आप को मालूम हुआ ही होगा कि चीन का थाईवान प्रांत समुद्र से घिरा हुआ है , उस का पूर्वी छोर प्रशांत महा सागर से जुड़ा हुआ है , जबकि पिछला भाग पर्वतों से सटा हुआ है । आइये , हम हमारे संवाददाता के साथ आज का दौरा शुरु करें ।
हमारे संवाददाता थाईवान प्रांत में 8 दिन ठहरे , इस दौरे के दौरान स्थानीय गाईड कुमारी च्यांग ने अकसर यह कहा करती थी कि थाईवान एक चुमकीय भूमि है । यह चुम्बन दर्शनीय प्राकृतिक सौंदर्य ही नहीं , बल्कि शांतिमय समुद्री खाड़ी और सीधा सादा रीति रिवाज भी है । यहां पर समुद्री लहरों की आवाज सुनने के साथ साथ स्थानीय गहरी ऐतिहासिक संस्कृतियों को पहचान की जाती है , साथ ही निश्चिंत साधा सादा जीवन भी बिताया जा सकता है ।
स्थानीय गाईड कुमारी के अनुसार थाईवान के बहुत ज्यादा कलाकारों को बड़े बड़े शहरों में रहते रहते रचना रचने की प्रेरणा नहीं मिल पायी है, इसे ध्यान में रखकर वे पूर्वी थाईवान जा कर पर्वतों व समुद्र के बीच नयी रचना रचने की प्रेरक शक्ति की खोज में लग जाते हैं । आधुनिक समाज का निरंतर तेज विकास होने पर भी पूर्वी थाईवान क्षेत्र इस ऐतिहासिक धारा के अनुसार शहरीकरण का उन्मुख नहीं बढ़ता , फलतः आज तक भी इसी क्षेत्र में चहल पहल व आधुनिकता नजर नहीं आती , यहांतक कि यातायात में बिजलीकरण भी साकार नहीं हुआ , इसी वजह से इस क्षेत्र में अब आदिम प्राकृतिक सौंदर्य बरकरार रहा है । गाईड च्यांग ई ह्वी ने कहा
पूर्वी थाईवान क्षेत्र में यातायात काफी सुविधापूर्ण नहीं है , विशेषकर थाईतुंग शहर में यह हालत और गम्भीर है । यदि हमें रेल गाड़ी से थाईपेह शहर से थाईतुंग शहर जाना है , तो कम से कम 6 घंटे लग जाते हैं । यदि हवाई जहाज पकड़ना है , तो वहां जाने के लिये फ्लाइट भी बहुत कम है , इसी वजह से वहां जाने वाले पर्यटकों की संख्या भी काफी कम है । ऐसे शांतिमय स्थल में निश्चिंत रुप से समुद्री लहरों की आवाज सुनने में बड़ा अच्छा लगता है ।
थाईतुंग के तुलान पर्वतीय क्षेत्र नये आप्रवासियों का पसंदीदा स्थल है । यहां पर नव पाषाण युग का खण्डहर बड़े ढंग से सुरक्षित रखा हुआ है , वह थाईवान द्वीप की प्राचीन संस्कृति का साक्षी भी है ।
तुलान गांव तुलान पर्वत की तलहटी में बिखरा हुआ है , यहां का सब से मनोहर प्राकृतिक दृश्य पहाड़ और समुद्र का ही है । तुलान गांव के छोटे पर्वत पर खडे होकर आप अपनी नजर दौड़ाये , तो असीमित विशाल प्रशांत महा सागर एकदम साफ साफ देखा जा सकता है । तुलान पर्वत के नीचे समुद्र का पानी अधिकतर थाईवान के समुद्री पानी से अलग है । क्योंकि काली जल धारा यहां होकर आगे बह जाने और समुद्री तह की जटिल भूतत्वीय संरचना की वजह से यहां के समुद्री पानी का रंग विविधतापूर्ण है । गाईड च्यांग ई ह्वी ने इस का उल्लेख करते हुए कहा
प्रशांत महा सागर के इसी समुद्री क्षेत्र की गहराई एक जैसी नहीं है , यहां के पानी का रंग आसमान के परिवर्तनशील रंगों के साथ साथ बदल जाता है । यदि आसमान नीला नजर आता है , तो समुद्री पानी का रंग भी नीला होता है , इसी वक्त समुद्र आकाश से जुड़े हुए दिखाई देता है ।
वास्तव में इस छोटे पर्वत की देखभाल करने वाला कोई नही है , स्थानीय पर्यटन संस्था ने सिर्फ पहाड़ पर कुछ बेंच लगाये , ताकि समुद्र देखने आने वाले पर्यटक बैठकर समुद्र के साथ बातचीत कर सकें । इस के अलावा कुछ मूर्तिकारों ने यहां पर बेकार लकड़ियों से भिन्न रुपों वाली मूर्तियां भी बनायीं । इसलिये तुलान क्षेत्र में पहाड़ व समुद्र का चमत्कृत सौंदर्य और कलाकारों की अनौखी प्रतिभा भी देखने को मिलती है ।
तुलान पर्वत पर चांदनी मकान नामक स्थल बहुत चर्चित है , थाइवान के प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक लिन चंग शंग ने यहां पर चांदनी में मुझे याद आयी है नामक फिल्म बनायी । काष्ठ से बनी यह इमारत दुमंजिली है , प्रथम मंजिल पर कलाकारों के लिये अपना कला कौशल दर्शाने का कक्ष छोड़ा गया है , जबकि दूसरी मंजिल पर चांदनी में मुझे याद आयी है नामक फिल्म की मुख्य नारी पार्ट का कमरा बनाये रखे हुआ है । इमारत के बरामदे पर आप खड़े होकर दूर से नजर दौड़ाए , तो तुलान पर्वत के सामने विशाल महा सागर देख पाते हैं , कहा जा सकता है कि तुलान पर्वत रमणीक स्थल में आधुनिक तत्व भी विलीन हो गया है । इस इमारत की मालकिन ली युंग ई ने चर्चा करते हुए कहा
शुरु में हमें यह स्थल काफी पसंद आया , फिर इस स्थल का समुचित रुप से हम ने बंदोबस्त करने के लिये योजना बनायी । हमारा कलात्मक प्रदर्शनों से इस स्थल को विविधतापूर्ण बनाने का इरादा है । 2005 से अब तक के पिछले पांच सालों में हम हर दो माहों में रचना रचने और प्रदर्शनी लगाने के लिये एक मशहूर कलाकार को आमंत्रित करते आये हैं । क्योंकि यहां का गुंजाइश हर दो महीनों में बदल जाता है , इसलिये पर्यटकों को यहां का कलात्मक माहौल हमेशा तरोताजा लगता है , कलात्मक कृतियों ने यहां का परिवेश बदल दिया है ।
चांदनी इमारत के पास सुश्री ली युन ई ने लिपी व चित्र कला गलियारा भी तैयार किया , इस गलियारे में काफी भी मिलती है , कुछ कलाकारों की रचनाएं भी बेची जाती हैं , साथ ही कुछ कलाकार या सांस्कृतिक हस्तियां यहां इकट्ठे होकर बातचीत करते हैं या कविताएं सुनाते हैं। थाईतुंग विश्वविद्यालय के टीचर अपने शोध छात्रों को इस इमारत की दूसरी मंजिल पर थाइवानी फिल्म अनुसंधान पर पाठ पढाते हैं ।
ली युंन ई इस इमारत की हालिया हालत पर बहुत संतुष्ट हैं , इस स्थल की सुंदरता शांति ही है । उन्हों ने यहां की आदिम स्थिति को बनाये रखने के लिये स्थानीय पर्यटन संस्था की मार्ग का विस्तार करने और लाइट लगाने की इच्छा नकार दिया है ।
इसी संदर्भ में उन्होंने अकसर संबंधित व्यक्तियों से कहा कि आप की मेहरबानी से हमारे यहां के मार्ग का विस्तार करने की कोई जरुरत नहीं है , लाइट के न लगवाने से भी कोई फर्क नहीं पडता , यह वाकई प्राकृतिक वातावरण ही है । यह स्थिति बिलकुल सही है , यह स्थल काफी संकरा है , कुछ लोग पर्वत पर चढने के लिये गाड़ी चलाने के बारे में पूछते हैं , पर हम बार बार उन से कहते हैं कि पर्वत पर चढ़ने का रास्ता छोटा व टेढा मेढ़ा है , गाड़ी चलना भी कठिन है । वास्तव में हम यहां का शांतिमय वातावरण बनाये रखना चाहते हैं , कम लोग और शांति यहां का सब से सौंदर्य ही है । यहां का शांतिमय वातावरण और प्रदर्शित सूक्ष्म सांस्कृतिक वस्तुएं असाधारण हस्तियों को आकर्षित कर लेती हैं , वे यहां पर बड़े निश्चिंत रुप से इस स्थल की शांति को महसूस करते हैं ।
थाईवान में हर जगह पर आप पर्यटन कार्य में कार्यरत कर्मचारियों के साथ सम्पर्क कर सकते हैं , उन से बातचीत करने से यह पता चलता है कि वे स्थानीय पर्यटन कार्य का विकास करने के साथ साथ यहां की आदिम स्थिति को बरकरार रखना भी चाहते हैं । शायद थाइवान का वर्तमान संरक्षित आदिम सौदर्य उन के प्रयासों का सुफल हुआ ही होगा ।