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भारत का अफ्रीका के साथ सहयोग बढाने का इरादा
2011-05-25 16:45:52

दोस्तो , दो दिवसीय दूसरा भारत अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन 24 मई को इथियोपिया की राजधानी अदीस अबेबा में उद्घाटित हुआ । भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह और इथियोपिया , केनिया, मोरितानिया , मरावी और बुरुंडी समेत 15 अफ्रीकी देशों के नेता इस सम्मेलन में शरीक हुए । इस सम्मेलन का मुख्य मुद्दा साझेदार संबंध की मजबूती और समान अभिलाषा है , ऊर्जा और आर्थिक व व्यापारिक सहयोग भारत व अफ्रीका की द्विपक्षीय वार्ता का केंद्र है , दोनों पक्षों ने अनेक आर्थिक व व्यापारिक सहयोग समझौते संपन्न कर दिये , इस के अलावा दोनों पक्षों ने आतंकवाद व समुद्री डाकुओं विरोधी मामलात और संयुक्त राष्ट्र संघ के सुधार आदि सवालों पर विचार विमर्श कर दिया ।

भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने शिखर सम्मेलन में कहा कि दूसरा भारत अफ्रीका शिखर सम्मेलन एक ऐतिहासिक सम्मेलन है , साथ ही वह भारत व अफ्रीका के बीच अफ्रीकी महा द्वीप पर आयोजित प्रथम उच्च स्तरीय सम्मेलन भी है , वह भारत व अफ्रीका के बीच भावी सहयोग व विकास के लिये नयी रुपरेखा तैयार करेगा । सिंह ने कहा कि अफ्रीका के साथ भारत का साझेदार संबंध काफी अलग ढंग का है , उपनिवेशवादी व जातीय पृथक्तावादी व्यवस्थाओं के मुकाबले और गरीवी उन्मूलन तथा रोगों व भूखमरी के निपटारे जैसे क्षेत्रों में दोनों पक्षों का समान इतिहास है । सिंह ने यह भी घोषित किया है कि भारत अफ्रीका के आधारभूत संस्थापनों और मानवीय संसाधनों के निर्माण के लिये सहायता देना जारी रखेगा , भारत आगामी तीन सालों में अफ्रीकी देशों को 5 अरब अमरीकी डालर कर्ज देगा , ताकि अफ्रीकी देशों के विकास को मदद दी जा सके , साथ ही अफ्रीका को नये अनुसंधान प्रतिष्ठानों की स्थापना व प्रशिक्षण के लिये 70 करोड़ अमरीकी डालर और इथियोपिया से जिबूती तक पहुंचने वाली रेल लाइन के लिये तीस करोड अमरीकी डालर देगा । इस के अलावा वह सोमालिया में अफ्रीकी संघ के शांति स्थापन कार्य के लिये 20 लाख अमरीकी डालर भी देगा ।

भारतीय लोकमत का विचार है कि भारत का इतनी ज्यादा धन राशि लगाने का मकसद है कि दोनों पक्षों के बीच आर्थिक व व्यापारिक सहयोग , खासकर संसाधन व ऊर्जा के क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत बनाया जाये , ताकि भारत के अर्थतंत्र का निरंतर विकास साकार किया जा सके । अफ्रीकी महा द्वीप के विशाल बाजार की निहित शक्तियां और भरपूर संसाधनों का भंडारण भारत के भावी विकास को प्रभावित कर देगा । कुछ विद्वानों का कहना है कि भारत की अफ्रीकी रणनीति एक काफी महत्वपूर्ण मोड़ पर आयी है , भारत बडे क्षेत्रीय देश से विश्व के बड़े देश का रुप लेने के लिये अफ्रीकी रणनीति अपनाना जरूरी है ।

अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष जेन पिंग ने शिखर सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में अफ्रीका व भारत से अपील की है कि दोहा राऊंट वार्ता , कृषि विकास , आर्थिक व्यापार , आतंकवाद विरोधी संघर्ष और जलवायु परिवर्तन आदि क्षेत्रों में सहयोग को बढावा दिया जाये । उन्होंने कहा कि मौजूदा शिखर सम्मेलन अफ्रीका व भारत के साझेदार संबंधों के विकासक्रम का मील पत्थर है , यह आशा भी जतायी है कि भारत अफ्रीका की शिक्षा व दवादारु सहायता को सुदृढ़ बना देगा , साथ ही अति अविकसित अफ्रीकी देशों के कर्ज को माफ करेगा और ऊर्जा क्षेत्र में पूंजी बढाने के चलते आधारभूत संस्थापनों के निर्माण और मानवीय संसाधनों के विकास में और ज्यादा धनराशि जुटायेगा ।

ऊर्जा सहयोग मौजूदा भारत अफ्रीका शिखर सम्मेलन में ध्यानाकर्षक सवाल ही है । दोनों पक्षों ने तीन साल पहले नयी दिल्ली में हुए प्रथम शिखर सम्मेलन से लेकर अब तक के सहयोग का सिंहावलोकन किया और भारत अफ्रीका साझेदार संबंधों के ढांचे तले रुखों को समन्वित किया , ताकि और विस्तृत सहयोग की खोज की जाये । प्रथम भारत अफ्रीका शिखर सम्मेलन में जारी भारत अफ्रीका सहयोग ढांचागत समझौता नामी कार्यक्रम दस्तावेज के अनुसार ऊर्जा आने वाले काल में दोनों पक्षों के सहयोग का प्रमुख क्षेत्र ही है , दोनों पक्ष ऊर्जा के सर्वेक्षण व खुदाई में सहयोग वढावा देने को वचनबद्ध हैं ।

सुरक्षा सवाल मौजूदा शिखर सम्मेलन का अन्य एक महत्वपूर्ण विषय भी है । इस शिखर सम्मेलन में दोनों पक्षों ने अफ्रीकी सुरक्षा परिस्थिति और हिन्द महा सागर में समुद्री डाकुओं पर प्रहार जैसे सवालों पर विचार विमर्श भी किया ।

विश्लेषकों का मानना है कि भारत ने अफ्रीकी महा द्वीप के साथ बेहतरीन ऐतिहासिक संबंध का फायदा उठाकर अफ्रीका में पूंजी निवेश बढाने व विभिन्न अफ्रीकी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध व सहयोग को गहराई में ले जाने में संलग्न है , ताकि अफ्रीकी महा द्वीप में अपनी छवि खड़ी की जाए । इस के साथ ही भारत को यह भी आशा है कि भारत की तेज आर्थिक वृद्धि से ऊर्जा व विकास की आपूर्ति के लिये अफ्रीकी संसाधन व बाजार प्राप्त किया जायेगा । भारत अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन ने दोनों पक्षों को एक उच्च स्तरीय आदान प्रदान व सहयोग का मंच प्रदान किया है और निश्चित हद तक अपनी राजनीतिक व आर्थिक मांग पूरी की है ।

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