण सूची में स्थान दिया गया, यह संख्या देश के संरक्षण प्राप्त प्रमुख जंगली जानवरों की कुल संख्या का एक तिहाई भाग बनती है। इस पर तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की जन प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष शांगबाफिंगच्वो ने कहाः
तिब्बत में ऐसी किसी भी जीव जंतु का विनाश नहीं हुआ है। इस के विपरित यहां विविध जीवों की किस्में और नस्लें लगातार बढ़ती जा रही हैं। तिब्बत में पारिस्थितिकी आदिम रूप में बरकरार बनी रहती है। तिब्बत में यह मान्यता चल रही है कि अपनी आंखों की रक्षा करने की ही तरह जीव जंतु, पेड़-पौधे और जल-मीट्टी की रक्षा की जानी चाहिए।
तिब्बत में पारिस्थितिकी की रक्षा करने में जोर पकड़े जाने के परिणामस्वरूप यहां जीवन की अनेकों पुरानी परंपराएं भी बदली गयी हैं, जैसाकि अतीत में तिब्बती चरवाहे गोबर, घास की जड़ों और पेड़ों को ईंधन के लिए इस्तेमाल करते थे, लेकिन अब वे गोबर के गैस, सौर ऊर्जा के चूल्हों, सौर बिजली, सौर विद्युत उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं। जिस से किसानों और चरवाहों के उत्पादन और जीवन की स्थिति काफी बदली और आधुनिक सुविधाएं जगह जगह मिल जाती है और कारगर रूप से तिब्बत की पारिस्थितिकी पर्यावरण की भी रक्षा की गयी है। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश सरकार के कृषि व पशुपालन विभाग के उपाध्यक्ष सिन शङफङ ने कहाः
2010 के अंत तक प्रदेश में कुल मिलाकर एक लाख 50 हजार गोबर गैस स्टेशन बनाये जा चुके हैं, जिस से करीब 7 लाख 50 हजार किसानों और चरवाहों को साफ और सुविधापूर्ण गोबर गैस रसोई गैस के रूप में इस्तेमाल करने की सुविधा प्राप्त हुई है, एक गोबर गैस स्टेशन के इस्तेमाल से डेढ टन की लकड़ी बच सकती है और इतनी लकड़ी के लिए हर साल आधे से अधिक एकड़ के वन की जरूरत होती है।
2009 की फरवरी में चीनी राज्य परिषद ने तिब्बत में पारिस्थितिकी सुरक्षा बाड़ा निर्माण योजना पारित की है, जिस में यह इंतजाम किया गया है कि पांच पंचवर्षीय योजनाओं की अवधि के भीतर 15 अरब 50 करोड़ य्वान की राशि लगाकर तीन किस्मों की 10 पारिस्थितिकी संरक्षण व निर्माण परियोजनाएं लागू की जाएंगी और 2030 तक तिब्बत में बुनियादी तौर पर पारिस्थितिकी सुरक्षा बाड़े कायम किए जाएंगे । इस के बारे में तिब्बत सरकार के पर्यावरण संरक्षण विभाग के उपाध्यक्ष पाई चांग ने कहा कि अब तक इस योजना में 2 अरब 50 करोड़ य्वान की राशि लगायी जा चुकी है और विभिन्न परियोजनाएं अमल में चल रही हैं।
आम तौर पर कहा जाए, तो सारे तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में जल, वायु, मिट्टी, विकिरण और पारिस्थितिकी की गुणवत्ता हमेशा अच्छी हालत में बरकरार बनाए रखे हुई है और तिब्बत के ऊपर हमेशा निला निला आसमान और भूमि पर हराभरा जल राशि दिखाई देते हैं, तिब्बत विश्व में सब से अच्छे पर्यावरण वाले क्षेत्रों में से एक है।