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पश्चिम के हवाई हमले से लीबिया में स्थिति खराब
2011-04-19 16:20:43

19 मार्च को फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका आदि कुछ पश्चिमी देशों द्वारा लीबिया पर हवाई हमले बोले जाने के बाद इस प्रकार के हवाई हमले करीब एक महीने तक जारी रहे, लेकिन पिछले एक महीने में पश्चिम की फौजी दखलंदाजी से लीबिया में खूनी मुठभेड़ों ने शांत होने के बजाए तीव्र रूप ले लिया है। लीबिया में सरकारी सेना और सरकार विरोधी सशस्त्र शक्तियों के बीच खूनखराबी अब भी बंद नहीं हो पायी। लीबिया में मानवीय संकट और उपद्रव की स्थिति और अधिक विस्तृत व गंभीर हो गयी है। इस साल के फरवरी के मध्य में लीबिया में सरकार विरोधी प्रदर्शन निकला, जिस से वहां बड़े पैमाने पर हिंसक टक्कर पनपे। सरकारी सेना और विद्रोहियों के बीच मुठभेड़ लगातार बढ़ने के कारण आम लोगों के जान माल के लिए बड़ा खतरा पैदा हुआ। 17 मार्च को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने नम्बर 1973 प्रस्ताव पारित कर गद्दाफी सत्ता द्वारा नियंत्रित क्षेत्र में नो फ्लाई जोन की स्थापना करने का फैसला किया । 19 मार्च को अमेरिकी सेना के नेतृत्व वाली गठबंधन सेना ने गद्दाफी सत्ता के फौजी निशानों पर हवाई हमले करना शुरू किया। अनेकों दिन की बमबारी के परिणामस्वरूप गद्दाफी सेना की विमान भेदी शक्तियां ठप्प हो गयीं और सतही साजोसामानों को भारी क्षति पहुंची। गठबंधन सेना के सैनिक समर्थन में लीबिया की सरकार विरोधी सेना ने युद्ध में कुछ बड़ी विजयें भी हासिल की थीं और देश के पूर्व भाग के कुछ शहरों पर कब्जा भी किया। लेकिन युद्ध के विस्तार के चलते भारी सैनिक दबाव व नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए गठबंधन सेना की कमान नाटो को सौंपी गयी और 27 मार्च को नाटो ने अमेरिकी सेना की जगह लीबिया पर हमला जारी रखने की कमान संभाली। किन्तु वर्तमान में हालत यही पड़ गड़ी है कि नाटो के हवाई हमले लीबिया की सरकारी सेना की थलीय टुकड़ी को जानलेवा नुकसान पहुंचाने में असमर्थ साबित हुए, साथ ही सरकार विरोधी सेना के कई ठिकानों पर गलती से बमबारी की जाने की वजह से नाटो को अपने हवाई हमले में सावधानी बरतनी पड़ी. इस मौके का लाभ उठाकर गद्दाफी समर्थक सेना सरकार विरोधी सेना पर जवाबी धावा बोला और सरकार विरोधी सेना को बार बार पीछे हटना पड़ा। इस समय बेनगाजी को छोड़कर सरकार विरोधी सेना के हाथ में केवल मिसराता और एजदाबिया दो शहर रह गए। सरकार विरोधी सेना ने नाटो पर फौजी हमले के कमजोर होने की आपत्ति कसी और हवाई हमले की मुख्य शक्ति फ्रांस और ब्रिटेन ने भी मित्र देशों के समर्थन को कम कहकर असंतोष जताया। ब्रिटेन और फ्रांस ने अमेरिका से नाटो के हवाई हमले में फिर भाग लेने का आग्रह किया, पर अमेरिका ने इन्कार किया। अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने इस महीने के शुरू में माना कि लीबिया के खिलाफ सैनिक कार्यवाहियां गतिरोध में पड़ गयीं, हवाई हमलों से जो उपलब्धियां मिली हैं, वह सीमित रही। नाटो द्वारा हवाई हमले बोलने तथा लीबिया में दोनों पक्षों के बीच युद्ध की हार जीत नहीं स्पष्ट होने के बीच संबंधित पक्ष राजनीतिक समाधान की खोज कर रहे हैं। अफ्रीकी संघ ने नेताओं का प्रतिनिधि मंडल भेजकर 10 और 11 अप्रैल को लीबिया के दोनों पक्षों के नेताओं के साथ वार्ता की और फायरबंदी प्राप्त करने की कोशिश की। गद्दाफी ने अफ्रीकी संघ का संघर्ष विराम का रोड मैप स्वीकार कर लिया और प्रतिनिधि मंडल के साथ एक संयुक्त वक्तव्य संपन्न किया जिस में तमाम लड़ाइयों की समाप्ति, लीबिया के विभिन्न पक्षों में वार्ता के जरिए संक्रमणकारी प्रस्ताव आदि शामिल है। लेकिन अफ्रीकी संघ की योजना को लीबिया के सरकार विरोधी पक्ष ने ठुकरा दिया, उस ने कहा कि अफ्रीकी संघ के फायरबंदी रोड मैप में गद्दाफी व उन के परिवारजनों के पदच्युत का विषय नहीं है, ऐसी सभी सीजफायर प्रस्ताव अस्वीकार्य है जिस में यह विषय नहीं हो। वर्तमान का विडंबना यह है कि गद्दाफी सत्ता का बागरडोर पकड़े रखे हुए है, जबकि विद्रोही उन्हें पद से हटाने पर जिद है। दोनों पक्षों के बीच मूल मतभेद नहीं मिटाया जा सकेगा। लिहाजा, सीजफायर और वार्ता सिर्फ एक सुनहरा सपना जान पड़ता है। पश्चिमी देशों ने भी माना है कि सिर्फ फौजी हमले से लीबिया की समस्या नहीं हल सकती। लेकिन अफ्रीकी संघ के विपरीत पश्चिमी देशों के शब्द में राजनीतिक समाधान का अर्थ है गद्दाफी को सत्ता छोड़ देना। वे अब अपने इस लक्ष्य के लिए राजनीतिक व आर्थिक रूपों में कोशिश भी कर रहे हैं। फ्रांसीसी विदेश मंत्री ने हाल ही में कहा कि गद्दाफी को हटाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को नया प्रस्ताव जारी कराने का आगाह किया जाएगा । जर्मन अर्थमंत्री ने कहा कि जर्मनी ने गद्दाफी की चार अरब दस करोड़ यूरो की संपत्ति पर जाम लगायी है। अमेरिका ने कहा कि वह गद्दाफी को निष्कासित करने के तरीके की खोज में है। विश्वेषकों का कहना है कि पश्चिमी लिबिया में अपना जनाधार तथा बड़ी सैनिक ताकत होने के कारण गद्दाफी आसानी से सत्ता नहीं छोड़ सकते। पश्चिमी देश चाहते हैं कि हवाई हमले के समर्थन में फौजी हथकंडे से गद्दाफी सत्ता पलट दी जाए, लेकिन लीबिया की सरकार विरोधी शक्तियों के प्रति कम जानकारी व विश्वास होने की वजह से पश्चिम के फौजी हमले का बराबर स्पष्ट लक्ष्य और अच्छी योजना नहीं हो पायी। अन्तरराष्ट्रीय समाज को चिंता है कि कहीं लीबिया में गतिरोध अल्प समय में नहीं तोड़ा जाने से और अधिक गंभीर मानवीय संकट नहीं उभरे, लीबिया में परिस्थिति और गड़बड़ न हो एवं लीबिया दीर्घकालीन गृहयुद्ध के गर्त में नहीं फंसे और देश का विभाजन नहीं हो जाए।

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