चीन के हेनान प्रांत का सिनयांग शहर हूपए , हेनान और आनहुए तीन प्रांतो की सीमाओं से सटा हुआ है, वह चीन की मशहूर चाय का गृहस्थान है, जहां दुनिया की सबसे उच्चकोटि की सिनयांग माओ च्येन नाम की चाय पत्ती पैदा होती है।
हजारों सालों से चाय यहां के लोगों की जीविका रही हैं, एक दिन चाय न होना लोगों के लिए बिल्कुल एक असंभव घटना है, यहां की चाय उत्पादन और लोगों के जीवन ने एक अनोखी सिनयांग चाय संस्कृति को जन्म दिया है। वर्तमान सिनयांग में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय चाय उत्सव ने अधिकाधिक देश विदेश के लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया है, दुनिया के चाय प्रेमी चीन की चाय पर भारी ध्यान देने लगे हैं।
सिनयांग चाय एक हजार साल पहले थांग राजवंश के जमाने से ही मशहूर थी। थांग राजवंश के प्रसिद्ध लेखक लू वी का निबंध चाय मंत्र में यहां की चाय को एक मशहूर चाय की संज्ञा दी थी। सिनयांग तब से चीन की मशहूर चाय ब्रांड बन गयी है। सिनयांग के चाय विशेषज्ञ चू खाए ने कहा सिनयांग माओ च्येन का चाय का इतिहास बहुत ही पुराना है, इतिहास लिखने से पहले ही यहां की चाय की अनेक कथाएं थीं। सिनयांग क्षेत्र के कू सो काउंटी में खोदी एक प्राचीन कब्र से निकली वस्तुओं में चाय की पत्तियां भी पायी गयी , यह सी हान यानी दो हजार साल पहले के राजवंश काल की एक कब्र थी। इस से साबित होता है कि इस जगह की चाय का इतिहास अनुमान से कहीं अधिक पुरानी है, उस समय लोगों के जीवन में सात अनिवार्य चीजें थीं , इंधन, चावल, तेल, नमक, सिरका और चाय।
थांग राजवंश के लेखक लू वी के निबंध के अलावा, बहुत से जाने माने लेखकों के लेखों में भी चाय का वर्णन बराबर रहा है। मिसाल के लिए सुंग राजवंश के साहित्कार सू फू ने कहा था कि सिनयांग की चाय सभी चाय की पंक्तियों में पहले नम्बर पर आती है। चाय विशेषज्ञ चू खाए का मानना है कि सू फू सिनयांग चाय का जिक्र करने वाले सबसे महत्वपूर्ण सज्जन हैं, उनकी किताबों में सिनयांग चाय के वर्णन ने चाय के उपभोग को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
सिनयांग शहर में किसी के घर पधारे तो चाय से सत्कार किया जाता है, यहां तक कि रिश्तेदारों व मित्रों के बीच आवाजाही में दिए जाने वाले उपहारों में सिनयांग चाय की जगह उल्लेखनीय होती है। यह सिनयांग में हजारों सालों से बनी एक सादी रीति रिवाज रही है। श्री चू खाए का मानना है कि चाय संस्कृति के विकास का सबसे ज्यादा हकदार निसंदेह श्रमिक जनता ही हैं। उनहोंने कहा चाय की पत्तियों को तोड़ने के समय की मांग बहुत ऊंची है, एक दिन पहले तोड़ने से पतली हो सकती हैं, जबकि एक दिन देर से तोड़ने से मोटी बन सकती है, एक दिन पहले या एक दिन देर से चाय की गुणवत्ता में भारी फर्क निकल सकता है, यह हमारी श्रमिक जनता ने अपने उत्पादन व्यवहार से निचोड़ निकाला मूल्यवान अनुभव है, जो चाय की संस्कृति का एक उल्लेखनीय भाग है।
फरवरी 1915 में पनामा की एक अन्तर्राष्ट्रीय नुमाइश में सिनयांग माओ च्येन चाय की बाहरी खूबसूरती, उसकी सुगंध व चाय के स्वाद ने उसकी गुणवत्ता को पूरी दुनिया के आगे दर्शाया था, उपस्थित अनेक देशों के लोगों ने सिनयांग चाय की बढ़चढ़कर सराहना की। और तो और इस अन्तर्राष्ट्रीय नुमाइश में उसे विश्व चाय स्वर्ण पुरुस्कार से सम्मानित भी किया गया। 1958 में सिनयांग माओ च्येन नाम की चाय चीन की चाय सम्मेलन में देश के पहले दस मशहूर चाय की पंक्ति में रखी गयी।
1992 में सिनयांग में प्रथम चीन के सिनयांग चाय उत्सव का आयोजन हुआ। तब से हर साल सिनयांग चाय उत्सव यहां लगाया जाता है, अबतक कुल 18 सिनयांग चाय उत्सव मनाए जा चुके हैं। अलबत्ता , फिलहाल सिनयांग चाय दुनिया की ओर कदम बढ़ा रही है। चाय विशेषज्ञ चू खाए ने कहा थांग राजवंश के काल से ही जापान के राजदूत चीन में चीनी चाय संस्कृति सीखने आए थे, उन्होने चेच्यांग के चिनसान चाय दावत में भी भाग लिया था, और वहां से सीखी चाय उत्पादन तकनीक जापान में ले गए थे। तब से धीरे धीरे जापान में भी चाय पीने का शौक बढ़ने लगा और जापान की अपनी अनोखी चाय संस्कृति पैदा हुई । चाय तकनीक चीन से शुरू हुई थी, लेकिन जापान ने चाय संस्कृति को चीन से बेहतरीन रूप से आगे बढ़ाया है, युग युग तक जापान में चाय संस्कृति एक महत्वपूर्ण स्थान पर बनी रही है, और आज वे जापान की संस्कृति की एक पहचान बन गयी है।
चीन के इतिहास में चीनी बुद्धिजीवी व धार्मिक सज्जन चीन की परम्परागत चाय संस्कृति को भारी महत्व देते आए हैं। उन्होने चाय पान को शारीरिक तन्दुरूस्ती के साथ जोड़कर एक नयी जान भावना को जगाने की ऊंचाई तक पहुंचाया है। आजकल चीनी जनता के बीच में उपहार वस्तुओं में चाय का स्थान अधिक महत्वपूर्ण हो रहा है, चाय की दुकाने व चाय के न्यौता से मित्रों का मिलन व मेहमानों का सत्कार करना एक विशेष रीति रिवाज व एक सामाजिक शैली बन गयी है। चाय तकनीक स्वभाविक रूप से चाय प्रेमियों के चाय का आन्नद लेने का एक साधन बन गया है। अभी आप ने चाय कला प्रदर्शनी की एक संगीत धुन सुनी, प्राचीन सितार से निकली अनोखी धुन में चीन की पोषाक छीफाओ पहने किशोरियों ने अपनी चाय तकनीक की माहिरता को बड़ी खूबसूरती के साथ दर्शाया है। चाय से निकल रही महकती सुंग्ध पूरे हाल को इतनी सुगंधित कर देती है कि लोगों का मन आन्नद से झूम उठता है।
इस साल के ग्रीन चाय मेले में हमारे संवाददाता ने देखा कि कई बालक चाय तकनीक का प्रदर्शन कर रहे थे, और लोगों को अपनी बनायी चाय पीने के लिए निमंत्रण कर रहे थे। बालकों की चाय तकनीक की निर्देशक ली वए हुंग ने हमें बताया सिनयांग माओच्येन चाय संस्कृति का प्रचार व उसकी लोकप्रियता में धीमी आ रही है, इस लिए विशेषतौर से हमारी चाय कमेटी ने हमें पेइचिंग में जाकर इस तकनीक को सीखने के लिए भेजा है, पेइचिंग से सीखने के बाद हमने अपने स्कूल में चाय संस्कृति क्लासें खोली हैं। हमारे बच्चे चाय प्रदर्शनी को बहुत ही प्रेम करते हैं, चाय संस्कृति के लगाव के अलावा वे अनेक चाय से संबंधित प्राचीन कविताएं रटकर सुना सकते हैं।
वांग येन य्वे नौ साल की उम्र की है, वह अब प्राइमरी स्कूल की चौथी क्लास में पढ़ती हैं, उसने इन प्राचीन चाय कविताओं को सुनाकर लोगों को आकर्षित किया। पहला कदम, चाय के बाहरी रंग के आधार पर चाय चुनना, दूसरा कदम उसकी महकती खुश्बू को महसूस करना, तीसरा कदम उसे उबलते पानी में उबालना, चौथा कदम सावधानी से चाय बर्तनों की तैयारी करना , छठा कदम चाय को प्याले में डालकर उस की सुंगध व स्वाद को दिल में रख लेना और उसकी महकती खुश्बू से दुनिया को सुख पहुंचाना।