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उत्तर-पश्चिम चीन में प्रचलित लोक गीत "कुसुम"
2010-10-28 14:36:33
दोस्तो, हर गीत में जीवन से संबंधित कोई न कोई कहानी होती है और लोक गीतों में स्थानीय लोगों के जीवन के दुख-सुख, उतार-चढ़ाव आदि माला में फूलों की तरह पिरोए रहते हैं। आज के इस कार्यक्रम में हम आप को उत्तर-पश्चिम चीन में 600 सालों से भी अधिक समय से प्रचलित चले आ रहे लोक गीतों में से एक का परिचय देंगे, जिसका नाम हूआर यानिकि कुसुम है।

पिछली शताब्दी के तीसरे दशक में मशहूर चीनी भू-विज्ञानी य्वान फ़ू ली चीन के उत्तर-पश्चिम भू-भाग में भूवैज्ञानिक अध्ययन करने के लिए रोज़ाना ऊंट पर सवार हो कर जाते थे। काम करते हुए उन्हें स्थानीय लोगों के मधुर लोक गीतों ने आकर्षित किया और इस तरह उन्हें स्थानीय लोक गीतों को संग्रह करने की प्रेरणा मिली और उन्होंने अपने खाली समय में इन गीतों को इक्कठा करना शुरू किया। पेइचिंग वापस लौटने के बाद उन्होंने लोगों को उत्तर-पश्चिम चीन के एक लोक गीत "कुसुम" का परियच देने के लिए अख़बार में एक लेख लिखा, जिससे लोगों को इन लोक गीतों का परिचय मिला। कुसुम शीर्षक यह लोक गीत 80 से अधिक वर्षों के बाद यानिकि सन् 2009 में यूनेस्को की गैरभौतिक सांस्कृतिक विरासत की नामसूचि में भी शामिल किया गया।

आप जानना चाहते होंगे कि क्यों इस लोक गीत का नाम "कुसुम" पड़ा? वास्तव में इस गीत में लड़कियों को कुसुम यानिकि फूल कह कर संबोधित किया गया है। और यह सच भी है, क्या आप को कभी दूर-दराज के गांवों में जाने और वहां के लोगों, लड़कियों को देखने का मौका मिला है, वे सचमुच भोली भाली, सुंदर, कोमल फूल की तरह ही तो होती हैं। लोक गीत "कुसुम" के स्रोत का, उत्तर-पश्चिम चीन के कानसू प्रांत के शोधकर्ता वांग फ़ेई कई सालों से अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अनेक जातियों के लोग सालों से निरंतर इस प्रकार के लोक गीत गाते हैं। गैरभौतिक सांस्कृतिक विरासत में शामिल होने के बाद इस का सांस्कृतिक मूल्य और बढ़ गया है।

"9 प्रकार की जातियां हैं जिन में 'कुसुम' गीत उन के जीवन का अभिन्न भाग है। काम करते हुए यकायक लोगों के गले से इस गीत से बोल फूट पड़ते हैं। ये 9 जातियां हैं- हान जाति, ह्वी जाति, तोंगश्यांग जाति, पाओएन जाति, साला जाति, थू जाति, यूकू जाति, तिब्बती जाति और मंगोल जाति। यह दुनिया में एकमात्र ऐसा लोक गीत है, जो इतनी अधिक जातियों में एकसा लोकप्रिय है और उन के जीवन का भाग है। ये 9 जातियां चीन के एक तिहाई क्षेत्रफल में फैली हुई हैं। आप स्वंय अंदाज लगा सकते हैं कि यह क्षेत्रफल कितना विशाल है।"

उल्लेखनीय है कि इन 9 जातियों में ह्वी जाति, साला जाति और तिब्बती जाति की अपनी-अपनी जातीय भाषाएं हैं, लेकिन लोक गीत "कुसुम" ये सब जातियां हान भाषा में ही गाती हैं। शायद इसलिए भी क्योंकि हान जाति इस लोक गीत की अपनी विशेष पहचान भी है। इस लोक गीत का विभिन्न भाषाएं, धर्म और संस्कृतियों वाली जातियों में इस तरह लोकप्रिय होने का क्या कारण है? कानसू प्रांत के "कुसुम" अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष, लानचो विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर ख यांग ने कहाः

"'कुसुम' सबसे पहले हान जाति का ही लोक गीत था। बाद में अन्य जातियों के लागों ने भी इसे गाना शुरू किया। इसलिए गीत की धुन में धीरे-धीरे भिन्न-भिन्न जातियों के तत्व भी शामिल होते गए हैं। और आज यह गीत इन सभी जातियों की मिली-जुली धरोहर बन गया है। लोक गीत "कुसुम" की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है अनेक जातियों के लोगों द्वारा समय-समय पर इस गीत के सृजन में दिया गया योगदान, जिससे चीन में जातीय संस्कृति की विविधता, एकता और विभिन्न जातियों के बीच मैत्रीपूर्ण आवाजाही भी प्रतिबिंबित होती है।"

विभिन्न जातियों के लोग इस गीत को गाते समय इसे अपने ढंग से गाते है। लोक गीत "कुसुम" की गायिका सू फ़िंग ने कहाः

"साला जाति, तिब्बती जाति और पाओएन जाति के लोग एक क्षेत्र में रहते हैं। गीत गाते समय लोग तिब्बती भाषा और साला भाषा का मिला-जुला प्रयोग गाते हैं। गायक अपनी-अपनी जातीय भाषाओं से भी गीत गाते हैं, जिससे लोक गीत 'कुसुम' अच्छी तरह समृद्ध हो गया है।"

हर साल चंद्र कैलेंडर के अनुसार अप्रैल से जून तक उत्तर-पश्चिम चीन के विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित "कुसुम" संबंधी संगोष्ठी लोगों को आकर्षित करती है। इधर-उधर से आए लोग एक साथ मिलकर गीत गाते हैं। जैसा कि हम ने पहले भी कहा कि पिछले 600 से अधिक सालों से अब तक लोग निरंतर लोक गीत "कुसुम" का गाते आ रहे हैं, और इस में कभी कोई व्यवधान नहीं आया। इस का कारण बताते हुए कानसू प्रांत के "कुसुम" अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर ख यांग ने कहाः

"लोक गीत लोगों के मन की भावनाओं को प्रतिबिंबित करता है। सुख में, दुख में लोग लोक गीत गा कर अपना मन हल्का कर लेते हैं। गीत गाना लोगों के लिए अपनी भावनाएं व्यक्त करने का माध्यम है, जो बहुत ज़रूरी है। इसलिए लोक गीत पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों के जीवन का अभिन्न अंग बन गए हैं। उधर, लोक गीत 'कुसुम' की तरह और भी बहुत से लोक गीत हैं, जिन में इस की तरह ही प्रेम का वर्णन हुआ है। प्रेम एक सनातन विषय है। लड़के-लड़कियां इसे गाना पसंद करते हैं। यह गीत के जारी रहने का एक और महत्वपूर्ण कारण है।"

लोक गीत "कुसुम" में प्यार के अलावा, खेती, पूजा और दैनिक जीवन की गतिविधियां भी शामिल हैं। कहा जा सकता है कि गीत के विषयों में हुए परिवर्तन उत्तर-पश्चिम चीन में हुए विकास का लघु रूप है। उत्तर-पश्चिम नार्मल विश्वविद्यालय के संगीत कॉलेज के प्रधान चांग च्वूनरन ने बतायाः

"लोक गीत 'कुसुम' में हांगकांग विशेष प्रशासनिक क्षेत्र की वापसी और पेइचिंग ऑलंपिक से संबंधित विषय भी शामिल हो गए हैं। गीत के विषयों में हुआ सबसे बड़ा परिवर्तन लोगों के जीवन से संबंधित है। सबसे पहले गीत के बोल में ट्रैक्टर आता है, बाद में कार आ गई है। अब टी.वी. और मोबाइलफोन आदि भी गीत के बोल में जगह बना रहे हैं। इस तरह यह गीत लोगों के जीवन में हो रहे विकास को अपने में याद के रूप में शामिल कर रहे हैं।"

आधुनिक सभ्यता के विकास और बाहरी संस्कृति के प्रभाव से लोक गीत "कुसुम" भी प्रभावित हो रहा है। गीत गाने वाले युवाओं की संख्या में कमी हो रही है। लेकिन दूसरी तरफ़ गीत में नए तत्व भी शामिल हुए हैं। मसलन गीत में यूरोपीय शैली की धुन भी आई है और गीत के एम.पी. 3, वीडियो, वेबसाइट और ब्लॉक भी उभरे हैं, जो इस के संरक्षण और विकास के लिए नया मौका है।

गीत के शोधकर्ता क्वो चंगछिंग ने कहा कि विकास के रुझान में चाहे कोई भी परिवर्तन क्यों न आए, लोक गीत "कुसुम" का खुलापन और सहनशीलता हमेशा उस के विकास का कारण रहेगी। उन्होंने कहा कि कुछ गीतों में इस्माली संस्कृति के तत्व भी बहुत ज्यादा हैं। बताया जा रहा है कि ह्वी जाति के लोगों ने पहले फ़ारसी और अरबी भाषा में इसे गाया था। हालांकि अब गायक आम तौर पर हान भाषा में ही इसे गाते हैं, लेकिन गाते समय पहले की कुछ न कुछ छाया इस में बची हुई देखी जा सकती है। अब ब्रिटेन और अमेरिका आदि देशों में कुछ शोधकर्ता भी इस का अध्ययन कर रहे हैं। लोक गीत "कुसुम" के सदियों से लोकप्रिय रहने का कारण आप को भी पता चला होगा।

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