हुचो शहर चेच्यांग प्रांत के उत्तरी भाग में थाईहु झील के निकट स्थित है, जो झील के उस पार आबाद सूचो शहर के आमने सामने है। वह थाईहु झील रिम क्षेत्र में एकमात्र ऐसा शहर है, जिस का नाम थाईहु झील के कारण पड़ा है। रमणीय प्राकृतिक दृश्य से हु चो देश में मशहू है, पर सब से अधिक प्रसिद्धि उसे चीनी परंपरागत लेखन सामग्री बनाने से प्राप्त हुई है। इसलिए हु चो चीन के ब्रुश उत्पादक नगर के नाम से देशभर में नामी है।
चीनी परंपरागत लेखन सामग्री में ब्रुश, स्याही, कागज और मसिपात्र चार चीजें प्रमुख और मशहूर हैं, ब्रुश का अर्थ चीनी परंपरागत ऊन से बना कलम से है, जो आज से दो हजार से अधिक साल पहले छिन राजकाल में सेनापति मङ थ्येन द्वारा विकसित किया गया था। हु चो में निर्मित ब्रुशनुमा कलम सामग्री के चयन में बढ़िया, शिल्प का काम बारीकी तथा बकरी के उत्तम बालों से बनाया जाता है। इस के निर्माण में सौ से अधिक विधियां अपनायी गयी हैं और ब्रुश में नुकली, सख्त, गोला और सुगठित होने की चार विशेषताएं हैं। इसलिए हु चो का ब्रुश चीन के परंपरागत ब्रुश कलमों में सर्वोश्रेष्ठ माना जाता है।
हु चो का ब्रुश विश्वविख्यात जरूर है, इस के अतिरिक्त वहां अनेकों सुप्रसिद्ध प्राचीन बुद्धिजीवी लोग भी आए उभरे हैं, जिन में वांग शिची, वांग श्यानची, येन जनछिंग, मिफू, सूशि और वांग शिफङ आदि पारंपरिक चीनी लिपि कला व चित्रकला में पारंगत थे और ऊंची ख्याति प्राप्त थे। इन मशहूर लोगों के हुचो में निवास और लिपि व चित्रण की असाधारण उपलब्धियों से प्रेरित होकर हुचो का ब्रुश निर्माण उद्योग और अधिक विकसित हो गया तथा हु चो ब्रुश संस्कृति की अलग पहचान संपन्न हुई।