चीन की कोरियाई जाति का नुंगले नृत्य संगीत, गान और नृत्य से मिश्रत एक अदभुत नृत्य कला है, जो उत्तर पूर्वी चीन के चीलिंग, हएलुंगच्यांग और ल्याओलिंग प्रांतो आदि कोरियाई जाति बहुल क्षेत्रों में लोकप्रिय है। वे चीन की राष्ट्रीय सांस्कृतिक विरासत भी है, 2009 में यूनेस्को ने उसे मानव सांस्कृतिक विरासत आदर्श कला की नामसूची में रखा है।
अभी आप ने कोरियाई जाति के नुंगले नृत्य के फसल की खुशी की एक धुन सुनी, नुंगले नृत्य कोरियाई जाति कला का अनमोल हीरा है, हर किसी महत्वपूर्ण त्योहार व समारोह में लोग रंग बिरंगे परम्परागत पोषाक पहने, शहनाई, बांसुरी व ढोल आदि वाद्ययंत्रों की मिश्रत झूमती धुनों में नाचते गाते हैं, दिल भर कर जीवन के मंगलमय व सुन्दर अभिलाषा की आशा लिए अपनी तमन्ना जाहिर करते हैं।
चीलिंग प्रांत के येनप्येन कोरिया स्वायत्त प्रिफेक्चर के वांगछिंग काउंटी में कोरियाई जाति की नुंगले नृत्य कला को हर एक आदमी जानता है, जबकि नुंगले नृत्य की सबसे कठिन कला यानी टोपी पर बांधे लम्बे रंगीन फीते को सिर से तेजी से दांए बांए हिला कर वायु में फहराने की अनोखी कला है , यह एक पेशावर कला मानी जाती है। बताया जाता है कि टोपी पर रंगीन फीते की यह कला प्राचीन कोरियाई जनता खेती के समय अपनी टोपी के उपर हाथी के बाल को बांध कर सिर को दांए बांए हिला हिला कर पशुओं के हमले से बचने की श्रमिक कार्यवाही थी, जिस ने आज टोपी के रंगीन फीते नृत्य कला का रूप धारण कर लिया है। आज टोपियों की किस्में अनेक हैं, ये टोपियां अधिकतर सख्त पलास्टिक से निर्मित किए जाते हैं। रंगीन फीता एक किस्म के शीशे कागज से बनाया जाता है, जो एक मीटर से 20 मीटर तक लम्बा होता है।
52 वर्षीय श्री चिन मिन छुन नुंगले नृत्य की राष्ट्रीय स्तरीय कला के वारिस हैं, वे इस कला के सबसे होनहार व्यक्ति हैं, उन्होने 32 मीटर लम्बे फीते को टोपी में बांध कर सिर को दांए बांए हिलाकर जो मनोरम कला दर्शायी थी वे अब तक दुनिया का सबसे लम्बा वायु में झूमता रंगीन फीता रहा है। इस कला की खूबसूरती प्रदर्शन के लिए, उन्होंने सिर को एक पहिये की तरह तेजी से हिलाने की माहिर कला से लोगों को आश्चर्य चकित में डाल दिया है। श्री चिन मिन छुन ने कहा कि उसका नुंगले नृत्य के प्रति जो गहरा प्रेम है वे बहुत ही पुराना है। उन्होने अपनी जीवनी की चर्चा करते हुए कहा मेरा जन्म येनप्येन कोरियाई जाति प्रिफेक्चर के वांगछिंग काउंटी के छाओ क्वो बस्ती के एक छोटे से गांव में हुआ था।बचपन से मुझे नाचने गाने में भारी रूचि रही थी, स्कलू से स्नातक होने के बाद मैंने नुंगले नृत्य व टोपी रंगीन फीते कला से संपर्क रखना शुरू किया। मुझे याद है कि 1977 में मेरे गांव के एक संस्कृति केन्द्र ने टोपी रंगीन फीते कला के तीन दिन की प्रशिक्षण क्लास का आयोजन किया था, तब से नुंगले नृत्य ने मेरे दिल में जगह ले ली, मैं इस कला की ओर मंत्रमुग्ध हो गया। 30 साल बीत चुके हैं, मैंने हर पल टोपी रंगीन फीते कला को जारी रखा है।
नुंगले नृत्य कोरियाई जाति के अंग अंग में भरी हुई है। नृत्य की सादगी, स्नेहमय ,वास्तव में खेती श्रमिक के दौर में लोगों के भगवान की पूजा करने का एक तरीका था, नृत्य से पहले धरती पर पैर रखकर भूमि देवता की पूजा कर प्राकृति के प्रति प्यार व प्राकृति पर निर्भर रहने की तमन्ना को जाहिर किया जाता था। प्राचीन से ही कोरियाई जाति छांगपाए सान पर्वत तले खेती व पेड़ लगाने के समय अपने साथ ढोल, शहनाई व खेती के औजार लिए खेत में काम करने जाते थे, विश्राम के समय वे ढोल और शहनाई की ताल व धुन में नाचते गाते थे, इस से शरीर की थकान को दूर किया जाता था। अलबत्ता, नुंगले नृत्य की किस्में बहुत ही भरपूर हैं, पुरूष, महिलाओं व बच्चों की कला की किस्में अलग अलग होती हैं, गोल, चौकोर व लम्बे ढोल से निकली ताल व मधुर धुन से नृत्य की किस्मों में भी फर्क होता है, हर ढोल से निकली ताल लोगों को इस नृत्य में भाग लेने बिना नहीं छोड़ती है।
पिछले कई सालों से नुंगले नृत्य पर काम व अध्ययन कर रहे चिन मिन छुन को अच्छी तरह मालूम है कि नुंगले नृत्य के विकास के आगे कई समस्यांए भी खड़ी हुई हैं। उन्होने बताया कि पूंजी व सुयोग्य व्यक्तियों की कमी फिलहाल सबसे बड़ी समस्या है। सौभाग्य है कि इधर के सालों में लोगों में पुरानी संस्कृति विरासत की सुरक्षा करने की अवधारणा दिनों दिन जागृत होती जा रही है, उधर केन्द्रीय सरकार ने भी इस परमपरागत कला के संरक्षण के लिए भारी पूंजी डाली हैं। श्री चिन मिन छुन को स्थानीय सरकार से हर साल कोई तीस लाख से 80 लाख य्वान की पूंजी मिलती हैं, इस पूंजी से वे नयी पीढ़ी के छात्रों के प्रशिक्षण में जुटे हुए हैं। उन्होने हमें बताया पिछले साल से हमने अनेक उम्र व विभिन्न स्तर के शिक्षा केन्द्रों की स्थापना की हैं. किंडरगार्डन के प्रशिक्षण क्लास में छात्रों की संख्या बढ़ती जा रही है, प्राइमरी स्कूल में छात्रों की संख्या तीन सौ से अधिक हैं, जबकि मिडिल स्कूल के छात्रों की संख्या दो सौ से अधिक है। यहां तक कि उद्योगकर्ताओं से लेकर डाक सेवा व ग्रामीण बैंक के कार्यकर्ताओं ने भी नुंगले नृत्य पर भारी रूचि दिखाई है। कुछ समय पहले नुंगले नृत्य वृद्धा कला मंडली भी स्थापित हुई है। यह सिर्फ हमारे एक काउंटी का ही हाल हैं, येनप्येन के अन्य सात काउंटियां भी अलग अलग तरीकों से नुंगले नृत्य की सांस्कृतिक विरासत के विकास में जुटी हुई हैं।
श्री चिन मिनछुन के विचार में प्राचीन में खेती उत्पादन के दौर में भगवान की पूजा तथा खेती फसल के खुशी के मौके पर आयोजित नुंगले नृत्य की परम्परा , आज के आधुनिक समाज में भी कहीं अधिक प्रफुल्लित है और उसकी जीवन शक्ति कहीं अधिक प्रबल हुई है, अधिकाधिक लोग इस मनोरम कला को पसंद करने लगे हैं। उन्होने कहा नयी पीढ़ी को इस परम्परा व प्राचीन कला को आगे ले जाने के लिए इस कला में सुधार लाना अनिवार्य है, उनके साथी उनके साथ मिलकर इस पर अध्ययन कर रहे हैं। उन्होने कहा इस कला को नयी जीवनी शक्ति देने के लिए हमने विविध तरीके अपनाए हैं। मिसाल के लिए, बूढ़े लोगों के लिए नृत्य की पुरानी शैली को बरकरार रखा है, प्रौढ़ व युवा पीढ़ी के लिए हमने आधुनिक कला व पुरानी कला का निचोड़ कर उसे उनकी मनपसंद की कला का रूप दिया है, बालकों के लिए हम उनकी उम्र व पसंदीदा तरीकों से इस कला में नये रंग लाने की कोशिश कर रहे हैं।
श्री चिन मिन छुन ने परम्परा नुंगले नृत्य की कला तकनीक को मौजूदा आधुनिक संगीत, नृत्य जैसे कारकों के साथ जोड़कर अलग अलग तौर से इसकी अनेक नृत्य कोपियां निर्मित की हैं। वर्तमान उन्होने कला जगत के बहुत से नौजवानों को अपना शिष्य बना लिया है, उनकी आशा है कि अधिक से अधिक लोग परम्परा नुंगले नृत्य को बिल्कुल एक नयी सूरत का रूप देकर उसे एक नयी मंजिल पर पहुंचाने में अपना योगदान करते रहेंगे।