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नव वर्ष के प्रथम माह में सी पी आई की वृद्धि अनुमान से कम
2011-02-15 17:13:36
दोस्तो , चीन में 15 फरवरी को जारी जनवरी के आर्थिक आंकड़ों से पता चला है कि जनवरी के सी पी आई में गत वर्ष की समान अवधि से 4.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है , जो बाजारी अनुमान से कम है , जबकि पी पी आई में गत माह से 6.6 प्रतिशत का इजाफा हुआ है । अर्थ शास्त्रियों ने हमारे संवाददाता के साथ बातचीत में कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मंडी और देश के अनेक कारणों के प्रभाव से , खासकर चालू वर्ष के पूर्वार्द्ध में चीनी अर्थतंत्र के सामने खड़े मुद्रास्फीति के दबाव के मद्देनजर मुद्रास्फीति को कम करने के लिये विविधतापूर्ण माध्यम अपनाना आवश्यक है ।

चीनी राष्ट्रीय सांख्यकि ब्यूरो के संबंधित जिम्मेदार व्यक्ति ने कहा कि जनवरी में नागरिक उपभोक्ता दाम यानी सी पी आई वसंत त्यौहार की लम्बी छुट्टियों और सर्दी व बर्फीले मौसम के प्रभाव से गत वर्ष की समान अवधि से 1.0 प्रतिशत बढ़ गया है , इसी संदर्भ में पिछले एक साल में यह तीसरी बार वृद्धि देखने को मिली है , जबकि फरवरी 2010 में 1.2 प्रतिशत और नवम्बर 2010 में 1.1 प्रतिशत का इजाफा हुआ था ।

पर सी पी आई की 4.9 प्रतिशत की वृद्धि दर बाजार के 5.3 प्रतिशत के अनुमान से कम है । इसी खबर की प्रेरणा से आज चीनी शयर बाजार में कल आयी उछाल बरकरार है , आज के शयर बाजार के शुरु में आई उछाल से जाहिर है कि बाजार में समग्र आर्थिक परिस्थिति और मुद्रा के सिकुड़न पर उत्पन्न चिन्ता कम हो गयी है ।

चीनी जन विश्वविद्यालय के वित्त व मुद्रा कालेज के उप प्रधान चाओ शी च्युन ने कहा कि इस से पहले सी पी आई पर मौसमी तत्वों का प्रभाव हद से ज्यादा अनुमानित किया गया है , लेकिन संक्षेप्त में देखा जाये , तो दाम वृद्धि का दबाव फिर भी काफी भारी है । 

सूखे से उत्तरी चीन के अनाज उत्पादक क्षेत्रों पर काफी बड़ा प्रभाव पड़ गया है , वर्तमान में वसंत जोताई बोवाई का कुंजीभूत काल है , यदि यह स्थिति जारी रहेगी , तो सूखा ग्रीष्मकालीन फसलों पर काफी बड़ा असर डाल देगा । अतर्राष्ट्रीय मंडी में अनाजों के दामों में भी काफी बड़ा इजाफा हुआ है । मेरे ख्याल से चालू वर्ष में सारी दुनिया में खाद्यान की सप्लाई मांग को पूरा करना मुश्किल है , खासकर कुछ देशों द्वारा निर्यात को सीमित किये जाने से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में खाद्यान का दाम बढ़ता रहेगा , जिस से देश के अंदरूनी खाद्यान दाम पर असर भी पड़ेगा ।

उसी दिन जारी पी पी आई में वृद्धि की प्रवृति बरकरार है , जिस से जाहिर है कि चीनी अर्थतंत्र फिर भी विस्तार के दौर में है , पर कच्चे मालों के दामों में आयी वृद्धि से संबंधित कारोबारों पर और भारी दबाव पड़ गया है । चाओ शी च्युन का विचार है कि अंतर्राष्ट्रीय तत्वों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता ।

अंतर्राष्ट्रीय सट्टेबाजी का प्रभाव अमरीकी और यूरोपीय आर्थिक नीतियों में आये हेरफेर से संबंधित है । अमरीका में कार्यांवित दूसरे दौर की ढीली मैद्रिक नीति आगामी जून तक जारी रहेगी , इस का अर्थ यह है कि हर माह में बाजार में डालने वाले अमरीकी डालर में भारी वृद्धि होगी , जिस से प्रमुख भारी मालों के दाम हद से अधिक बढेंगे और आयात की लागत भी बढ़ेगी । साथ ही सी पी आई पर भी प्रभाव होगा , यह हमारे सामने मौजूद चुनौतिपूर्ण स्थिति ही है ।

चाओ शी च्युन का मानना है कि चीन चालू वर्ष में मुद्रास्फीति को काबू में लाने को संकल्पबद्ध है , इसी बीच स्थिर मैद्रिक नीति लागू भी हो गयी है । चालू वर्ष में चीजों के दामों को स्थिर बनाने का आधार मौजूद है ।

इसी संदर्भ में विविधतापूर्ण कदम उठाये जा रहे हैं , मसलन नकद आरक्षित अनुपात व ब्याज दर में वृद्धि करने और ट्रीजर बाण्ड जारी करने की मैद्रिक नीति अपनायी जाती है , ताकि दामों में आयी वृद्धि और मुद्रास्फीति को कम किया जा सके । दूसरी तरफ सरकार कृषि उत्पादन , भूमि व जायदाद बाजार , भूमि प्रबंधन , तकनीकी आविष्कार और जन जीबन आदि अनेक क्षेत्रों में दामों को स्थिर बनाने के लिये कदम उठाने की कोशिश में है । हालांकि सरकार काफी भारी दबाव का सामना कर रही है , पर समुचित कदम उठाये जाने से ही इसी प्रकार के दबाव का मुकाबला करने में फिर भी सक्षम होगी ।

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