दोस्तो , तीसरा चीन अमरीका रणनीतिक व आर्थिक वार्तालाप अमरीका के स्थानीय समय के अनुसार 9 से 10 मई तक अमरीकी राजधानी वाशिंगटन में हो रहा है । क्योंकि यह उच्च स्तरीय वार्तालाप ऐसी पृष्ठभूमि में शुरु हुई है , जबकि चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ ने चालू वर्ष के शुरु में सफल अमरीका यात्रा की है और दोनों देशों के संबंध साझेदार संबंध के निर्माण के नये दौर में प्रविष्ट हुए हैं , इसलिये चीन व अमरीका दोनों देश , यहां तक कि अंतर्राष्ट्रीय लोकमत इसी वार्तालाप पर कड़ी नजर रखे हुए हैं ।
अमरीकी प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व विदेश मंत्री हिलारी और वित्त मंत्री गेटना कर रहे हैं , जबकि चीनी प्रतिनिधि मंडल के नेता उप प्रधान मंत्री वांग छी शान और स्टेट कांउसर ताइ पिन क्वो हैं । मौजूदा वार्तालाप का मुद्दा बहुत व्यापक है , दोनों पक्ष आर्थिक व रणनीतिक क्षेत्रों में बहुत ज्यादा समान दिलचस्पी वाले मामलों पर विचार विमर्श कर रहे हैं । अमरीकी वित्त मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार चीनी मुद्रा रन मिन पी की विनिमय दर , असंतुलित व्यापार , बौद्धिक संपदा अधिकार संरक्षण , सरकारी खरीददारी और पूंजी बाजार आदि सवाल मौजूदा आर्थिक वार्तालाप के प्रमुख मुद्दों में भी हैं । पर रणनीतिक वार्ता में अमरीका का ध्यान क्षेत्रीय सुरक्षा सवाल , कोरियाई प्रायद्वीप के न्यूक्लीयर सवाल , ईरानी न्यूक्लीयर सवाल और सूडान सवाल पर केंद्रित हुआ है , जबकि चीन इस वार्तालाप में प्रशांत एशिया सुरक्षा , थाइवान व तिब्बत से जुड़ने वाले सवालों पर विचार विमर्श करना चाहता है , साथ यह आशा है कि वार्तालाप में चीन में हाई टेक उत्पादनों के निर्यात के परिसीमन में ढील देने और अमरीका में चीनी पूंजी वाले कारोबारों के साथ युक्तिसंगत व्यवहार करने और सहयोग के तौर तरीके से शीघ्र ही चीनी बाजार आर्थिक स्थान को मान्यता देने के बारे में अमरीका के रोडमेप और समयरारणी का तफसील से पता लगाया जाएगा ।
रणनीतिक व आर्थिक वार्तालाप का जोर दोनों देशों के संबंधों के विकास पर लगा हुआ है , मौजूदा आर्थिक वार्तालाप का मुख्य मुद्दा संपूर्ण पारस्परिक लाभ वाले चीन अमरीका आर्थिक साझेदार संबंध की स्थापना है । विश्लेषकों का मानना है कि एक दूसरे के बाजार में दोनों देशों के उपक्रमों के प्रवेश और एक दूसरे के यहां पूंजी निवेश की मजबूती इस रणनीतिक व आर्थिक वार्तालाप का और एक प्रमुख मुद्दा ही है ।
अमरीकी उप विदेश मंत्री केंबेर के अनुसार रणनीतिक वार्तालाप में दोनों पक्ष प्रथम चीन अमरीका रणनीतिक सुरक्षा वार्तालाप करेंगे । प्रारम्भिक बंदोबस्त के अनुसार चीनी उप विदेश मंत्री चांग ची च्युन और अमरीकी स्थाई उप विदेश मंत्री स्टैंबर्ग अलग अलग तौर पर अपने राजनयिक व फौजी विभागों के पदाधिकारियों की हिस्सेदारी का जिम्मा संभाले हुए हैं, प्रथम वार इस वार्तालाप में दोनों देशों के फौजी प्रतिनिधियों की हिस्सेदारी अत्यंत ध्यानाकर्षक है ।
बहुत ज्यादा विशेषज्ञों और मीडिया का कहना है कि चीन अमरीका रणनीतिक व आर्थिक वार्तालाप दोनों देशों के बीच सब से प्रबल और महत्वपूर्ण वार्तालाप तंत्रों में से एक बन गया है । वार्तालाप ने दोनों पक्षों के आपसी विश्वास को बढ़ावा दिया है , दोनों पक्षों के बीच स्पष्टवादिता से विचारों के आदान प्रदान से आपसी विश्वास उत्तरोत्तर मजबूत हो गया है , अब यह वार्तालाप तंत्र दिन ब दिन परिपक्व होता गया है ।
जुलाई 2009 और मई 2010 में हुए दोनों चरणों के वार्तालाप की तुलना में मौजूदा वार्तालाप के सामने खड़ी परिस्थिति काफी अनुकूल कही जा सकती है । खासकर द्विपक्षीय संबंधों की दृष्टि से देखा जाये , तो चालू वर्ष की शुरुआत में चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ ने अमरीका की सफल यात्रा की है , दोनों देशों के राज्याध्यक्षों ने समान रुस पे आसी सम्मान और पारस्परिक समान जीत वाले साझेदार संबंध की स्थापना को स्पष्ट कर दिया है , जिस से दोनों देशों के संबंधों के विकास की दिशा निर्दिष्ट हो गयी है और नयी प्रेरक शक्ति का संचार कर दिया गया है , साथ ही रणनीतिक व आर्थिक वार्तालाप में सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के लिये अहम गारंटी दी गयी है ।
इस के साथ ही यह देखना भी जरूरी है कि इधर दो सालों में चीन अमरीका संबंध सकारात्मक परिवर्तन के दौर में प्रविष्ट हुए है । दोनों देशों के राज्याध्यक्षों ने 2009 व 2011 में एक दूसरे की जो यात्रा व वार्ता की है , उस से चीन अमरीका संबंध के स्थान को निश्चित करने और चीन अमरीका संबंध के स्थिर विकास के लिये रास्ता हमवार हो गया है ।
वर्तमान में विश्व का विकास , सुधार और समायोजन निरंतर गहराई में विकसित होता जा रहा है , अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति फिर भी डावांडोल व जटिल बनी रही है। खासकर पश्चिम एशिय़ा व उत्तर अफ्रीका की परिस्थिति परिवर्तन के दौर में है , जापान में हुए भूकम्प और सूनामी व न्यूक्लीयर विकिरण से पूर्वी एशियाई परिस्थिति में बदलाव आने की संभावना है , अल कायदा के सरगना बिन लादेन की मौत से अमरीका में विदेश नीति के सुधार पर बहस और गर्म हो गया है । चीन अमरीका संबंध नये विकास का मौका मौजूद होने के साथ साथ अनिश्चित तत्व भी मौजूद हैं , चीन अमरीका संबंध की स्थिरता रणनीतिक व आर्थिक वार्तालाप का प्राथमिक कार्य बन गयी है ।