दोस्तो , पाकिस्तान के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री शहबाज़ भट्टी की हत्या दो मार्च को राजनधानी इस्लामाबाद में हुई , इस प्रकार वे चालू वर्ष में पाकिस्तान में मारे गये दूसरा प्रांतीय अधिकारी बन गये हैं ।
उसी दिन जब शहबाज़ भट्टी कार में अपने दफ्तर की ओर जा रहे थे , तो रास्ते पर तीन बंदूकधारियों ने उन की कार पर गोलियां चलायीं , जिस से शहबाज़ भट्टी की मृत्यु हुई । यह प्रहार इस्लामाबाद के उपनगर में हुआ , जहां शहबाज भट्टी के निवास स्थान से दूर भी नहीं है । प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार हमलावरों ने शहबाज भट्टी की कार को रोक कर अंधाधुंध गोलियां बरसायीं , तत्काल में शहबाज भट्टी के पास कोई अंगरक्षक नहीं था । पाक पुलिस का कहना है कि शहबाज भट्टी सरकार की मीटिंग के लिये जा रहे थे , हमलावर उन की कार पर गोलियां चलाने के बाद फरार हुए । अस्पताल में लाये जाने के बाद उन की मृत्यु हुई । अस्पताल से प्राप्त खबर के अनुसार शहबाज भट्टी के शरीर पर दस गोलियां लगीं । पाक मीडिया के अनुसार शहबाज भट्टी की कार पर अनेक गोलियों का निशान था और शीशे भी चकनाचूर हो गये हैं । हमलावरों ने घटनास्थल पर छोड़े एक पर्चें में अपने आप को पाक तालिबान के अधीन घोषित किया और इसीलिये शहबाज भट्टी पर प्रहार किया है , क्योंकि उन्होंने ईश निन्दा विरोधी कमेटी का नेतृत्व किया है । शहबाज भट्टी पाकिस्तान की सत्तारुढ़ आवामी पार्टी का सदस्य हैं और वे मंत्रिमंडल के सदस्यों में एक मात्र कैथोलिक ईसाई थे , उन्होंने विवादास्पद ईश निन्दा कानून में संशोधन करने की अपील की थी । इस कानून के अनुसार कुरान , पैगम्बर हजरत मुहम्मद और इस्लाम से संबंधित कुछ पवित्र शख्सियतों के बारे में कुछ भी निदनीय कहने पर मौत की सजा हो सकती है । गत नवम्बर में पाक अदालत ने एक ईसाई महिला को पैगम्बर मुहम्मद का अपमान करने के जुल्म में मौत की सजा सुनायी , तब से पाकिस्तान में ईश निन्दा कानून पर व्यापक चर्चा शुरु हो गयी । पाकिस्तान एक मुसलमान देश है , वहां के अत्याधिक लोग इस्लाम पर विश्वास करते हैं , समूचे देश की 18 करोड़ जनसंख्या में मात्र दो प्रतिशत के लोग ईसाई पर विश्वास करते हैं । क्योंकि कुछ लोग अकसर इस ईश निन्दा कानून का गलत इस्तेमाल करते हैं , इसलिये ईसाई लोगों के विचार में यह कानून अपने अधिकारों व सुरक्षा के लिये खतरा पैदा करता है । शहबाज भट्टी की हत्या से क्रोधित ईसाइयों ने इस्लामाबाद में नारे लगाकर प्रदर्शन निकाला ।
शहबाज भट्टी चालू वर्ष में पाकिस्तान में मारे गये दूसरा प्रांतीय अधिकारी थे । चार जनवरी को पंचाब के गवर्नर और आवामी पार्टी के महत्वपूर्ण सदस्य सलमान तासीर की हत्या भी इस्लामाबाद में हुई । तासीर की हत्या के बाद शहबाज भट्टी को मृत्यु की धमकी भी मिली , पर उन्होंने इस की परवाह न कर देश में सामान्य कामकाज जारी रखने को कहा । विश्लेषकों का कहना है कि इन दोनों हत्याकांडों से जाहिर है कि पाकिस्तान में इस्लाम उग्रवाद का विस्तार हो रहा है ।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति जरदारी ने शहबाज भट्टी की हत्या की कड़ी निन्दा की और भट्टी के घरवालों के प्रति सांत्वना व्यक्त की , साथ ही आतंकवाद पर रोक लगाने की कसम खाय़ी । पाकिस्तान के गृह मंत्री मलिक ने संबंधित विभागों को मंत्रियों की रक्षक शक्तियों को मजबूत बनाने और 48 घंटों के भीतर प्रहार घटना की प्रारम्भिक जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया । उसी दिन पाकिस्तान की सब से बड़ी विपक्षी पार्टी मुसलिम लीग नवाज शऱीफ ने इस प्रहार घटना के प्रति कड़ी निन्दा भी प्रकट की ।
इस के साथ ही अमरीका , ब्रिटेन , भारत , यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र संघ आदि देशों व अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने क्रमशः शहबाज भट्टी की हत्या की निन्दा की । संयुक्त राष्ट्र महा सचिव पान की मून ने दो मार्च को अपने प्रवक्ता के जरिये जारी वक्तव्य में भट्टी की हत्या की कड़ी निन्दा की । उन्हों ने अपने वक्तव्य में कहा कि वे पाकिस्तान सरकार को आतंवाद पर रोक लगाने , अल्पसंख्यक जातियों के अधिकारों की हिफाजत करने और सहिष्णुता का पक्ष लेने के लिये प्रोत्साहन देते हैं । अमरीकी विदेश मंत्री हिलारी ने इस हत्याकांड के प्रति सदमा व क्रोध प्रकट किया । ब्रिटेन के प्रधान मंत्री कमेरोन ने इस हत्याकांड को अत्यंत शोचनीय व अस्वीकार्य कहा । ब्रिटेन के विदेश मंत्री हग ने कहा कि उग्रवादी तत्वों ने लोगों द्वारा स्वतंत्र संवाद करने से रोकने के लिये यह डरपोक हत्याकांड खड़ा किया है , शहबाज भट्टी की हत्या पाकिस्तान की दुखांत क्षति ही है ।