तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के अध्यक्ष पाई मा छी लिन ने 19 तारीख को कहा कि 14 वें दलाई लामा ने इतिहास को छोड़कर तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति को चीनी जन मुक्ति सेना का आक्रमण कहा,यह बयान इतिहास को विकृत करना है और दुराश्यभरा है।
चीनी राज्य परिषद के समाचार दफ्तर द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन में संवाददाता ने पूछा कि दलाई लामा ने कहा था कि 17 सूत्रीय समझौता मजबूर होकर हस्ताक्षरित हुआ था, इस के प्रति चीन का विचार क्या है?तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के अध्यक्ष पाई मा छी लिन ने कहा कि वर्ष 1950 में चीनी जन मुक्ति सेना के तिब्बत में प्रवेश करने पर 14वें दलाई लामा ने आभे अवांचीनमे को पेइचिंग में वार्ता करने के लिए भेजा, वार्ता के दौरान उस समय के तिब्बत प्रतिनिधि मंडल ने दलाई लामा के साथ संपर्क रखा हुआ था। 17 सूत्रीय समझौता हस्ताक्षरित होने के बाद दलाई लामा ने बैठक आयोजित कर 17 सूत्रीय समझौते का समर्थन प्रकट किया था और अध्यक्ष माओ त्स तुंग को फ़ोन करके कहा कि 17 सूत्रीय समझौते को तिब्बत क्षेत्रीय सरकार और भिक्षुओं, आम लोगों द्वारा स्वीकार किया गया था। इसलिए तिब्बत का 17 सूत्रीय समझौता हस्ताक्षरित करना विवशता नहीं था।
पाई मा छी लिन ने कहा कि चीनी केंद्रीय सरकार की दलाई के प्रति नीति स्पष्ट रही है, जब दलाई लामा सच्चे मायने में चीन का विभाजन करने का रुख व कार्यवाही छोड़ेगा, खुले तौर पर तिब्बत को चीन की प्रादेशिक भूमि का एक अभिन्न भाग स्वीकार करेगा, थाईवान को चीन की प्रादेशिक भूमि का एक अभिन्न भाग स्वीकार करेगा, चीन लोक गणराज्य सरकार को चीन का प्रतिनिधि करने वाली एक मात्र सरकार स्वीकार करेगा तो किसी विषय के बारे में वार्ता की जा सकेगी । केंद्रीय सरकार और दलाई लामा के बीच वार्ता का द्वार खुला है।(होवेइ)