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ब्रिक्स देश विश्व वित्तीय संकट के बाद अंतर्राष्ट्रीय बाजार का बोलने का अधिकार करने में संलग्न
2011-04-15 15:46:57
ब्रिक्स देशों की तीसरी शिखर वार्ता 14 अप्रैल को चीन के सानया शहर में संपन्न हुई । हालांकि विभिन्न सदस्य देशों का पुनरुत्थान का रास्ता अलग अलग है , पर फिर भी समान हित से चीन , ब्राजिल , भारत , रुस और दक्षिण अफ्रीका इन पांच देशों को एकसूत्र में बांधे गये हैं , ब्रिक्स भी एक आर्थिक चिन्ह से अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अहम सलाह मशविरा तंत्र बन गया है ।

इस वार्ता में दक्षिण अफ्रीका ने नये सदस्य की हैसियत से भाग लिया है । नये सदस्य की हिस्सेदारी के साथ साथ नवोदित आर्थिक समुदायों की आर्दश मिसाल होने के नाते ब्रिक्स देशों ने और विशाल क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व कर लिया है , एशिया , अफ्रीका , यूरोप और लातिन अमरीका से आये इन पांच देशों का क्षेत्रफल सारी दुनिया का एक चौथाई भाग बनता है और जनसंख्या सारी दुनिया की कुल जनसंख्या का 40 प्रतिशत है , जो नवोदित आर्थिक सहयोग मंच का टिकाऊ आधार हैं । ब्रिक्स सहयोग तंत्र विश्व वित्तीय संकट से उत्पन्न हुआ है , तब से लेकर अब तक विभिन्न देशों के बीच सहयोग वित्तीय व मैद्रिक क्षेत्रों से बढ़कर पर्यावरण संरक्षण , उद्योग व वाणिज्य तक विस्तृत हो गया है , आर्थिक सहयोग का विषय भी और अधिक सार्थक है । चीनी राजनीतिक सलाहकार की राष्ट्रीय कमेटी के उपाध्यक्ष ली वू वे ने कहा कि हालांकि ब्रिक्स देशों का आर्थिक ढांचा , विकास का स्तर अलग अलग है , पर उन में काफी बड़ी समान व मिलते जुलते हित मौजूद हैं , व्यापार में एक दूसरे का पूरक हैं , ब्रिक्स देशों को क्षेत्रीय वार्तालाप व सहयोग मजबूत बनाकर भूमंडलीय अर्थतंत्र को सामंजस्य , सहनशीलता , संतुलन और सतत की दिशा की ओर बढाना चाहिये । विभिन्न प्रकार वाले व्यापार संरक्षणवादों का डटकर विरोध किया जायेगा , अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सहयोग को मजबूत बनाया जायेगा , ताकि विकासशील देशों की वित्तीय जोखिम का मुकाबला करने की क्षमता बढ सके और अधिक युक्तिसंगत नयी वित्तीय व्यवस्था की स्थापना की जा सके ।

पर उक्त पांच देशों से आये जानकार सूत्रों का मानना है कि वर्तमान में नवोदित आर्थिक समुदायों ने वास्तुगत तौर पर भूमंडलीय आर्थिक बहाली बढाने का मिशन संभाल लिया है , लेकिन उन के सामने विविध चुनौतियां फिर भी खड़ी हुई हैं ।

चीनी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संवर्द्धन आयोग के उपाध्यक्ष यू फिंग का विचार है कि ब्रिक्स देश श्रेष्ठताओं में एक दूसरे का पूरक हैं , उन के बीच सहयोग की बड़ी शक्ति निहित है । उन्हों ने कहा कि प्रमुख नवोदित आर्थिक समुदाय होने के नाते ब्रिक्स देश सन्साधन , बाजार , श्रम शक्ति , ज्ञान विज्ञान आदि क्षेत्रों में एक दूसरे का पूरक हैं , उन के बीच सहयोग करने की भारी संभावनाएं मौजूद हैं । तभी इस विशाल संभावना को मूर्त रुप दिया जायेगा , जबकि हम आर्थिक सहयोग मजबूत बनाकर सहयोग का दायरा विस्तृत करने और सहयोग से ठोस फायदा उठाने में सफल हों ।

विश्लेषकों का मानना है कि चीन में आयोजित ब्रिक्स देशों की शिखर वार्ता संभवतः भूमंडलीय आर्थिक विकास का प्रस्थान बिंदु बन जायेगी ।

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