दोस्तो , चीन स्थित कुछ देशों के सैन्य अटैटियों व उन की पत्नियों ने पांच जुलाई को पेइचिंग जातीय सांस्कृतिक भवन में लगी तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के 60 सालों की उपलब्धियां प्रदर्शनी देखी और मौके पर तिब्बती विद्वानों के साथ विचारों का आदान प्रदान किया , सैन्य अटैचियों ने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि प्रदर्शनी और आदान प्रदान के जरिये उन्हों ने तिब्बत के इतिहास और संस्कृति को और अच्छी तरह समझ लिया है , पिछले 60 सालों में तिब्बत में प्राप्त उल्लेखनीय उपलब्धियां सर्वविदित और प्रशंसनीय हैं ।
तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के 60 सालों की उपलब्धियां प्रदर्शनी 15 जून को शुरु हुई , तब से लेकर अब तक आधा माह गुजर गया है , पर काफी ज्यादा दर्शक बड़े उत्साह के साथ इस प्रदर्शनी को देखने नजर आते हैं । पांच जुलाई के दोपहर के बाद चीनी राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय कमेटी के अंतर्राष्ट्रीय सम्पर्क विभाग के निमंत्रण पर चीन स्थित लगभग 30 देशों के 60 से अधिक सैन्य अटैचियों, डिप्टी अटैचियों और उन की पत्नियों ने यह प्रदर्शनी देखी ।
विभिन्न देशों के अटैची जब जातीय सांस्कृतिक भवन के प्रदर्शनी हाँल में प्रविष्ट हुए , तो तिब्बती स्थानीय विशेषताओं से सुसजित प्रदर्शनी पर एकदम मोहित हो गये । उन्होंने प्रदर्शनी हाल के बीचोंबीच लटके शुभांकर सुनहरे चेमर पात्र के सामने फोटो खिचने में होड़ सी लगायी , फिर तिब्बत के इतिहास , मौजूदा स्थिति और सस्कृति के बारे में बड़े मजे के साथ गाइड का परिचय सुन लिया ।
चीन स्थित ब्राजिली सैन्य अटैची सेविरिनो पेक्शो ने कहा कि इस प्रदर्शनी से वे तिब्बत के इतिहास , संस्कृति और तिब्बती जनता के जीवन से और ज्यादा परिचित हुए हैं ।
इस प्रदर्शनी ने मुझ पर गहरी छाप छोड़ रखी है , आज मुझे तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के पिछले 60 सालों में प्राप्त उपलब्धियां देखने और चीन के इतिहास को जानने का मौका मिल गया है । यह प्रदर्शनी बहुत अच्छी है , चित्रों से तिब्बत की संस्कृति और जीवन के विभिन्न पहलू पूर्ण रुप से दर्शाये गये हैं ।
तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के 60 सालों की उपलब्धियां प्रदर्शनी कुल तीन भागों में बटी हुई है। प्रदर्शनी में कोई पांच सौ चित्रों , तीस से अधिक वस्तुओं , तीसेक नकशाओं और पर्याप्त ठोस ऐतिहासिक दस्तावेजों और जीगते जागते मल्टीमीडिया माध्यमों के जरिये तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति की महान ऐतिहासिक प्रक्रिया दर्शायी गयी है , पिछले 60 सालों में तिब्बत में हुए जमीन आसमान का बड़ा परिवर्तन , तिब्बती जनता का सुखी जीवन और तिब्बत की विभिन्न जातियों की एकता , सामाजिक सामंजस्यपूर्ण मानसिक सूरत देखने को मिलती है ।
चीन स्थित नाइजीरिया के फौजी अटैची अबुबाकर ने अपना अनुभव बताते हुए कहा चीनी केंद्रीय सरकार ने तिब्बत के विकास के लिये बहुत ज्यादा प्रयास किये हैं । गत वर्ष मैं तिब्बत के ल्हासा शहर गया , अपनी आंखों से केद्रीय सरकार के प्रयास को देख लिया है , तिब्बत अभी पहले से अधिक खुला हुआ है , सभी क्षेत्रों में प्रगति हुई है । तिब्बती जनता के जीवन में शांतिपूर्ण मुक्ति के पहले से उल्लेखनीय सुधार आया ।
काफी ज्यादा फौजी अटैची भी बहुजातीय देशों से आये हैं , उन्होंने तिब्बत में कार्यांवित क्षेत्रीय स्वशासन और चीनी अल्पसंख्यक जातीय संख्या के विकास जैसे मामलों में दिलचस्पी दिखायी ।
चीन स्थित दक्षिण अफ्रीका के दूताबास के रक्षा अटैची नेल्वामोडो ने कहा यह एक बेहद आश्चर्यजनक प्रदर्शनी है , जिस से मुझे मालूम हुआ है कि अब तिब्बत का बड़ा विकास हुआ है । इस बात पर मुझे बड़ी खुशी भी हुई है । साथ ही मुझे यह भी पता चला है कि चीन की 12वीं पंचवर्षीय योजना में विशेष तौर पर तिब्बत के विकास का उल्लेख किया गया है , यह बहुत अच्छा है ।
इन फौजी अटैचियों को तिब्बत के इतिहास व संस्कृति को और ज्यादा जानने के लिये संयोजकों ने दौरे की समाप्ति पर विशेष तौर पर एक भेंटवार्ता भी की , मौके पर चीनी तिब्बती विद्या अनुसंधान केंद्र के चांग युन और कसांग ड्रोमा इन दोनों तिब्बती विद्नानों ने उक्त फौजी अटैचियों के प्रश्नों के उत्तर दिये । तिब्बती विद्वानों ने जीविद बुद्ध के अवतार , जातीय क्षेत्रीय स्वशासन , तिब्बती जातीय संस्कृति के संरक्षण व विरासत आदि मामलों पर फौजी अटैचियों के साथ आदान प्रदान किया और कुछ प्रश्नों के उत्तर दिये ।
तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के 60 सालों की उपलब्धियां प्रदर्शनी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के केंद्रीय संयुक्त मोर्चे , राष्ट्रीय विकास व सुधार आयोग , और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सरकार व शिनह्वा समाचार एजेंसी आदि संस्थाओं के तत्वावधान में आयोजित है , यह प्रदर्शनी 8 जुलाई तक लगी रहेगी ।