14 अप्रैल को ब्रिक्स देशों की तीसरी शिखर वार्ता संतोषजनक संपन्न हो गयी है और ब्रिक्स देशों का सहयोग तंत्र फिर एक कदम आगे बढ़ गया है । मौजूदा वार्ता में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को विश्वास , एकता , सहयोग और समान जीत की अटल आवाज उठायी है ।
ब्रिक्स देशों का सहयोग तंत्र विश्व वित्तीय संकट के लिये पैदा हुआ है , संकट के बाद चुनौति का मुकाबला उस का अनिवार्य मिशन ही है । चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ ने इस वार्ता में कहा कि मानव जाति के लिये एक शांतिपूर्ण , सुरक्षित और समान समृद्धिशाली 21वीं शताब्दी की किस तरह स्थापना की जाये , यह हमारे लिये विचार करने का महत्वपूर्ण सवाल है । ब्रिक्स देशों ने प्रमुख आर्थिक समुदायों की अपील की है कि समाग्र आर्थिक नीति के समन्वय को मजबूत किया जाये , विश्व अर्थतंत्र के पुरजोर , सतत और संतुलित विकास को बढावा दिया जाय़े और विश्व शांति की रक्षा कर समान विकास और अंतर्राष्ट्रीय आदान प्रदान व सहयोग को सुदृढ़ किया जाये । यह आवाज ठीक वर्तमान जटिल अंतर्राष्ट्रीय सवालों के समाधान का प्रबल जवाब है ।
लम्बे अर्से से विकासशील देश अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के निर्माण में किनारे पर खड़े हुए हैं । विश्व वित्तीय संकट से कार्यांवित अंतर्राष्ट्रीय मैद्रिक व वित्तीय व्यवस्थाओं की कमियों की पोल खुल गयी हैं , विकासशील देशों को उस के सुधार में शामिल करने की जरूरत है । सानया घोषणा पत्र में स्पष्टतः अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्ता , खासकर अंतर्राष्ट्रीय मैद्रिक व्यवस्था के सुधार का समर्थन व्यक्त किया गया है और संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत , ब्राजिल और दक्षिण अफ्रीका की और बड़ी भूमिका निभाने की अभिलाषा का समझकर समर्थन भी दिया गया है । इस से ब्रिक्स देशों का अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्थाओं के निर्माण में भाग लेने का संकल्प व हौसला अभिव्यक्त हुआ है , साथ ही यह इस बात का द्योतक भी है कि नवोदिक बाजार व विकासशील देश अंतर्राष्ट्रीय मंच पर और बुलंद आवाज उठाएंगे । विश्व वित्तीय संकट के बाद भूमंडलीय सवाल का मुकाबला फिर भी बहुत फौरी मामला है । ब्रिक्स देशों की तीसरी शिखर वार्ता में जताया गया कि भूमंडलीय सवालों के समाधान की कुंजी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सहयोग को मजबूत बनाना , ऊर्जा व जलवायु सुरक्षा की रक्षा करना और प्रमुख माल वित्तीय बाजार की निगरानी को बढावा देना है । अनुमान है कि ब्रिक्स देश जी बीस के ढांचे तले जलवायु , सन्साधन , ऊर्जा और खाद्यान्न जैसे क्षेत्रों में सहयोग करेंगे और विश्व आर्थिक तरलता , गरीबी व भूखमरी को कम करने और जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने तथा सहस्राब्दी लक्ष्य को साकार बनाने में अपना योगदान देंगे ।