श्रोता दोस्तो , 15 मार्च को जापान में आए भूकम्प से नुकसान बढ़ता जा रहा है । उसी दिन टोक्यो शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गयी , जिस से प्रशांत एशियाई शेयर बाजारों में भी गिरावट देखने को मिली है । भूकम्प ग्रस्त क्षेत्रों में राहत बचाव कार्य का ख्याल रखने के चलते लोगों का ध्यान इस बात पर भी गया है कि इस भूकम्प से विश्व का तीसरा आर्थिक समुदाय होने के नाते जापान और भूमंडलीय अर्थव्यवस्था पर इस का प्रभाव पड़ा है । विशेषज्ञों के अनुसार इस भूकम्प से अल्प समय में जापान और सारी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर कुछ कुप्रभाव पड़ सकता है , पर दूर दृष्टि से देखा जाये , तो इस में विकास के कुछ मौके भी निहित हैं।
चीनी राष्ट्रीय सूचना केंद्र के विश्व आर्थिक अनुसंधान कार्यालय के उप अनुसंधानकर्ता सुश्री चांग नान का मानना है कि जापान में आए भूकम्प से भूमंडलीय अर्थव्यवस्था पर कुप्रभाव पड़ा है , विशेषकर प्रमुख तिजारती मालों के दामों पर ज्यादा असर पड़ा है । गम्भीर तबाही वाले उत्तरी क्षेत्र और उत्तरी पूर्व क्षेत्र जापान के प्रमुख धान उत्पादन के क्षेत्र हैं , भूकम्प के बाद जापान को चावल के आयात पर ज्यादा निर्भर रहना पडेगा जिस से विश्व अनाज के दामों में उतार चढाव आने की संभावना होगी । इस के अलावा भूकम्प के प्रभाव से जापान के अनेक परमाणु संयंत्र बंद हुए हैं , जिस से जापान को गैर परमाणु ऊर्जा की ज्यादा आवश्यकता होगी । जापान में परमाणु संयंत्रों का बिजली उत्पादन जापान के कुल बिजली उत्पादन का 30 प्रतिशत है , यदि परमाणु संयंत्रों का काम अल्प समय में बहाल नहीं किया जायेगा , तो कोक , पैट्रोल और प्राकृतिक गैस आदि दूसरे वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों पर भरोसा करना पड़ेगा , इस प्रकार कुछ प्रमुख तिजारती मालों के दामों पर स्वभावतः ज्यादा कुप्रभाव पड़ सकता है ।
भूकम्प से जापान में बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई है , टोक्यो और उस के आसपास की 8 कांऊटियों में बारी बारी से बिजली जाने से बहुत ज्यादा कारखाने बंद पड़े हैं । अंतर्राष्ट्रीय संबंध अनुसंधान प्रतिष्ठान के विश्व आर्थिक अनुसंधानशाला की प्रधान सुश्री छन फूंग इंग ने कहा कि वर्तमान में नवोदित आर्थिक बाजार हो या विकसित देश,सभी मुद्रास्फीति के दबाव का सामना कर रहे हैं , ऐसी स्थिति में खाद्यान्न और ऊर्जा आदि प्रमुख मालों के दाम अवश्य ही बढ़ेंगे , जिस से विश्व पर नये चरण का मुद्रास्फीति दबाव पैदा होगा ।
पर विशेषज्ञों का यह मानना भी है कि एक उच्च विकसित आर्थिक समुदाय के लिये प्राकृतिक संकट से उत्पन्न कुपरिणाम ज्यादा लम्बे समय तक नहीं रहेगा । हालांकि भूकम्प से मौजूदा उत्पादन शक्तियों को ज्यादा नुकसान हुआ है , पर संकट के बाद पुनर्निर्माण में ज्यादा निवेश से आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी , बड़ी तादाद में नए हाईटेक के प्रयोग से आधारभूत संस्थापनों और उत्पादन क्षमता में बड़ा सुधार आयेगा और वह आर्थिक वृद्धि को तेज करने के लिये प्रेरक शक्ति भी बनेगा । छन फुंग इंग ने कहा क्योंकि इस भूकम्प के बाद पुनर्निर्माण में बड़ी धन राशि लगाना जरूरी है , इसलिये जापान की आर्थिक वृद्धि भूकम्प से पहले से तेज होगी । अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं का अनुमान है कि चालू वर्ष में जापान की आर्थिक वृद्धि 1.6 प्रतिशत बढ़ जायेगी । यदि जापान अब या इस साल के उत्तरार्द्ध में पुनर्निर्माण शुरु करेगा , तो उस की जी डी पी में संभवतः 1.6 प्रतिशत की वृद्धि होगी । इस के अलावा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भी ज्यादा बढेगा , क्योंकि भूकम्प से जापान के उत्तर पूर्व क्षेत्र में गम्भीर तबाही हुई है , इसलिये इस क्षेत्र के पुनर्निर्माण में ज्यादा आयात की जरूरत पड़ेगी और आसपास के देशों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा , जिस से प्रशांत एशियाई क्षेत्रीय सहयोग के लिये अनुकूल स्थिति तैयार होगी ।
पूंजी बाजार की दृष्टि से देखा जाये , तो 11 मार्च को जापान में आए भूकम्प से लेकर आज तक जापानी शेयर बाजार में 6 दिन तक गिरावट जारी रही , 14 मार्च को 6 प्रतिशत की गिरावट आने के बाद 15 मार्च की सुबह यह गिरावट बढ़कर 6.45 प्रतिशत तक पहुंच गयी । शेयर बाजार में हुए भारी उतार चढ़ाव के मद्देनजर जापानी केंद्रीय बैंक ने क्रमशः वित्तीय संस्थाओं में भारी धन राशि लगायी है, ताकि तरलता के अभाव को दूर किया जा सके और निवेशकों में विश्वास बढ़ाया जा सके ।
जापानी वाणिज्य व वित्त मंत्री योसानो काओरु ने 15 मार्च एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जापान की उत्पादन शक्तियों और आर्थिक जीवंत शक्तियों में कमी नहीं आयी , शेयर बाजार में भारी गिरावाट आने का कारण अस्थायी है । आर्थिक अनुसंधानशाला की प्रधान सुश्री छन फुंग इंग ने कहा कि टोक्यो शेयर बाजार में भारी गिरावट निवेशकों की भारी घबराहट से हुई है । पर दूरगामी दृष्टि से देखा जाये , तो भूकम्प के बाद जापान के पुनर्निर्माण से पूंजी बाजार पर पड़ने वाले प्रभाव का मूल्यांकन करना जरूरी है ।