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नाजार्बायेव पुनः कजाखस्तान के राष्ट्रपति बने
2011-04-04 16:50:48

कजाखस्तान का राष्ट्रपति चुनाव तीसरी अप्रैल को आयोजित हुआ, कजाखस्तान के केन्द्रीय चुनाव आयोग द्वारा चार तारीख को जारी मतगणना के आरंभिक परिणाम से जाहिर है कि वर्तमान राष्ट्रपति नाजार्बायेव ने भारी बहुमत से जीत ली है।

कजाखस्तान में मौजूदा राष्ट्रपति चुनाव के आरंभिक परिणाम से जाहिर है कि वर्तमान राष्ट्रपति नाजार्बायेव ने 95.5 प्रतिशत के भारी बहुमत प्राप्त किए हैं, यह खुद नाजार्बायेव तथा कजाखस्तान देश दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। नाजार्बायेव के लिए यह इसलिए महत्वपूर्ण है कि उन के सत्ता पर बने रहने से देश में स्वतंत्रता के बाद पिछले 20 सालों तक चली राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक स्थिरता बरकरार रहेगी जोकि कजाखस्तान के निरंतर विकास के साथ क्षेत्रीय विकास व स्थिरता के लिए लाभदायक सिद्ध होगा। यह अनुमान भी होगा कि इस प्रकार की स्थिरता इस मध्य एशियाई क्षेत्र, जहां बड़े देशों के हित आपस में उलझे हुए है, में कजाखस्तान की मिसाल खड़ी करेगी। वहीं दूसरी तरफ, कजाखस्तान के विकास के डिजाइनर के रूप में नाजार्बायेव की दोबारी जीत के चलते उन की अपनी आकांक्षा पूरी होने की संभावना और बढ़ गयी है।

विश्लेषकों का कहना है कि नाजार्बायेव ने इसलिए देश के राष्ट्रपति चुनाव की तिथि वर्ष2012 को बदलकर चालू साल रखा था, ताकि अगले साल रूस और अमेरिका दोनों देशों के राष्ट्रपति चुनाव से टक्कर होने से बच जाए और वहां के लोग चुनाव प्रचार में कजाखस्तान को लेकर अनाप शनाप टिप्पणी न करें।

मौजूदा राष्ट्रपति चुनाव से यह भी साबित हुआ है कि कजाखस्तान में लोकतंत्र पश्चिम के मानदंड पर आ रहा है, इससे कजाखस्तान को पश्चिमी देशों से और ज्यादा समर्थन मिल सकेगा। इस साल के शुरू में कजाखस्तान के कुछ जन संगठनों ने यह सुझाव रखा था कि देशव्यापी जनमत संग्रह के जरिए नाजार्बायेव के कार्य काल को 2020 के अंत तक बढ़ाया जाए, लेकिन नाजार्बायेव ने इस सुझाव से इनकार किया। इसे लेकर लोकमत का कहना है कि यदि राष्ट्रीय जनमत संग्रह आयोजित हुआ होता, तो नाजार्बायेव का कार्यकाल स्वभाविक रूप से लम्बा जारी रहता। किन्तु नाजार्बायेव ने कहा था कि इस प्रकार का जनमत संग्रह आने वाले राजनीतिज्ञों के लिए एक गलत राजनीतिक दिशा दिखा सकेगा, इसलिए उन्हों ने लोकतांत्रिक चुनाव का तरीका अख्तियार कर लिया और मतदाताओं को उन का राजनीतिक भविष्य तय करने का मौका सौंपा। उन के इस रूख को यूरोपीय संघ और अमेरिका से प्रशंसा मिली, यूरोपीय सुरक्षा व सहयोग संगठन ने इस की सराहना करते हुए कहा कि नाजार्बायेव के निर्णय से विवेकता और जनवादी रवैया प्रकट हुई है। लेकिन गहन कारणों से देखा जाए, तो नाजार्बायेव की वर्तमान नीति तथा कजाखस्तान की स्थिरता यूरोप व अमेरिका के हितों से मेल खाती है, अंततोगत्वा यूरोप और अमेरिका नाजार्बायेव की जीत का स्वागत करते हैं।

विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव जीतने के बाद नाजार्बायेव चतुर्मुखी तौर पर देश के सुधार कार्य को बढावा देंगे, सुधार राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक विभिन्न क्षेत्रों में होगा।

राजनीतिक क्षेत्र में कजाखस्तान सत्ता केन्द्रित राष्ट्रपति व्यवस्था से धीरे धीरे राष्ट्रपति के तहत संसदीय पद्धति में बदलने जाएगा, संसद, राजनीतिक दलों तथा स्थानीय सरकारों के अधिकारों का विस्तार किया जाएगा तथा भ्रष्टाचार पर प्रहार बढ़ाकर एक नयी, कार्यकुशल व स्वच्छ सरकार बनायी जाएगी। आर्थिक क्षेत्र में औद्योगिकीकरण के सहारे आर्थिक प्रतिस्पर्द्धा शक्ति बढ़ायी जाएगी और रूस व बेलारूस के साथ चुंगीदर गठबंधन कायम होगा। सामाजिक क्षेत्र में सामाजिक गारंटी व्यवस्था पर महत्व दिया जाएगा और सरकार शिक्षा व आवास जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाएगी, बाजार अर्थव्यवस्था से अनुरूप प्रतिभाओं को तैयार किया जाएगा एवं निम्न आय वाले तथा कमजोर जन समुदायों को सामाजिक गारंटी दी जाएगी।

विदेशों के साथ आवाजाही के क्षेत्र में कजाखस्तान अपनी संतुलित विदेश नीति जारी रखेगा, रूस, चीन, अमेरिका और यूरोपीय संघ तथा स्वतंत्र देशों के समुदाय के साथ सहयोग बढाएगा तथा अन्तरराष्ट्रीय क्षेत्र में अपनी और अधिक भूमिका अदा करेगा। वर्तमान में कजाखस्तान अपने तेज आर्थिक विकास के भरोसे ब्रिक देशों के समूह तथा जी-20 गुट में शामिल होने की कोशिश में है तथा अन्तरराष्ट्रीय आर्थिक व वित्तीय मामलों पर बोलने का अपना अधिकार बढाने का प्रयास कर रहा है। इस्लामिक सम्मेलन संगठन और शांगहाई सहयोग संगठन के वर्तमान अध्यक्ष देश की हैसियत से वह क्षेत्रीय स्थिरता व पश्चिम पूर्व संपर्क व आदान प्रदान के लिए अपना योगदान देगा।

पिछली शताब्दी के नब्बे वाले दशक से अब तक नाजार्बायेव लगातार चार बार चुनाव में जीत कर राष्ट्रपति के पद पर बने रहे हैं, अगर विश्लेषकों की बात मानीं, तो अपने नए कार्यकाल में नाजार्बायेव अपने उत्तराधिकारी ढूंढ लेंगे, ताकि उन की प्रवर्तित राष्ट्रीय विकास योजना और विकास रणनीति बेरोकटोक जारी हो सके।

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