उत्तर चीन स्थित भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश का अराशान नामक स्थल रेगिस्तान की जन्मभूमि कहलाया जाता है , साथ ही वह रेगिस्तान के जहाज के नाम से नामी ऊंटों की जन्मभूमि भी है । विशाल रेगिस्तान में अंगिनत अजीबोगरीब रेतीले पहाड़ नजर आते हैं , सूर्यास्त के समय में पूरा क्षेत्र अत्यंत शांतिमय व खूबसूरती दृश्य देखकर पर्यटक वापस लौटने को भूल जाते हैं । आज के इस कार्यक्रम में हम आप के साथ दर्शनीय अराशान क्षेत्र में परिवर्तनशील प्राकृतिक दृश्य देखने जा रहे हैं ।
अभी आप जो गीत सुन रहे थे, उस का नाम है वायुमंडल जितना विशाल अराशान । इस गीत के मधुर संगीत के साथ साथ मानो हम भी विशाल अराशान के रेत, नकलीस्तान स्वच्छ झरना, ऊंट काफिला, हंस और दर्लभ हू यांग पेड़ देख रहे हो ।
अराशान जिले के भीतर पातानचिलीन , थंगगरी और ऊलापूहो ये तीनों रेगिस्तान खड़े हुए हैं , इन तीनों रेगिस्तानों को अराशान रेगिस्तान का संज्ञा दिया जाता है और वह चीन का दूसरा बड़ा रेगिस्तान भी है । आज हमारी यात्रा का प्रथम पड़ाव हजार वर्ष पुराने दुर्लभ हू यांग पेड़ों की जन्मभूमि अजीना ही है । हू यांग पेड़ गोबिस्तान में एक प्राचीन विशेष किस्म वाले पेड़ हैं , कहा जाता है कि इसी किस्म वाला पेड़ हजारों वर्ष जीवित रहता है , मृत होने पर भी वह नहीं गिरता , गिरने के बाद वह भी हजारों वर्ष तक नहीं सड़ता ।
विश्व में तीसरा बड़ा हू यांग जंगल होने के नाते अजीना का घना हू यांग जंगल विश्व के विभिन्न क्षेत्रों के फोटोकारों को मोह लेता है । 2000 वर्ष से अजीना जिला हर वर्ष के अक्तूबर में हू यांग पर्यटन सांस्कृतिक उत्सव मनाता आया है । अक्तूबर 2010 मे करीब दो लाख फोटोकार लम्बा रास्ता तय कर इस 20 हजार से कम आवादी वाले छोटे कस्बे आये हैं ।
सारी दुनिया में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से विशाल रेगिस्तान के किनारे पर स्थित अजीना का हू यांग जंगल भी गम्भीर खतरे में पड़ गया है । अजीना कस्बे के प्रधान पाओ पाओली ने इस का परिचय देते हुए कहा कि हू यांग जंगल को पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने के लिये उन्हों ने मानवकृत सिंचाई की व्यवस्था स्थापित की ।
उन्होंने एक छोटी नदी की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस ह्ये हो नदी का पानी अजीना के लिये वाकई पारिस्थितिकी पानी ही है । 2000 से इस नदी में पानी भरना शुरु हुआ , तब से लेकर आज तक हू यांग जंगल का क्षेत्रफल मानवकृत संरक्षण व जलसाधन की पूर्ति से पहले से कहीं अधिक विस्तृत हो गया है , अपूर्ण आंकड़ों के अनुसार इस जंगल का क्षेत्रफल 50 हजार हैक्टर से अधिक है ।
अजीना कस्बे की सरकार व स्थानीय चेरवाहों ने हू यांग जंगल की बड़ी सावधानी से देखभाल व रक्षा करने के लिये नाना प्रकार वाली प्राकृतिक विपत्तियों का सामना किया । कस्बे के प्रधान पाओपाओली ने कहा
हू यांग जंगल के लिये अनुकूल प्राकृतिक स्थिति को तैयार करने के लिये स्थानीय चेरवाहे जंगल क्षेत्र से बाहर हस्तांतरित हुए हैं , साथ ही ये चेरवाहे हू यांग जंगल के प्रबंध व रक्षक भी बन गये हैं । अब हमारे यहां पर 22 से 55 उम्र वाले चेरवाहे सब के सब अजीना जिले के वन रक्षक की हैसियत से यू यांग जंगल के संरक्षण में जुटे हुए हैं ।
हू यांग जंगल को छोड़कर परिवर्तनशील रेगिस्तान भी अराशान की विशेष पहचान भी है । पर रेगिस्तान के पास बसे स्थानीय वासियों के लिये रेगिस्तान को काबू में लाना और उस का सुधार करना रमणीय प्राकृतिक दृश्य का लुत्फ लेने से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है । अजीना कस्बे से 600 से अधिक किलोमीटर दूर अराशान जिले की राजधानी पाय्येहाउत में स्थानीय सरकार ने रेतीलीकरण को सुधारने में बड़ी धनराशि लगायी और हवाई वनरोपण तकनीक के जरिये पाय्येंहाउत के आसपास क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर वनरोपण किया । पारिस्तिथिकि पर्यावरण के सुधार की चर्चा में प्रधान मोर्कन ने कहा
पाय्येंहोत शहर को पानी का सख्त अभाव है , क्योंकि यह स्थल होलान पर्वत के पश्चिमी भाग पर अवस्थित है , इसलिये होलान पर्वत एक प्राकृतिक हरित बाधा बन गया है , और तो और पाय्येंहोत बड़े थंगकरी रेगिस्तान के प्रहार का शिकार भी है । थंगकरी रेगिस्तान की सुधार परियोजना और पाय्येंहोत कस्बे की पारिस्थितिकी परियोजना के निर्माण से पाय्येंहोत के आसपास एक शहर परिक्रमा हरित दीवार प्रकाश में आयी है , जिस से हमारे यहां का पर्यावरण भी बड़ी हद तक सुधर गया है ।
पारिस्थितिकी पर्यावरण के सुधारने के चलते पाय्येंहोत का यातायात निर्माण व पर्यटन संसाधन का विकास भी जोरों पर है । निंगश्या ह्वी स्वायत्त प्रदेश की राजधानी इनछ्वान से पाय्येंहोत तक जाने वाले हाईवे का उद्घाटन होगा , पाय्येंहोत हवाई अड्डे की परियोजना भी अनुमोदन के इंतजार में है । परिवहन स्थिति के सुधार से विभिन्न क्षेत्रों के पर्यटकों को सुविधाएं उपलब्ध करायी जायेगी । पाय्येंहोत तीन बड़े रेगिस्तानों के केंद्रीय क्षेत्र में अवस्थित है और वह थंगकरी रेगिस्तान से मात्र 30 किलोमीटर से दूर है । पूरे थंगरी रेगिस्तान में सौ से ज्यादा दलदल मैदान व झीलें बिखरी हुई है , हर वर्ष के नवम्बर में बड़ी तादाद में हंस यहां आते हैं । पाय्येंहोत कस्बे के प्रधान मोर्कन ने कहा
अराशान जिले की दो लाख 70 हजार वर्ग किलोमीटर की भूमि पर विशेष पर्यटन संसाधन है । खासकर हमारे पाय्येंहोत के आसपास क्षेत्रों में चांद झील जैसे उच्च स्तरीय दर्जे वाले पर्यटन स्थल निर्मित हुए हैं , मसलन उच्च स्तरीय दर्जे वाले पर्यटन स्थल क्वांगनिंग मठ और फूइन मठ भी अत्यंत आकर्षित हैं ।
पारिस्थितिकी पर्यावरण के सुधार से पर्यटकों की संख्या भी लगातार बढती गयी है । होलान पर्वत की तलहटी में मंगोलियाई जातीय विशेषता वाला चेरवाहा पर्यटन इधर सालों में पर्यटकों का पसंदीदा पर्यटन मुद्दा बन गया है । क्योंकि होलान पर्वत की तलहटी में बसे स्थानीय चेरवाहे अपने खेत में उगी हरित सब्जियां , फल और तालाब में पालित मछलियां और अन्य किस्मों वाली कृषि उपजे पर्यटकों के सम्मान में खिलाते हैं , इसलिये अधिकाधिक पर्यटक कोने कोने से यहां आते हैं ।
मंगोलियाई तंबू के सामने खड़े होकर यदि आप नजर दौड़ाये , तो नीले आसमान के नीचे सुनहरे मक्कई खेत , लाल व पीले रंग वाले टमाटर और पेडों पर लदे लाल सेब देखने से मन बड़ा खुश हो जाता है । पाय्येंहोत कस्बे के प्रधान मोर्कन ने बड़े उत्साह के साथ कहा
यह सौभाग्य की बात है कि मुझे आप को अपनी जन्मभूमि पाय्येंहोत कस्बे से अवगत कराने का मौका मिला है , आज मैं अत्यंत प्रभावित हूं । मुझे यकीन है कि आज मैंने जो आप को बता दिया है , वह सिर्फ अराशान या पाय्येंहोत का एक छोटा भाग है , इसलिये मुझे आशा है कि सारी दुनिया के दोस्त अराशान के दौरा पर आयेंगे , आप को जरूर ही बड़ा अच्छा लगेगा और नया अनुभव होगा ।