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दूसरा भारत अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन
2011-05-24 16:50:46

दोस्तो , भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह 23 मई को विशाल भारतीय प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व कर इथियोपिया की राजधानी अदीसअबेबा पहुंच गये , वे 24 मई को वहां पर होने वाले दूसरे भारत अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन में उपस्थित होंगे । यह शिखर सम्मेलन 2008 में नयी दिल्ली में हुए प्रथम भारत अफ्रीका शिखर सम्मेलन के बाद भारत अफ्रीका सहयोग बनाने का और एक उच्च स्तरीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ही है ।

इस दो दिवसीय सम्मेलन में मिश्र , केनिया , इथियोपिया और नाइजीरिया समेत 15 अफ्रीकी देश और अफ्रीकी संघ भाग ले रहे हैं । भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह अपने विदेश व वाणिज्य मंत्रालयों के उच्च स्तरीय अधिकारियों का नेतृत्व कर इस सम्मेलन में शरीक होंगे , ताकि विभिन्न क्षेत्रों में अफ्रीका के साथ भारतीय सहयोग को बढावा दिया जा सके । सम्मेलन की कार्यसूची के अनुसार दोनों पक्ष सम्मेलन के समापन समारोह में अदीस अबेबा घोषणा पत्र और भारत अफ्रीका सहयोग की मजबूती का ढांचागत समझौता जारी करेंगे , जिस से भावी भारत अफ्रीका सहयोग के लिये नया रोड मेप निर्दिष्ट किया जायेगा ।

भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने रवाना होने से पहले बताया कि भारत व अफ्रीका का आवाजाही इतिहास बहुत पुराना है, दोनों पक्षों का संबंध दक्षिण दक्षिण सहयोग की आदर्श मिसाल कहने लायक है । अफ्रीका विश्व अर्थतंत्र का नया जबरदस्त वृद्धि बिंदु है , जबकि भारत तेज विकास का नवोदित आर्थिक समुदाय ही है , बहुत ज्यादा क्षेत्रों में दोनों पक्षों के बीच समान हित और सहयोग की भारी निहित शक्तियां मौजूद हैं । सिंह ने जोर देते हुए कहा कि मौजूदा सम्मेलन प्रतीकात्मक महत्व रखता है और वह अवश्य ही भारत अफ्रीका सहयोग को नयी दिशा की ओर ले जाएगा ।

भारत की नजर में आर्थिक व्यापार व पूंजी निवेश के क्षेत्रों में सहयोग फिर भी भारत अफ्रीका सहयोग का प्रमुख विषय रहा है । इधर सालों में अफ्रीका में भारत के पूंजी निवेश में निरंतर वृद्धि हुई है । 2000 से 2007 तक अफ्रीका में भारत ने जो धन राशि जुटायी है , वह 837 प्रतिशत बढ़ गयी है । 2009 में अफ्रीका में भारत ने जो पूंजी लगायी है , वह भारत की कुल बाहरी पूंजी का 33 प्रतिशत बनती है। 2009 में भारत अफ्रीका व्यापार 45 अरब अमरीकी डालर तक पहुंच गया । भारतीय वाणिज्य व उद्योग मंत्री आनन्द शर्मा ने इस से पहले कहा कि भारत आगामी 2015 में इस आंकड़े को 70 अरब अमरीकी डालर तक पहुंचाने को तैयार है ।

वर्तमान में भारत अफ्रीका माल व्यापार मेला अदीस अबेबा में उद्घाटित हुआ है , 80 से अधिक भारतीय कम्पनियां इस व्यापार मेले में अफ्रीका के साथ सहयोग की खोज में संलग्न हैं । भारतीय मीडिया ने यह रिपोर्ट देते हुए कहा कि प्रधान मंत्री सिंह मौजूदा शिखर सम्मेलन में अफ्रीका को पांच करोड अमरीकी डालर का परियोजना ऋण देने की घोषणा करेंगे , जिस का मकसद है कि भारतीय उपक्रम अफ्रीका के आधारभूत संस्थापनों के निर्माण में भाग ले सके । संक्षेप में कहा जाये , भारत आधारभूत संस्थापनों के निर्माण , सेवा और दूर संचार आदि क्षेत्रों में अपनी श्रेष्ठता प्रदर्शित करना और अफ्रीका के साथ आर्थिक व व्यापारिक आवाजाही बढावा देना चाहता है , ताकि समूचे द्विपक्षीय सहयोग का आधार मजबूत हो सके ।

ऊर्जा द्विपक्षीय सहयोग का अन्य एक प्रमुख क्षेत्र ही है । अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के आंकड़ों के अनुसार भारत करीब 70 प्रतिशत की ऊर्जा आपूर्ति आयात पर निर्भर करता है । इसलिये समृद्ध संसाधन संपन्न अफ्रीका भारतीय अर्थतंत्र के सतत विकास के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण है । प्रथम भारत अफ्रीका शिखर सम्मेलन के बाद भारत ने नाइजीरिया और अंगोला के साथ तेल व प्राकृतिक गैस खुदाई सहयोग समझौते संपन्न किये , साथ ही सूडान , लीबिया और गाबोन आदि देशों में तेल व प्राकृतिक गैस क्षेत्रों में पूंजी लगायी । अनुमान किया जा सकता है कि आइंदा ऊर्जा भारत अफ्रीका सहयोग का प्रमुख क्षेत्र रहेगा , दोनों पक्ष ऊर्जा के सर्वेक्षण व खुदाई में सहयोग सुदृढ़ बना देगा।

इस के अलावा मौजूदा शिखर सम्मेलन में दोनों पक्ष संयुक्त राष्ट्र संस्थाओं के सुधार और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मामलों पर विचार विमर्श करेंगे । भारत को उम्मीद है कि अफ्रीका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करेगा । जबकि सुरक्षा के क्षेत्र में बड़ी तादाद में भारतीय नागरिकता प्राप्त अंतर्राष्ट्रीय नाविक सोमालियाई समुद्री डाकुओं द्वारा अपहृत हुए , इसलिये दोनों पक्ष समुद्री डाकुओं विरोधी सवाल पर केंद्रित रुप से विचार विमर्श भी कर देंगे ।

इस के अलावा भारत अफ्रीका के साथ ऐतिहासिक व क्षेत्रीय सम्पर्क को बढावा देना भी चाहता है । अफ्रीका के साथ दीर्घकालीन आवाजाही में बड़ी तादाद में प्रवासी भारतीय अफ्रीका में बस गये हैं , अब लगभग 28 लाख प्रवासी भारतीय पूर्वी अफ्रीका में रहते हैं । साथ ही बहुत से अफ्रीकी देशों की ही तरह भारत भी ब्रिटेन का उपनिवेशी देश रहा था , भाषाओं , राजनीतिक व्यवस्थाओं और कायदा कानूनों के क्षेत्रों में दोनों पक्षों के बीच बहुत ज्यादा समानताएं मौजूद हैं । अतः भारत बराबर अफ्रीका को अपनी कूटनीतिक आवाजाही में एक महत्वपूर्ण कड़ी समझता आया है ।

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