पूर्वी चीन के शानतुंग प्रांत में स्थित थाई शान पर्वत चीन के प्रथम पर्वत के नाम से जाना जाता है । उस के भव्यदार प्राकृतिक दृश्य और शानदार पुराने इतिहास और समृद्धिशाली संस्कृति की वजह से चीनी राष्ट्र के इतिहास व संस्कृति का एक नमूमा बन गया है , यही नहीं , वह विश्व में प्रथम प्राकृतिक व सांस्कृतिक विरासत भी है ।
थाईशान पर्वत के भ्रमण के लिये लाल गेट पर्यटन लाइन पुराने जमाने से लेकर आज तक बराबर प्रमुख चढाई मार्ग ही रही है और वह चीनी इतिहास में सभी राजाओं की पर्वत चढाई मार्ग भी है । मार्ग के दोनों किनारों पर घने छायादार पेड़े उगे हुए हैं , घुमावदार पत्थर सीढियां पर्वत के नीचे से चोटी तक पहुंच जाती हैं , स्वच्छ पराड़ी सरिताएं कलकल कर आगे बह जाती हैं । यहां का प्राकृतिक सौंदर्य दर्शनीय ही नहीं , प्राचीन भू दृश्य भी अत्यंत विख्यात हैं । प्राचीन काल से ही चाहे जितने ज्यादा राजा , अधिकारी व हस्तियां या आम नागरिक क्यों न हों , सब के सब थाईशान पर्तव पर चढने के लिये इसी रास्ते का विकल्प कर लेते हैं , इसलिये यह मार्ग आसमान पर चढने का मनोहर पर्यटन स्थल के नाम से नामी है । हमारे गाईड लू हुंग ने इस का परिचय देते हुए कहा
लाल गेट से नान थ्येन मन गेट तक पहुंचने में 6239 सीढियां हैं और यह मार्ग जितने ज्यादा राजाओं का पर्वत चढने का विशेष रास्ता ही है । इस रास्ते के दोनों किनारों पर मुख्यतः लाल गेट भवन , हजार देव इमारत , चुंगथ्येन गेट और शपाफान नामक सीढीनुमा मार्ग आदि रमणीय भू दृश्य देखने को मिलते हैं । शपाफान नामी सीढीनेमा मार्ग सब से चर्चित है , इस 1600 से अधिक सीढीनुमा मार्ग की सीधी ऊंचाई कोई चार सो मीटर है । यह थाईशान पर्वत की एक बड़े जोखिम भरा रास्ता माना जाता है । कहा जा सकता है कि यह सीढीनुमा मार्ग पर्वतारोहियों के लिये शारीर व सहनशीलता की परीक्षा है ।
साल भर में बड़ी तादाद में देशी विदेशी पर्यटक इस सुंदर पर्वत पर चढने के लिये आते जाते रहे हैं । विशेषकर वसंत में थाईशान पर्वत का पर्यावरण ताजा ही नहीं , बहुत शांत और भव्यदार है । जब पर्यटक पत्थर सीढियों से पर्वत की गोद में पहुंचता है , तो उसे नन्ही जंगली घास की हल्की सी महक एकदम महसूस हो जाती है । पर्वत की ढलांनों और घाटियों समेत सभी जगहे रंगबिरंगे ताजे जंगली फूलों से सुसज्जित हुई हैं , मानो जान बुझकर दूर से आने वाले मेहमानों का स्वागत किया जा रहा हो । थाईशान पर्वत पर हालांकि अंगीनत जंगली फूल पाये जाते हैं , पर उन का अधिकांश आम तौर पर सीधी चट्टानों पर उगे हुए हैं , पर्यटक सिर्फ दूर से उन्हें देख पाते हैं ।
वसंत में थाईशान पर्वत का चेरी बागान अत्यंत लुभावना है । यह चेरी बागान थाईशान पर्वत की औलाई चोटी के उत्तर में खड़ा हुआ है । कहा जाता है कि सौ साल से पहले लू नाम के बाप बेटे यहां रहते थे , उन्हों ने बड़े परिश्रम से चट्टानों को हटाकर खेतीयोग्य जमीन बनाकर चेरी पेड़ लगा दिये । तब से ही यहां पर अधिकाधिक चेरी पेड़ उगाये जाने से विशाल चेरी बागान का रूप दिया गया । आज यहां के पर्वत पर बेशुमार चेरी पेड़ उगे हुए दिखाई देते हैं । वसंत में पर्यटक पर्वत पर चढ़ने के दौरान चेरी बागान में विश्राम कर सकते हैं और ताजा मीठे चेरी भी चख सकते हैं , यह तो बड़े मजे की बात है ।
चेरी बागान के अतिरिक्त थाईशान पर्वत के बगल में स्थित फी छंग नामक क्षेत्र भी काफी चर्चित है । यह फी छंग क्षेत्र आड़ू की जन्मभूमि माना जाता है । यहां पर उत्पादित आड़ू को बुद्ध आड़ू कहा जाता है । हर वर्ष के अप्रैल व मई में फीछंग में आड़ू फूल देखने का सब से बढ़िया समय है । फीछंग में आड़ू उगाये जाने का इतिहास कोई एक हजार वर्ष से अधिक पुराना है , अब आठ हजार हैक्टर से अधिक भूमि पर आड़ू पेड़ उगे हुए हैं और वह गिनिस के सब से बड़े आड़ू बागान की नामसूची में शामिल कर लिया गया है । हर वर्ष के वसंत में सारा पर्वत हल्के लाल रंग वाले आड़ू फूलों से आच्छादित हो जाता है । सुश्री ली छिंग को यहां बसे हुए बीसेक सालों से अधिक समय हो गया है । उन्हों ने कहा कि जो पर्यटक यहां आते हैं , वे सब इस बागान की प्रशंसा में दुनिया से कटे आड़ू बागान और मानव जाति का स्वर्ग कहते हैं । क्वांगतुंग प्रांत से आये पर्यटक ली युंग छिंग ने हमारे संवाददाता के साथ बातचीत में कहा
मैं क्वांगतुंग प्रांत से आया हूं , सूर्योदय देखने के लिये तीन घरवालों के साथ थाईशान पर्वत पर आया हूं , कामना है कि थाईशान पर्वत की चढाई से सपरिवार सही सलामत व सुखी रहे और चालू वर्ष का कामकाज कामयाब हो ।
थाईशान पर्वत क्षेत्र में साल की चार ऋतुओं की विशेषताएं बहुत स्पष्टतः नजर आती हैं । गर्मियों में यहां का मौसम बहुत ज्यादा गर्म नहीं है । जुलाई में यहां का औसत तापमान 17 सेलसियल डिग्री मात्र ही है । अतः हालांकि आप कड़ी धूप में थाईशान पर्वत की चढाई पर जायेंगे , पर फिर भी गर्मी के बजाये इतनी ठंड लगेगी कि रुईदार कपड़े की जरूरत होगी । गाईड चांग चाइ श्या ने कहा
उन्हों ने कहा कि थाईशान पर्वत पर चढने का सब से बढिया मौसम अप्रैस से नवम्बर तक का है । क्योंकि वसंत व शरद में मौसम काफी सुहावना और साफ होता है , पर्वत की चोटो पर सूर्योदय देखने का सुनहरा मौसम माना जाता है ।
बेशक, यदि कोई चोटी तक पैदल चल कर जाना चाहे, तो ऐसा भी कर सकता है। कहते हैं कि थाईशान पर पैदल चढ़ाई करने का मजा उसकी असहनीय कठोरता में है। थाईशान पर्वत की तलहटी से सबसे ऊंची चोटी तक पहुंचने के लिए सात हजार से अधिक सीढ़ियों का रास्ता भी है। इस पथरीले रास्ते से पर्वत की चोटी पर पहुंचने में संवेदना तो नहीं के बराबर रहती है, और चोटी पर पहुंचने का काम खासा थकाने वाला होता है। नान थ्येन मन गेट के पास पहुंचने के साथ यह और कठिन हो जाता है। तब हरेक सीढी पर चढ़ने के लिए साहस की जरूरत पड़ती है।
हालांकि थाईशान पर्वत पर चढ़ना बहुत कठिन काम है, फिर भी बहुत से पर्यटक चोटी पर पैदल चढ़ने का विकल्प चुनते हैं। उन में बहुत से बुजुर्ग भी होते हैं। दरअसल बहुत से चीनी थाईशान पर्वत पर चढ़ने को जिन्दगी का एक करिश्मा मानते हैं और थाईशान पर्वत पर पैदल चढ़ कर एक विशेष आत्मसंतोष प्राप्त करते हैं।
उत्तर पूर्व चीन से आये पर्य़टक वांग यूंग ने यहां के सौदर्य की प्रशंसा में कहा
थाईशान का दौरा सांस्कृतिक यात्रा ही है , हम विशेष तौर पर यहां आये हैं , यहां पर मंदिर मेला देखने और स्थानीय मजेदार पकवान चखने में बड़ा मजा आया है , बहुत अच्छा है ।
प्राचीन काल से ही चीन लोग थाईशान पर्वत को करते आये हैं , चीन के राजवंशों के अधिकतर राजाओं ने थाईशान पर्वत पर मंदिर , भवन और मूर्तियां स्थापित की हैं , जिस से अब तक थाईशान पर्वत पर बीस से अधिक प्राचीन निर्माण समूह , बड़ी तादाद में मूर्तियां और दो हजार दो सौ से अधिक शिला लेख छोड़े गये हैं । थाईशान विद्या विद्वान चओ छंग ने इस का परिचय देते हुए कहा
थाईशान की सास्कृतिक गर्भिता बहुत समृद्ध है , चीनी साहित्यक कला में उस का असाधारण स्थान है , मिसाल के लिये प्रसिद्ध कवि ली पाई , तू फू व को मो रो जैसे हरेक युग की बहुत ज्यादा विख्यात हस्तियों ने थाईशान पर्वत पर अपनी रचनाएं छोड़ रखी है । इसलिये थाईशान चीनी साहित्य , औपेरा , संगीत व नृत्यनाट्य आसाधारण भूमिका निभाता रहा है ।
थाईशान चीनी राष्ट्र का देवीय पहाड़ , तीर्थ पहाड़ व सांस्कृतिक पहाड़ माना जाता है और चीनी जनता की मान्यता में थाईशान पर्वत आध्यात्मिक जन्मभूमी है और थाईशान पर्वत की चढाई सुरक्षा व निश्चिंतता की गारंटी है ।