प्राचीन ह्वी शान कस्बे में कदम रखते ही चीनी स्याही चित्र जितना सुंदर जलीय ग्रामीण भू दृश्य देखने को मिलता है । लुंग थो नामक स्वच्छ नदी प्राचीन कस्बे से होकर आगे बह जाती है , नदी के दोनों किनारों पर दक्षिण चीनी वास्तु शैली में निर्मित मकान व एसेस्ट्राल मंदिर ऊंची ऊंची चार दीवारों से घिरे हुए हैं ।
दोस्तो , ऊ शी शहर पूर्वी चीन में स्थित है , इस शहर के बगल में खड़े ह्वी शान पर्वत की तलहटी में कोई एक हजार दो सौ वर्ष पुराना एसेंस्ट्राल मदिर समूह उपलब्ध है । विविधतापूर्ण वास्तु शैलियों में निर्मित एसेंस्ट्राल मंदिरों , बगीचानुमा मंडपों , पुस्तकालय , आपेरा मंच , घाटियों और सेतुओं ने प्राचीन ह्वी शान कस्बे को चार चांद लगा दिया है । जबकि ह्वी शान एसेंस्ट्राल मंदिर की छत पर सुसज्जित विभिन्न प्रकार वाली सूक्ष्म सजावटें पर्यटकों को आकर्षित कर लेती हैं ।
प्राचीन ह्वी शान कस्बे में कदम रखते ही चीनी स्याही चित्र जितना सुंदर जलीय ग्रामीण भू दृश्य देखने को मिलता है । लुंग थो नामक स्वच्छ नदी प्राचीन कस्बे से होकर आगे बह जाती है , नदी के दोनों किनारों पर दक्षिण चीनी वास्तु शैली में निर्मित मकान व एसेस्ट्राल मंदिर ऊंची ऊंची चार दीवारों से घिरे हुए हैं ।
प्राचीन चीनी वास्तु शैलियों से युक्त छतें अलग पहचान बना लेती हैं । काले रंग की छतों पर अंगिनत सुंदर सजावटें सुसज्जित हैं । अब अधिकाधिक पर्यटक यहां के मकानों व मदिरों पर लगी अलग ढंग की सजावटों पर मोहित हो जाते हैं ।
हमारे संवाददाता की मुलाकात फोटो खिंचने वाले श्याओ चांग से हुई , श्याओ चांग अब एक विश्वविद्यालय में पढ़ता है और वह दक्षिण पश्चिम चीन के छुंगछिंग शहर रहने वाला है . वह दक्षिण चीन के प्राचीन निर्माणों की छतों पर सुसज्जित बनावटों को देखकर चमत्कृत रह गया है ।
उस ने कहा कि यहां की काष्ठ नक्काशीदार सजावटें अति सुंदर हैं , बनाने की कला भी बहुत सूक्ष्म है ।
वू शी शहर के ह्वी शान प्राचीन कस्ब संरक्षण व निर्माण कार्य दल के विशेषज्ञ सुंग छी शिन को यहां पर काम किये हुए दसियों साल हो गये हैं , इसलिये वे ह्वी शान प्राचीन कस्बे के हरेक निर्माण से काफी परिचित हैं । उन्हों ने हमारे संवाददाता से कहा कि प्राचीन निर्माणों की छतों पर सुसज्जित नक्काशीदार बनावटें चीन की विशेष संस्कृति कही जा सकती हैं ।
तथाकथित छत खोदाई का अर्थ है कि चीनी प्राचीन निर्माण की छत पर सुसज्जित एक प्रकार की सजावट है , शुरु में छत पर लगे खपरैलों और छत के दोनों छोरों को स्थिर बनाने के लिये लगायी गयी थी , बाद में उस ने सजावटे का रुपधारण कर लिया ।
चीन के अधिकतर प्राचीन निर्माण मिट्टी व काष्ठ से निर्मित हुए हैं , लकड़ी से बनी छत पर खपरैल बिछाये गये हैं , पर छज्जों पर लगे खपरैल वर्षाओं व हवाओं की मार से आसानी से गिर जाते हैं , खपरैलों को स्थिर बनाने के लिये लोगों ने शुरु में छज्जों पर किल लगाये , फिर बाद में मकान की सुंदरता के लिये विविधतापूर्ण सजावटों ने किलों की जगह ले ली , धीरे धीरे ये सजावटें वर्गों का प्रतीक बन गयी हैं । सुंग छी शिन ने कहा ,
पुराने जमाने में छत सजावट का अपनी मर्जी से प्रयोग करने की मनाही थी । उदाहरण के लिये ड्रेगन रुपी सजावटें सिर्फ शाही मकानों पर लगायी जा सकती थीं , छीलीन नामक पक्षी रुपी सजावटें मात्र प्रथम दर्जे वाले अधिकारियों के मकानों पर लगायी जाती थी , जबकि हिरण रुपी सजावटें दूसरे से चौथे दर्जों वाले अधिकारियों के मकानों पर लगायी जाने का नियम था , पर आम जनता के मकानों पर सारस , मछली और पक्षियों रुपी सजावटों का प्रयोग किया जाता था ।
प्राचीन निर्माणों की छत सजावटें विविधतापूर्ण हैं , अलग अलग स्थान के हिसाब से अपनी अपनी भिन्न भिन्न परिभाषा और संज्ञा होती है । मकान की छत के सब से ऊपरी भाग मुख्य छत कहलाया जाता है , इसी भाग पर आम तौर पर जानवरों की आकृतियों में तराशी गयी सूक्ष्म सजावटें लगायी जाती थीं , उन्हें चूमा जानवर कहलाये जाते हैं ।
फिर मुख्य छत के दोनों छोरों पर अनेक जानवरों की मूर्तियां , जो एक लाइन में खड़ी हुई दिखायी देती है , लगायी गयी हैं , उन्हें दौड़ जानवर कहलाये जाते हैं । इन दौड़ जानवरों की संख्या ज्यादा से ज्यादा दस है, जिन में ड्रेगन , शेर और फंग ह्वांग शामिल हैं । कहा जाता है कि ड्रेगन शाही अधिकार का प्रतीक है , फ़ंग ह्वांग पक्षियों की रानी है और वह शरीफ हस्तियों का प्रतीक है , जबकि शेर बहादुरी व महिमा का प्रतिनिधित्व है । चीन में सिर्फ पेइचिंग पुराने राज्य प्रासाद मे थाइ हो भवन की छत पर दस दौड़ जानवरों की मूर्तियां लगायी गयी थीं , वह सर्वोपरि शाही अधिकार का द्योतक है ।
रिपोर्ट के अनुसार प्राचीन ह्वी शान कस्बे में कुल 118 ऐसेंस्ट्राल मंदिर सुरक्षित हैं , पहले अधिकतर मंदिरों की छतों पर सजावटें लगी हुई थीं । पर खेद की बात है कि अतीत के लम्बे समय में हवाओं व वर्षाओं की मार से कुछ सजावटें नष्ट हो गयीं और अन्य कुछ लुप्त हुईं । इसलिये इन मंदिरों की पुनर्स्थापना के दौरान निर्माताओं ने बड़ी संजीदगी से डिजाइन की और सूक्ष्म योजना भी बनायी ।
सुंग छी शिन ने कहा कि मंदिरों की पुनर्स्थापना के दौरान मंदिरों के मालिकों के स्थानों व हैसियतों को ध्यान में रखकर अलग अलग छत सजावटों का विकल्प किया गया , साथ ही परियोजना विभागों ने छत सजावटों का अध्यायन करने के लिये कुशक कारीगरों को भी भेज दिया ।
पता चला है कि अधिकतर ह्वी शान मंदिरों पर लगी छत सजावटें जानवरों व फूलों व घासों की हैं, इस के अलावा फूहड़ , सारस , गाएं , जलीय पक्षी और देवदार पेड़ की आकृतियां भी हैं । विश्वास है कि पर्यटक छत सजावट कला का लुत्फ लेते समय निश्चय ही प्राचीन ह्वी शान कस्बे की सड़कों की पुरानी ऐतिहासिक व परम्परागत संस्कृति महसूस कर सकते हैं ।