दोस्तो , अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा के निमंत्रण पर चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ 18 जनवरी को पेइचिंग से अमरीकी राजकीय यात्रा के लिये रवाना हुए हैं । नव वर्ष की शुरुआत में चीनी राष्ट्राध्यक्ष सब से पहले विश्व के सब से विकसित देश की जो यात्रा कर रहे हैं , उस का भारी महत्व है , साथ ही सारी दुनिया मौजूदा यात्रा में प्रदर्शित लचीले व सकारात्मक राजनयिक रवैये और उत्पन्न होने वाले परिणामों पर कड़ी नजर रखे हुई है ।
चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा हाल में जारी यात्रा सूची के अनुसार राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ 18 से 21 जनवरी तक अमरीका में ठहरने के दौरान वाशिंगटन और शिकागो इन दोनों शहरों की यात्रा कर रहे हैं । वाशिंगटन की यात्रा सब से ध्यानाकर्षक है । नवम्बर 2009 में ओबामा की चीन यात्रा के बाद राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ अब अमरीकी यात्रा कर रहे हैं , जिस से चीन व अमरीका दोनों देशों के बीच 14 महीनों से कम समय में राज्याध्यक्षों की आपसी यात्रा साकार हो गयी है । इन दोनों बड़े देशों , खारकर अमरीका के लिये यह राजनयिक गतिविधि और अधिक महत्वपूर्ण है ।
ओबामा ने सत्ता पर आने के पिछले दो सालों में हालांकि जितने अनेक देशों की नेताओं का सत्कार किया है , लेकिन उन में से केवल नवम्बर 2009 में भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह और मई 2010 में मेक्सिको के राष्ट्रपति कारडेलुंग ने अमरीका की राजकीय यात्रा की थी । इस बार अमरीका ने यह विचार व्यक्त किया है कि सब से उच्च स्तरीय राजनयिक शिष्टाचार से राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ का सत्कार किया जायेगा , मौके पर उन के सम्मान में भव्यदार अगवानी रस्म होगी , तोप सलामी होगी , वार्तालाप होगा और राजकीय भोज भी दिया जायेगा ।
भव्यदार परिवेश में आय़ोजित हू चिन थाओ व ओबामी की शिखर वार्ता , अमरीका की नयी कांग्रेस के प्रमुख सांसदों की भेंट और अमरीका के विभिन्न जगतों के गणमान्य व्यक्तियों का सम्पर्क आदि सिलसिलेवार राजनयिक गतिविधियां बेहद आकर्षक हैं । शिकागो अमरीका का तीसरा बड़ा शहर है और अमरीका के जल , स्थल व आकाश यातायात व परिवहन का केंद्र भी है । साथ ही वह अमरीकी सिलिकाँन घास मैदान के नाम से भी जाना जाता है । चीन में लोकप्रिय मोटोरोला कम्पनी 1928 में इसी शहर में स्थापित हुई थी । शिकागो में ठहरने के दौरान हू चिन थाओ गैर सरकारी अमरीकियों के साथ व्यापक सम्पर्क करेंगे ।
गत वर्ष में हुए टोरंटो शिखर सम्मेलन के दौरान ओबामा ने हू चिन थाओ को आमंत्रित किया । परिवर्तनशील दुनिया और अपने आप में बदलाव के सामने चीन व अमरीका नये काल में विकास की दिशा कैसे निश्चित करेंगे , द्विपक्षीय सहयोग कैसे मजबूत बनायेंगे और बहुपक्षीय क्षेत्रों की चुनौतियों का किस तरह सामना करेंगे , ये सब के सब चीन अमरीका संबंधों का प्रमुख रणनीतिक विषय होंगे । 2008 के अंत में विश्व वित्तीय संकट के बाद चीन व अमरीका के राज्याध्यक्षों ने वार्ता , संदेश और टेलिफोन के माध्यम से जो राजनयिक गतिविधियां की हैं , वे बहुत चर्चित हैं । चीन अमरीका संबंध सब से महत्वपूर्ण द्विपक्षीय संबंध ही है , यह वैश्विक सहमति है , उस का विश्वव्यापी महत्व भी है ।
बेशक , मौजूदा यात्रा के दौरान संपन्न होने वाले ठोस सहयोग समझौते आकर्षण का केंद्र भी हैं । जनवरी में चीनी विदेश मंत्री यांग च्ये छी ने अमरीका यात्रा पर कहा था कि मौजूदा यात्रा में दोनों पक्ष आर्थिक व्यापार , ऊर्जा , वातावरण और आधारभूत संस्थापनों के निर्माण , मानवीय , ज्ञान विज्ञान आदि विशाल क्षेत्रों में सिलसिलेवार सहयोग दस्तावेज संपन्न करेंगे और अनेक नये सहयोग परियोजनाएं भी घोषित कर देंगे ।
ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि इस यात्रा की पूर्ववेला में वाशिंगटन और पेइचिंग के बीच राजनयिक आवाजाही बनी हुई है , दोनों देशों के सरकारी अधिकारियों , विद्वानों और मीडियाओं ने सदिच्छापूर्ण भावना प्रकट की है , जिस से मौजूदा यात्रा के लिये काफी अनुकूल स्थिति तैयार हो गयी है । साथ ही दोनों पक्षों द्वारा प्रदर्शित व्यावहारिक रूख भी काफी चर्चित हैं । देखा जा सकता है कि लोग यात्रा से पहले तैयार अनुकूल वातावरण के मद्देनजर संतोषजनक मौजूदा यात्रा पर आशाप्रद हैं ।