क्या आप को मालूम है कि आज से कोई दो हजार वर्ष पहले चीन के पूर्व चिन राजवंश में सुप्रसिद्ध हस्ती थाओ य्वान मिंग ने आड़ू फूल उद्यान नामक लेख लिखा । इस लेख में उन्होंने दुनिया से कटे हुए एक बहुत बेमिसाल दर्शनीय आड़ू फूल उद्यान का सजीव रुप से वर्णन किया , जिस से लोग पढ़कर अत्यंत प्रभावित हो जाते हैं । तब से लेकर आज तक कई हजार वर्ष बीत गये हैं , पर बड़ी तादाद में चीनी लोग फिर भी अपनी सुंदर कल्पना लिये इसी अद्भुत रमणीय स्थल की खोज में संलग्न रहे हैं । आज के इस कार्यक्रम में हम आप को दक्षिण चीन के हूनान प्रांत के चांग च्चा च्ये शहर के पास ऊ लिंग य्वान जहां थाओ य्वान मिंग द्वारा वर्णित दुनिया से कटे थाओ ह्वा य्वान यानी आड़ू फूल उद्यान अवस्थित है , के दर्शनीय दृश्य को देखने ले चलते हैं ।
आज का ऊ लिंग य्वान स्थल चीनी राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त रमणीय पर्यटन स्थल बन गया है । यह स्थल उत्तर पश्चिम हूनान प्रांत के ऊ लिंग य्वान पहाड़ी क्षेत्र के मध्य भाग में खड़ा हुआ है । स्थानीय गाइड आत्से ने इस क्षेत्र का परिचय देते हुए कहा
पूरे ऊ लिंग य्वान रमणीय पर्यटन स्थल का क्षेत्रफल कोई 296 किलोमीटर विशाल है , जिस में मुख्यतः चांग च्चा च्ये राष्ट्रीय जंगल पार्क , त्येनचीशान प्राकृतिक संरक्षित क्षेत्र और सोशीयू प्राकृतिक संरक्षित क्षेत्र ये तीनों भाग शामिल हैं ।
ऊ लिंग य्वान प्राकृतिक पर्यटन क्षेत्र विश्व में दुर्लभ विशाल क्वार्टजाइट भू सूरत का है । 7 दिसम्बर 1992 को युनेस्को ने ऊ लिंग य्वान प्राकृतिक पर्यटन स्थल को विश्व प्राकृतिक विरासत के रूप में विश्व विरासत सूची में शामिल कर लिया है । गाइड आत्से ने आगे चलकर कहा
अब हम जल्द ही चांग च्चा च्ये राष्ट्रीय जंगल पार्क के गेट पहुंच रहे हैं । यह पार्क चीन में प्रथम राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त जंगल पार्क ही है , वह चीन में प्रथम पार्क कहलाया जाता है ।
कुछ लोग तीन हजार जंगल चोटियों और 8 सौ नद नदियों का उल्लेख करते हुए चांग च्या च्ये राष्ट्रीय जंगल पार्क का वर्णन करते हैं । क्योंकि वह ह्वांगसीचाई , चिन प्येन सरिता घाटी , याओची चाई , य्वान च्या च्ये और यांग च्चा च्ये इन पांच बड़े प्राकृतिक पर्यटन स्थलों से गठिन है । आज हम मुख्य तौर पर चिनप्येन सरिता घाटी के दौरे पर जा रहे हैं । गाइड आत्से ने कहा
चिनप्येन सरिता घाटी क्षेत्र में एक चिनप्येन येन पर्यटन स्थल उपलब्ध है और वह चांग च्चा च्ये जंगल पार्क की तीन विशेषताओं युक्त विख्यात पर्यटन स्थलों में से एक है । उस के ऊपर बहने वाली सरिता चिनप्येन सरिता के नाम से जानी जाती है ।
चांगच्चाच्ये वासी चिनप्येन सरिता का इस तरह वर्णन करते आये हैं कि वह सख्त सूखे की कोई परवाह न कर कल कल कर आगे बह जाती है और गम्भीर बाढ़ आने से उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता । 5.7 किलोमीटर लम्बी चिनप्येन बड़ी घाटी टेढी मढी चिनप्येन सरिता का अनुसारण करते हुए दिखाई पड़ती है , पैदल से इस पूरी घाटी का दौरा करने में कोई 2.5 घंटे का समय लगता है ।
पर्यटकों की थकावट को मिटाने के लिये स्थानीय वासियों ने चिन प्येन सरिता के किनारों पर बहुत से खंभे भी लगा दिये हैं , ताकि पर्यटक खंभे पर ऊशू का अभ्यास करते हुए इस घाटी का दर्शनीय दृश्य देख सके । सरिता की कल कल की आवाज के साथ साथ स्वच्छ पानी में झुंट में झुंट मछलियां क्रिड़ा करते हुए दिखाई पड़ती हैं , साथ ही लाल, हरे व सफेद गोलाकार पत्थर पानी में चमचमाते हुए दिखाई देते हैं । गाइड श्याओ छिंग ने हमें बताया कि इस पहाडी क्षेत्र में बंदर कभी कभार पर्यटकों पर टूट पड़ते हैं , उन से सतर्क रखना जरूरी है ।
इस पहाड़ी क्षेत्र में काफी ज्यादा बंदर देखने को मिलते हैं , मजे की बात है कि यहां पर पर्यटक बंदरों से डरते है , न कि बंदर पर्यटकों से । क्योंकि बंदर पर्यटकों के हाथों में चीजों को छीन लेने के आदी हो गये हैं ।
लोग चिनप्येन घाटी को स्याही चित्र गलियारा व पृथ्वी पर स्वर्ग कहते हैं । एक के बाद एक खंभे को पार करने के बाद चिनप्येन सरिता के किनारों पर अत्यंत सुंदर प्राकृतिक दृश्य उपलब्ध हैं । गाइड आत्से ने कहा
यह हमारी चिन प्येन सरिता के दौरे का प्रथम पर्यटन स्थल ही है , वह मां बच्चा चोटी के नाम से विख्यात है । आगे के घाटी क्षेत्र में वह छोटी चोटी एक ऐसी महिला मालूम पड़ती हो , जिस के गोद में एक बच्चा बैठा हुआ है । हमारे स्थानीय लोग उसे बच्चा भेजने वाली अवलोकितेश्वरी मानते हैं । उन की मान्यता में जब स्थानीय नव दंपति या संतानहीन दंपति यहां पर अलोकतेशवरी की पूजा करने आते है , तो वापस लौटकर अवश्य ही प्यारे मुन्ने का जन्म देता है ।
ऊंचे ऊंचे पर्वतों और अजीबोगरीब चोटियों के सामने पर्यटक अपनी अपार कल्पना में लीन होकर प्राकृतिक चमत्कार महसूस कर पाते हैं ।
आकाश से बाते करने वाली अजीबोगरीब चोटियों के सामने खड़े होकर पर्यटक अपनी अपार काल्पनिक शक्तियां प्रदर्शनित कर प्राकृतिक करिश्मा को महसूस कर सकते हैं । एक चमत्कृत भू दृश्य की ओर इशारा करते हुए गाइड आत्से ने कहा
कहा जाता है कि पश्चिम तीर्थ यात्रा नामक पौराणिक उपन्यास में इस दृश्य का वर्णन किया गया है कि थांग भिक्षु के शिष्यों में से एक चू पा च्ये काउ लाओ गांव लौटकर अपनी प्रमिका कुमारी काउ को लेकर सैर करने बाहर गया । यह खबर पाकर बंदर राजा सुन ऊ खुंग ने उसे मजा उड़ाने के लिये कुमारी काउ का अवतार किया , फिर चू पा च्ये उसे अपनी पीठ पर उठाकर आगे चलता रहा , पर इसी तरह आगे बढ़ने के साथ साथ पीठ पर कुमारी काउ के अवतार ने भारी चट्टान के रुप में बदल दिया । मजे की बात है कि पास में एक छाता भी नजर आता है ।
वास्तव में वह चू पा च्ये रुपी भू दृश्य एक चोटी है , पास में जो छत्री के रुप में दिखायी देता है , वह एक पेड़ ही है , यह चिन प्येन सरिका पर्यटन क्षेत्र का सब से चर्चित भू दृश्य माना जाता है । गाइड आत्से ने कहा
348 मीटर ऊंची चिन प्येन चट्टान 110 मंजिली इमारत की ऊंचाई के बराबर है , जो क्वांग चओ शहर में निर्मित प्रसिद्ध विश्व व्यापार भवन से भी अधिक है ।
स्तूप रुपी चिन प्येन चट्टान का ऊपरी भाग छोटा है जबकि निचला भाग मोटा होता है । सूर्यास्त के समय जब आकाश की किरणें गगनचुम्बी चट्टान पर पड़ती हैं , तो सारा पर्वत एकदम चमकदमक हो उठता है ।