दोस्तो , आप को मालूम हुआ ही होगा कि साल में एक बार मेक्का तीर्थ यात्रा निष्ठावान मुसलिमों की सब से महत्वपूर्ण गतिविधि है । मेक्का शहर से सात किलोमीटर की दूरी पर सऊदी अरब का एक मीना नामक तंबू शहर अवस्थित है , मेक्का तीर्थ यात्रा के दौरान यह तंबू शहर विश्व के कोने कोने से आने वाले तीस लाख से अधिक तीर्थ यात्रियों को निवास व संबंधित सेवाएं उपलब्ध कराता है । सऊदी अरब ने मीना शहर का नमूना वर्तमान शांगहाई विश्व मेले में खड़ा किया और दर्शकों को तंबू से तीर्थ यात्रियों की रहने की कठिन समस्या के समाधान से अवगत करा दिया । आज के इस कार्यक्रम में सऊदी अरब भवन के प्रधान डाक्टर घामदी हमें तंबू शहर मीना की कहानी सुनाएंगे ।
शांगहाई विश्व मेले के फू शी क्षेत्र में स्थापित मीना तंबू शहर प्रदर्शनी क्षेत्र 18 विशाल तंबूओं से गठित है , सऊदी अरब वासियों ने तंबू शहर का ठेठ नमूना शांगहाई शहर में खड़ा कर दिया है । डाक्टर घामदी ने इस की चर्चा में कहा कि 15 सालों से पहले सऊदी अरब ने कई अरब अमरीकी डालर लगाकर मीना में विश्व का सब से बड़ा तंबू शहर कायम किया , ताकि तीन दिन ठहरने वाले तीर्थ यात्रियों को आरामदेह निवास वातावरण उपलब्ध कराया जा सके ।
उन्हों ने इस का परिचय देते हुए कहा कि हर वर्ष सारी दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों की जनता अरब पंचांग के अनुसार साल के अंतिम माह में तीर्थ यात्रा के लिये यहां आती है । हमारा यह प्रदर्शनी भवन मीना तंबू शहर का नमूना है , मीना क्षेत्र मेक्का शहर से सात किलोमीटर दूर है और अराफात शहर से 21 किलोमीटर दूर है , तीर्थ यात्री आम तौर पर सब से पहले मेक्का शहर जाते है , फिर मीना शहर और अराफात शहर पहुंच जाते हैं , अंत में फिर मीना शहर वापस लौटते हैं । हर वर्ष लगभग तीस लाख तीर्थ यात्री आ जाते हैं , वे आम तौर पर यहां पर तीन दिन तक ठहरते हैं । शुरु में हमारे लिये सब से बड़ी चुनौती यह है कि तंबू शहर को किस तरह रहने लायक सब से बड़े तंबू शहर का रुप दिया जाये ।
मीना तंबू शहर पहाड़ की घाटी में स्थापित एक शहर है , इस शहर में केवल चार वर्गमिलोमीटर क्षेत्रफल तीर्थ यात्रियों के लिये तंबू खड़ा करने लायक है । यह जानकारी प्राप्त करने के बाद बहुत से दर्शकों को बड़ा आश्चर्य हुआ है कि इतने छोटे शहर में इतनी ज्यादा आबादियां कैसे रह सकती हैं , साथ ही उन के मन में यह आशंका भी पैदा हुई कि कहीं मीना तंबू में रहने के लिये सुरक्षित न हो । डाक्टर घामदी ने कहा कि सौ साल पहले तीर्थ यात्री खुद तंबू लिये यहां आते थे , उस समय तंबू सूती कपड़े के थे , इसलिये आग्नि दुर्घटना अकसर होती थी । लेकिन अब सऊदी अरब सरकार ने एक लाख आग व हवा रोधक विशेष क्वालिटी वाले तंबूओं से विश्व में एक बेजोड़ तंबू शहर स्थापित कर दिया है , जिस से तीर्थ यात्रियों की रहने की सुरक्षा को सुनिश्चित किया गया है ।
15 साल पहले प्रयोग में लायी सामग्री टेफ्लोन नामक उच्च क्वालिटी वाली विशेष सामग्री व शिशा रेशे से बनायी गयी है , यह बहुत महंगी सामग्री है , उस का दाम मकान से भी महंगा है , आग व हवा रोधक इस तंबू का प्रयोग 50 साल से भी अधिक समय तक किया जा सकता है । ऐसे तंबूओं से निर्मित शहर देखने में बहुत खूबसूरत है , और तो और गत 15 वर्षों में कोई आग्नि दुर्घटना नहीं हुई , यह सचमुच एक कमाल की बात है ।
क्योंकि मीना शहर एक पहाड़ की घाटी में स्थापित हुआ है , इसलिये पहाड़ पर से गिरने वाले पत्थर व बाढ़ जैसे सवालों का समाधान करना भी अत्यावश्यक है । मौजूदा शांगहाई विश्व मेले के तंबू शहर की प्रदर्शनी में सऊदी अरब ने चित्रों व वीडियो सामग्री के जरिये उक्त सवालों के समाधान से अवगत कराया है । डाक्टर घामदी ने इस का उल्लेख करते हुए कहा
क्योंकि पूरा मीना शहर पहाड़ की घाटी में अवस्थित है , इसलिये यह जरूरी है कि तंबू खड़ा करते समय यहां रहने वाले तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा पर ध्यान रखा जाये । उदाहरण के लिये हम ने खतरनाक चट्टानों पर छेद किया , फिर उन्हें एक साथ जोड़ कर सीमेंट भी डाल दिया , जिस से वे पहले से अधिक टिकाऊ हो गये हैं । इस के अलावा बाढ़ दूसरा खतरा है , क्योंकि पहाड़ी घाटी में बाढ़ अकसर आती है , हम ने यहां पर पानी रोकने के लिए एक बड़ा बांध भी खड़ा कर दिया ।
डाक्टर घामदी ने कहा कि मीना शहर में एक दस लाख घन मीटर वाला तालाब भी कायम हुआ , यह वर्तमान में सब से बड़ा मानवकृत तालाब माना जाता है । साथ ही एक बड़े आकार वाला भूमिगत कबाड़खाना भी स्थापित हुआ । हर वर्ष मेक्का की तीर्थ यात्रा के तीन चार दिन में 60 हजार सफाई मजदूर पूरे शहर के कबाड़ों की सफाई में लग जाते हैं । इस के अलावा तंबू शहर में यातायात , बिजली सप्लाई , फायरिंग और चिकित्सा आदि संस्थापन व संस्थाएं भी उपलब्ध हैं , विश्व के अन्य आधुनिक शहरों के साथ कोई फर्क नहीं पड़ता ।
विश्व मेले के मीना तंबू शहर के प्रदर्शनी क्षेत्र में एक पुनर्निर्मित जामाराट पुल ने बड़ी तादाद में दर्शकों को आकर्षित किया है । मीना तंबू शहर से मेक्का जाने के लिये जामाराट पुल गुजरना जरूरी है । पत्थर से राक्षस को मारने की रस्म भी इसी पुल पर पूरी की जाती है । तीर्थ यात्री पत्थर को पुल पर बने तीन छेदों में फेंक देते हैं , इस का अर्थ है छेद में छिपे राक्षस को मार डालना ।
डाक्टर घामदी ने कहा कि तीर्थ यात्रा के दौरान प्रतिघंटा पांच लाख तीर्थ यात्री इस पुल को पार करते हैं , पर पुराने पुल केवल दुमंजिला था , इतने अधिक यात्रियों को समाने में असमर्थ था , जिस से एक दूसरे को धक्का देने व रौंद डालने की दुर्घना अकसर होती थी । इस के मद्देनजर सऊदी अरब सरकार ने कुछ साल पहले जामाराट पुल का पुनर्निर्माण करने का निर्णय लिया , फिर 2009 में इस पुल का सभी पुनर्निर्माण काम पूरा हो गया । नव जामाराट पुल पर कुल पांच मंजिलें निर्मित हुई हैं और 11 प्रवेश गेट व 12 बाहर निकलने वाले गेट स्थापित हुए हैं , जिस से भीड़ों का दबाव अच्छी तरह कम हो गया है ।
उन्हों ने कहा कि पहले सभी तीर्थ यात्री एक ही गेट से प्रवेश करते थे और एक ही गेट से बाहर निकल जाते थे, अब तीर्थ यात्री भिन्न मंजिल के अलग गेट से आ जाते हैं । इस पुल की डिजाइन बहुत जटिल है , भूमि के नीचे द्रुत बचाव गाड़ी व आपातकालीन बंदोबस्त भी है । इस पुल की पांच मंजिलें हैं , चाहे आप मीना शहर की किसी भी दिशा से आये हो या पहाड़ व घाटी से आये क्यों न हो , पुल के सभी रास्ते साफ साफ दिखायी देते हैं , भीड़ बड़ी आसानी से पुल पार कर सकती है ।
तीर्थ यात्रियों की संख्या बढ़ने के चलते ठहरने की बड़ी समस्या सामने आयी है , भविष्य में करीब 50 लाख तीर्थ यात्रियों की मीना शहर आने की संभावना होगी । अब मीना तंबू शहर इसी सवाल पर विचार कर रहा है । घामदी ने कहा कि उन्हों ने अब पहाड़ की ढलान पर इमारत निर्मित करना शुरु किय है । इस के अलावा चीन की सहायता में बड़े पैमाने पर रेल लाइन निर्मित की जायेगी , ताकि अधिकाधिक तीर्थ यात्रियों के लिये तीर्थ शहर मेक्का जाने की सुविधाएं अदा की जा सके ।
हम ने पहाड़ पर कुछ प्रयोगात्मक ऊंची इमारतें निर्मित की हैं । इस के अलावा हमें उम्मीद है कि स्वच्छ ऊर्जा से यातायात व्यवस्था को सुधारा जायेगा और उत्सर्जन को कम किया जायेगा । चीन सऊदी अरब में इन परियोजनाओं के निर्माण में हाथ बटा रहा है , चीनी तकनीक से तेज रफ्तार वाली रेल लाइन भी निर्मित होगी ।