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त्रिघाटी क्षेत्र के प्राकृतिक सौंदर्य का आभास
2010-09-13 10:48:10

दोस्तो , आप ने यह अद्भुत प्राकृतिक दृश्य कभी देखा होगा कि कल कल कर आगे बहने वाली नदी पर नाव शांतिपूर्वक चलते हुए दिखाई देते हैं , जबकि टंकी हुई इमारतें नदी के तटों पर व्यवस्थित रुप से खड़ी हुई हैं , ऊपर आकाश पर पक्षियां स्वतंत्र रुप से उड़ते हुए नजर आते हैं , बतख और हंस झुंट में झंट नदी पर क्रिड़ाएं करते हुए तैरते हैं , नदी के तट पर लड़कियां कपड़े धोते हुए एक दूसरे के साथ मजाक करती है और मुछवा मछलियां मारने में मस्त नजर आते हैं । इतना सुंदर प्राकृतिक दृश्य कोई काल्पनिक नहीं है , वह सचमुच मौजूद ही है । यह स्थल मध्य चीन के हू पेह प्रांत के ई छांग शहर के पास निर्मित विश्वविख्यात त्रिघाटी बांध और को चओ वा बांध के बीच स्थित त्रिघाटी परिवार नामक क्षेत्र का है । यह स्थल यांगत्सी नदी की त्रिघाटी का सब से खूबसूरत क्षेत्र माना जाता है । आज के इस कार्यक्रम में हम आप के साथ इसी स्थल के दौरे पर जा रहे हैं ।

नाविकों के उत्साहवर्द्धक गीत अकसर यहां के दौरे पर आने वाले पर्यटकों को मोहित कर लेते हैं । नाविक शक्तियों को समन्वित करने और थवावट को मिटाने के लिये नाव खिंचते समय यह गीत यानी होउ ची गाते हैं ।

त्रिघाटी परिवार नामक स्थल यांगत्सी नदी के त्रिघाटी बांध व को चओ पा बांध के बीच अवस्थित है य़ानी यांगत्सी नदी की त्रिघाटी के मध्यम पूर्वी सेक्शन में है । यहां पर आदिम परिस्थितिकी घाटी प्राकृतिक भू दृश्य की विशेष पहचान बना लेती है । अभी हम ने जो नाविक गीत सुना है , वह इसी क्षेत्र का प्रथम विशेष भू दृश्य है , आगे चलकर हम त्रिघाटी परिवार नामक क्षेत्र की लुंगचिन सरिता देखने जाते हैं ।

लुंगचिन सरिता के सामने एक पहाड़ खड़ा हुआ है , इस पहाड़ की चोटी का आकार ड्रेगन की पीठ जान पड़ता है , दूर से देखा जाये , तो वह बिलकुल सरिता में कुदने वाला ड्रेगन मालूम पड़ती है , इसलिये यह स्वच्छ सरिता लुंगचिन यानी पानी में कुदने वाला ड्रेगन के नाम से जाना जाने लगी । इस सरिता का स्वच्छ पानी देखते ही देखते अचानक बांसुरी की मधुर आवाज ने पर्यटकों का ध्यान आकर्षित कर दिया ।

पर्यटकों ने बांसुरा की आवाज की ओर नजर दौड़ाकर देखा कि एक युवक नाव पर खड़ा होकर बांसुरी बजा रहा था . जबकि पास में एक दूसरे नाव पर थु च्चा जातीय पोषाक से सुसज्जित एक युवती पर्यटकों के स्वागत में हाथ हिला रही थी । हरित पहाड़ , स्वच्छ पानी और बांसुरी की मधुर आवाज से पर्यटकों को एकदम प्रभावित हो गये हैं ।

काले पत्थरों से निर्मित रोड से आगे चलकर यह मनमोहित प्राकृतिक भू दृश्य देखने को मिलता है कि नदी में मछुआ बड़े आराम से जाल फैलाकर मछली मारने में मस्त हैं ,जबकि नदी के तट पर थुच्चा जाति की युवतियां कपड़े धोते हुए दिखायी देती हैं , पहाड़ की तलहटी में टंकी हुई इमारतें भी नजर आती हैं । यह दर्शनीय प्राकृतिक भू दृश्य त्रिघाटी परिवार क्षेत्र का असली जीवंत पर्यावरण ही है । गाईड ल्याओ मंग शिंग ने इस का परिचय देते हुए कहा

क्योंकि तत्काल में त्रिघाटी में कुछ लोग मछुवा जहाज पर रहकर मछली मारने पर आश्रित हैं , इसलिये हम उन्हें जलीय परिवार कहकर पुकारते हैं , कुछ लोग नदियोंो के तटों पर रहते हैं , तो हम उन्हें तटीय परिवार कहते हैं और अन्य कुछ लोग पहाड़ों पर बसे हुए हैं , तो हम उन्हें पहाड़ी परिवार कहते हैं ।

इस के अलावा ऐसे लोग भी हैं कि वे त्रिघाटी के पर्यटन कार्य को विकसित कर अमीर हो जाते हैं , हम उन्हें आधुनिक परिवार कहकर पुकारते हैं । ऐसा कहा जा सकता है कि यहां का हरेक पर्यटन स्थल , हरेक प्राकृतिक भू दृश्य और हरेक जीवंत वातावरण सब के सब अनुपम त्रिघाटी प्राकृतिक सौंदर्य का एक हिस्सा है , यह त्रिघाटी में बसे स्थानीय लोगों का जीता जागता जीवन ही है , पर्यटक अपनी आंखों से त्रिघाटी परिवारों के चित्र जीतना सुंदर प्राकृतिक दृश्य देखने के साथ साथ मधुर पहाड़ी गाना भी सुन सकते हैं ।

कुछ लोगों ने कहा है कि यहां के स्थानीय लोगों को जब बोलना आता है , तो उन्हें गीत गाना भी आता है । जब चलना आता है , तो नाचना भी आता है , इस शांतिमय घाटी में सुंदर पहाडी गीत सुनने से लोग एकदम नशे में हो जाते हैं ।

यह सच है , शांतिमय पहाड़ी घाटी में मधुर पहाड़ी गीत सुनने में लोग स्वभाविक रुप से मस्त हो जाते हैं , पर अनुभवी आकार वाला पर्यटन मुद्दा त्रिघाटी परिवार क्षेत्र में सब से लोकप्रिय है , पर्यटकों को स्थानीय वासियों के साथ इंटरएक्टिव करने में बड़ा मज़ा आता है और यहां के अलग ढंग की शैली महसूस होती है ।

ऐसे मौके पर जब थुच्या जातीय युवतियां मुक्त कंठ से पहाड़ी गीत गाती हैं , तो पर्यटक अपने आप खड़े होकर गीत के तालमेल से तालियां बजाते हुए गुनगुनाते हैं ।

पर्यटक थुच्चा जातीय युवतियों के साथ पहाड़ी गीत गाते ही नहीं , वे थुच्चा अल्पसंख्यक जाति के शादी ब्याह में भी भाग ले सकते हैं । इस अल्पसंख्यक जाति के रीति रिवाज के अनुसार शादी में रोने की विशेष परम्परा है । जब पर्यटक दुल्हन के रिश्तेदारों व मित्रों के साथ रोते हुए गाने की विशेष परम्परा में भाग लेते हैं , तो दुल्हन दुल्हे के रुप में उन में से एक पुरुष पर्यटक चुन लेती है , फिर उसे लोल कोट व लाल फूल से सजधज कर दुल्हन के साथ शादी करने की रस्म आयोजित की जाती है , क्षणभर सारा त्रिघाटी क्षेत्र त्यौहार जैसे हर्षोल्लासपूर्ण वातावरण में डूब गया है ।

पेइचिंग से आयी पर्यटक सुश्री वांग पहली बार त्रिघाटी परिवार क्षेत्र आयी , उस ने कहा कि यहां के हरेक भू दृश्य व हरेक गीत ने उस पर अमिट छाप छोड़ रखी है ।

मुझे लगता है कि यहां का वातावरण बहुत मजेदार है , खासकर रोने वाली शादी परम्परा बहुत कम देखने को मिलती है । यहां के स्थानीय लोग गाने में बहुत निपुर्ण हैं , आवाज का दायरा भी बहुत विशाल है , लाउटस्पीकर के बिना गाने की आवाज बहुत साफ साफ सुनायी देती है , यहां का प्राकृतिक दृश्य भी अत्यंत बेमिलास है । उल्लेखनीय है कि नदी पर छोटा नाव और नाव पर सुंदर युवतियां पहाड़ी गीत गाते हुए पर्यटकों को हाथ हिलाती हैं और मैत्रीपूर्वक अभिवादी करती हैं , यह देखकर बड़ा अच्छा लगता है ।

प्राचीन काल से ही अंगिनत प्रसिद्ध साहित्यकारों व कवियों जैसी हस्तियों ने यांगत्सी नदी की त्रिघाटी के दर्शनीय प्राकृतिक सौंदर्य की प्रशंसा में अस्वीमरणीय कविताएं लिखीं । मसलन थांग राजवंश के विख्यात कवि ली पाइ ,उत्तर सुंग राजवंश के ओ यांग श्यो और दक्षिण सुंग राजवंश के लू यो आदि बहुत ज्यादा कवियों ने सुंदर कविताएं लिखकर त्रिघाटी के अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य का गुणगान किया है ।

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