अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की कार्यकारी समिति ने उसी दिन जारी अपने वक्तव्य में कहा कि महा निदेशक की नियुक्ति के दौरान कार्यकारी समिति के 24 सदस्यों ने 20 से 23 जून तक क्रिस्टीन लैगार्ड और मैक्सिको के केंद्रीय बैंक के गवर्नर आँगस्टीन कास्टन इन दोनों उम्मीदवारों से क्रमशः मुलाकात की । दोनों उम्मीदवारों ने संबंधित मामलों पर अपना अपना दृष्टिकोष व विचार जता दिया । कार्यकारी समिति का समान मत है कि ये दोनों उम्मीदवार इस जिम्मेदारी के लिये पूरी तरह सक्षम हैं , पर उन में से एक का चयन करना जरूरी है । इस तरह कार्यकारी समिति ने इन दोनों उम्मीदवारों की सूचनाओं व सामग्री पर संजीदगी के साथ विचार विमर्श करने के बाद लैगार्ड को निर्वाचित कर दिया । इस नियुक्ति से लैगार्ड अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के करीब 70 साल पुराने इतिहास में प्रमथ महिला महा निदेशक बनेंगी , साथ ही वे इस संगठन की पांचवीं फ्रांसीसी नागरिता प्राप्त महा निदेशक भी होगी । अभी तक अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के सभी दस महा निदेशक यूरोपीय संभाले हुए हैं ।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा यह परिणाम घोषित किये जाने से पहले काफी ज्यादा देशों ने अलग अलग तौर पर अपना अपना उम्मीदार पेश किया । चीनी केंद्रीय बैंक के गवर्नर चओ श्याओ छ्वान ने 27 जून को मीडिया के सम्मुख बयान देते हुए कहा कि चीन ने लैगार्ड के प्रति पूरा समर्थन व्यक्त किया , यह आईएम एफ के अगले महा निदेशक के उम्मीदवार के प्रति चीन का खुला रवैया ही है । अमरीका ने 28 जून को लैगार्ड की नियुक्ति के प्रति समर्थन प्रकट किया । अमरीकी वित्तीय मंत्री गेट्ना ने कहा कि ऐसे मौके पर जबकि भूमंडलीय अर्थतंत्र कुंजीभूत दौर में है , लैगार्ड की असाधारण प्रतिभा और समृद्ध अनुभव इस संस्था को मूल्यवान नेतृत्व उपलब्ध करा देगा । गेट्ना ने कहा कि लैगार्ड को नवोदित आर्थिक समुदायों समेत सदस्यों में व्यापक समर्थन मिला है , अमरीका इस से प्रभावित हुआ है ।
लोकमत का ध्यान इस बात पर केंद्रित हुआ है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के इस महा निदेशक के निर्वाचन में नवोदित देशों ने इसी संगठन में और ज्यादा कथनाधिकार प्राप्त करने की बुलंद आवाज उठायी । उन का विचार है कि उन की आर्थिक शक्तियों की मजबूती के साथ साथ आईएमएफ के उच्च स्तरीय प्रबंधकों में अपने बंटवारे की अभिव्यक्ति भी होनी चाहिये । इसीलिये उम्मीदवार लैगार्ड ने सारी दुनिया की मत यात्रा में क्रमशः ब्राजिल , भारत और चीन आदि नवोदित आर्थिक समुदाय देशों की यात्रा की , ताकि उन से समर्थन मिल सके । लैगार्ड ने यात्रा के दौरान अनेक बार कह दिया है कि यदि वे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की महा निदेशक बनेंगी , तो वे विकासशील देशों के लिये और ज्यादा कथनाधिकार प्राप्त करने की पूरी कोशिश करेंगी । उन्होंने कहा कि वे नवोदित बाजार देशों के अर्थशास्त्रियों के लिये आईएमएफ में अधिक पदों की खोज निकालेंगी । चीन यात्रा के दौरान लैगार्ड ने एक न्यूज ब्रीफींग में कहा कि वे आईएमएफ में चीन का कथनाधिकार उन्नत करने और चीन के कोटे को 6.39 प्रतिशत तक बढाने का पूरा समर्थन कर देंगी ।
28 जून को महा निदेशक की नियुक्ति के बाद लैगार्ड ने जारी वक्तव्य में कहा कि भूमंडलीय आर्थिक व वित्तीय संकट में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष प्रमुख पार्ट अदा करता है । उन्होंने कहा कि सभी सदस्यों को सेवा उपलब्ध कराना महा निदेशक बनने के बाद उन का प्रमुख कार्य है ।
इस से पहले कुछ विश्लेषकों का कहना था कि यूरोपीय समर्थन प्राप्त उम्मीदवार की हैसियत से लैगार्ड संभवतः यूरोप का पक्षपात करें । इस के मद्देनजर लैगार्ड ने कार्यकारी समिति के सम्मुख जोर देते हुए कहा कि वे तमाम सदस्यों के हितों का प्रतिनिधित्व करती हैं , न कि किसी निश्चित क्षेत्र । उन्होंने गत सप्ताह आईएमएफ की कार्यकारी समिति के इंटरव्यू में बल देकर कहा कि वे ग्रीस समेत यूरोपीय देशों के साथ रियायत भी नहीं देंगी । यूरोपीय नेताओं के साथ वार्तालाप में वे आवश्यक निष्पक्ष और कड़े रुख पर कामय रहेंगी । पर विश्लेषकों का मानना है कि यूरोपीय मुश्किलों का समाधान करना लैगार्ड का प्राथमिक कार्य है , उन की नियुक्ति ग्रीस के कर्ज संकट के शीघ्र समाधान के लिये लाभदायक है , जबकि यह आईएमएफ की प्रथम महिला महा निदेशक के सामने खड़ी प्रथम चुनौती भी है ।